फ्लैट कल्चर के लिए बोनसाई वरदान : रेनू प्रकाश

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लखनऊ। बोनसाई एक आर्ट है। मुख्यत: एक पौधे को वृक्ष के रूप में दर्शाता यही बोनसाई है। घर के आंगन व बालकनी में रखे बर्तन में लगे पौधे को इस प्रकार संवारा जाए कि वह पौधा न लग कर पूरी तरह से वृक्ष लगे। इसमें जितना समय जो देगा, उतना ही ग्रहण करता जाएगा और अपने मन मस्तिष्क में अनुभवों को स्टोर करते हुए कला को समृद्ध करेगा।

अपने अनुभवों के जरिये इस कला को साकार करने आया हूं : फहद मलिक

उसकी कला दिन-प्रतिदिन निखरती जाएगी। यह बात जयपुर के बोनसाई विशेषज्ञ फहद मलिक ने कही। उन्होंने बताया कि प्रकृति के साथ और प्रकृति के रंग में रंगकर इस कला और संवारा जा रहा है। हरा रंग ही बोनसाई की विशेषता है। यह प्राकृतिक विविधताओं को समेटे हुए है।

कारण है कि प्रकृति का रंग हरा है और अगर घर के अंदर ही प्रकृति के संग रहा जाये तो निश्चित रूप से शरीर स्वस्थ रहता है और मन को शान्ति मिलती है। कार्यक्रम का शुभारम्भ रविवार को पूर्वाह्न महानगर स्थित होटल गोल्डन एपल में दीप जलाकर किया गया।

महानगर स्थित होटल गोल्डन एपल में अवध बोनसाई की तीन दिवसीय कार्यशाला शुरू

मुख्य अतिथि फहद मलिक के साथ संस्था प्रमुख श्रीमती रेनू प्रकाश, चीफ टेक्निकल एडवाइजर श्री केके अरोड़ा के साथ संस्था की प्रमुख सदस्यों में पद्मा सिंह, बीनू कलसी, अलका मैगन, रमा मैगन, सुमन अग्रवाल, प्रीति सिंह, विधि भार्गव, प्रियांशी, राधिका सूद, शैली चौधरी, शाश्वत पाठक की मौजूदगी ने कार्यक्रम में चार चांद लगाया।

अवध बोनसाई एसोसिएशन की प्रेसीडेंट श्रीमती रेनू प्रकाश ने बताया कि बोनसाई आर्ट को समृद्ध करना ही हमारा लक्ष्य है। संस्था लगातार कार्यशाला, क्लासेस और विभिन्न समाजसेवी कार्यक्रम संचालित करती आ रही है। साथ ही सोशल मीडिया के जरिये हम बोनसाई को लगातर समृद्ध कर रहे हैं।

मौजूदा समय में चूंकि फ्लैट कल्चर का चलन बढ़ रहा है और बढ़ते शहरी संस्कृति के बीच लोगों के पास स्थान नहीं है। इस कारण अब लोग अपने घरों में बड़े पेड़ों को छोटे रूप में एक गमले में सजाकर रख रहे हैं। यह कला दिन प्रतिदिन लगातार बढ़ती जा रही है। इसलिए कहा जा सकता है कि निश्चित रूप से फ्लैट कल्चर के लिए बोनसाई वरदान है।

कार्यशाला में विशेषज्ञ फहद मलिक ने बताया कि आपकी संस्था का कार्य सराहनीय है। अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों को संभालते हुए यहां के लोग बोनसाई में बहुत ही बेहतर कार्य कर रहे हैं।

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यहां पर यह कला बहुत ही समृद्ध है। उन्होंने बताया कि किताबी ज्ञान न देकर वह अपने अनुभवों के जरिये समझाने का प्रयास करेंगे। वृक्ष में प्रकृति के सभी अवयवों का संतुलन बहुत जरूरी है।

मुख्य रूप से जड़ मजबूत होगी तो बोनसाई हराभरा रहेगा। उन्होंने पौधों का डिमास्ट्रेशन दिया और संतुलन की तकनीक पर आज फोकस किया। यह कार्यशाला सोमवार दो सितंबर को भी महानगर स्थित होटल गोल्डन एपल में संचालित होगी।

2000 में हुई थी अवध बोनसाई की स्थापना

नेचर इन मिनियेचर नाम से प्रसिद्ध पेड़ों को मिनियेचर करने की कला बोनसाई के प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से वर्ष 2000 में अवध बोनसाई एसोसिएशन की स्थापना की गयी थी। अपने छोटे आकार के कारण बोनसाई मनुष्य एवं प्रकृति के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी बनती जा रही है।

ग्रुप की संस्थापक अध्यक्ष श्रीमती संतोष अरोड़ा के प्रभावी नेतृत्व और उनकी स्मृतियों के बीच संस्था ने बहुत प्रगति की है तथा देश में सर्वश्रेष्ठ बोनसाई ग्रुप के रूप में मान्यता प्राप्त कर चुकी है।

बोनसाई कला को लोकप्रिय बनाने के उद्देश्य से आम जनमानस के लाभार्थ प्रदर्शनी एवं निःशुल्क बोनसाई कैंप का आयोजन किया जाता है तथा अपने सदस्यों के लिए लेक्चर प्रदर्शन एवं वर्कशॉप आयोजित किए जाते हैं। चीन, जापान यूएसए सहित यूरोपीय एवं दूरस्थ पूर्वी देशों की तुलना में बोनसाई भारत में नयी है।

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