गांधीनगर। तीरंदाज अमिता राथ्वा ने मंगलवार को यहां संस्कारधाम स्कूल में 36वें राष्ट्रीय खेलों में भारतीय राउंड प्रतियोगिता में व्यक्तिगत रजत पदक जीतने के बाद महिला टीम के कांस्य विजेता बनने में भी योगदान देकर राज्य के ग्रामीण एवं आदिवासी क्षेत्रों में गुजरात सरकार की प्रतिभा पहचान योजना की सफलता को रेखांकित किया।
आठ साल पहले गुजरात खेल प्राधिकरण की प्रतिभा पहचान योजना के दौरान चुने गई गोगांबा जिले के इस युवा खिलाड़ी को मणिपुर की ओकराम नाओबी चानू के खिलाफ महिला व्यक्तिगत स्वर्ण पदक मैच में शूटऑफ में हार का सामना करना पड़ा था, क्योंकि दोनों खिलाड़ी 5-5 से बराबरी पर थीं।
इससे पहले, सुबह उन्होंने उर्विशबा जाला, स्नेहा पटेल और जेनिशा जाति के साथ मिलकर गुजरात को कांस्य पदक के प्ले-ऑफ में झारखंड पर जीत दिलाने में मदद की थी। कोच ओम प्रकाश ने कहा, “अमिता राथ्वा बहुत अच्छी पारिवारिक पृष्ठभूमि से नहीं आती हैं। वह एक आदिवासी लड़की है, जिसके पिता एक किसान हैं
उसकी मां मिड- मील की सुविधा में रसोइया है। उसे स्कूलों में एसएजी के एक अभियान के दौरान तीरंदाजी ट्रेनिंग के लिए चुना गया था।” राथ्वा ने पहले देवगढ़ बरिया में एक बेहतर सुविधा के लिए स्नातक की ली फिर राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर उनके लगातार प्रदर्शन के बाद कुछ साल पहले वह नडियाद में राज्य के उत्कृष्टता केंद्र में चली गईं।
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कोच ओम प्रकाश ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय प्रेमिला बारिया उसी प्रणाली का एक परिणाम है। उन्होंने कहा, “नडियाड अकादमी पूरी तरह से राज्य सरकार द्वारा प्रायोजित है और हर चीज का ध्यान रखा जाता है।
खिलाड़ियों को सिर्फ अपने प्रदर्शन पर ध्यान देना होता है और इससे इन खिलाड़ियों को मदद मिल रही है।” ओम प्रकाश को यकीन है कि अमिता राथ्वा खेल के प्रति अपने समर्पण और अपनी संघर्ष करने की भावना के जरिये प्रेमिला बारिया के नक्शेकदम पर चल सकती हैं।
उन्होंने कहा, “राष्ट्रीय खेलों के तुरंत बाद उसके पास आगामी जूनियर और सीनियर नेशनल्स हैं। लेकिन उसके बाद हम उसे रिकर्व में स्थानांतरित कर देंगे और मुझे यकीन है कि वह एक दिन ओलम्पिक गेम्स में जगह बना सकती है।”