बीके बाजपेयी : 1987 में शुरू हुआ एथलेटिक्स कोच का सफर लखनऊ में खत्म

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लखनऊ। राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी प्रियंका गोस्वामी, अनुरानी, पारुल चौधरी सहित अनेक खिलाड़ियों से खुद की पहचान बनाने वाले एथलेटिक्स कोच बीके बाजपेयी करीब 35 साल की सेवा के बाद गुरुवार को केडी सिंह बाबू स्टेडियम से सेवानिवृत हो गये।

सेवानिवृत होने के मौके पर बीके बाजपेयी के चेहरे पर मुस्कान के साथ साथी लोगों से दूर होने का कुछ अफसोस भी जाहिर हो रहा था। हालांकि शासकीय सेवाकाल का अंतिम पायदान सेवानिवृत्ति एक ऐसी नियति है, इससे हर एक शासकीय सेवक को गुजरना ही होता है।

35 साल की सेवा के बाद बीके बाजपेयी बेदाग सेवानिवृत

आपने कितने वर्ष शासकीय सेवा की ये महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि आप अपने सेवाकाल में कार्य के प्रति कितने सजग, सक्रिय और समर्पित होकर बेदाग रहे हैं इसके ज्यादा मायने हैं।

यही वजह है कि खेल विभाग के लोगों को कहने में कोई गुरेज नहीं है कि बीके बाजपेयी ने अपने 35 वर्षीय सेवाकाल में कोई स्पष्टीकरण पत्र या नोटिस प्राप्त नहीं किया और न ही जीवन पर्यन्त उनकी कोई सेवा संबंधी शिकायत प्राप्त हुई। ऐसे लोग बेमिसाल व्यक्तित्व की सेवानिवृति विभाग के लिए किसी वियोग से कम नहीं है।

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गुरुवार को केडी सिंह बाबू स्टेडियम के विदाई समारोह में एथलेटिक्स कोच बीके बाजपेयी की विदाई के लिए कोच, और खिलाड़ियों के अलावा खेल अधिकारी भी मौजूद रहे। इस मौके पर स्टेडियम परिसर में प्रशासनिक अधिकारियों और खिलाड़ियों ने उन्हें फूल-मालाएं पहनाकर सम्मान दिया।

विदाई समारोह में खेल निदेशक डॉ आरपी सिंह, क्षेत्रीय क्रीड़ाधिकारी अजय सेठी सहित कई खिलाड़ी व कोच मौजूद थे।
बताते चले कि एथलेटिक्स कोच बीके बाजपेई ने वर्ष 1987 ने इलाहाबाद से बतौर एथलेटिक सहायक कोच शुरुआत की थी। उन्होंने बीपीएड और एनआईएस डिप्लोमा भी किया।

लांग डिस्टेंस प्रतिस्पर्धा में उन्होंने कई उपलब्धियां हासिल कीं। उनके प्रशिक्षण में एथलीट प्रियंका गोस्वामी, अनुरानी, पारुल चौधरी जैसे कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खिलाडिय़ों ने प्रदेश का नाम रोशन किया।

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