देश में ऊर्जा लागत को कम करने से आवासीय और वाणिज्यिक क्षेत्रों को होगा फायदा

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लखनऊ। देश की प्रमुख नेट-जीरो कंस्ट्रक्शन-टेक कंपनी बूट्स इंडिया ने स्थाई बिल्डिंग टेक्नोलॉजीज को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए अत्याधुनिक ‘कूलिंग एस-ए-सर्विस’ सॉल्यूशन देने के लिए स्टॉकहोम आधारित स्वीडिश कंपनी यूआरबीएस के साथ साझेदारी की घोषणा की है।

प्रारंभिक परियोजना लागत में 25 फीसदी और चालू परिचालन लागत में 80 फीसदी कमी पर फोकस

यह सा‌झेदारी भारतीय घरों, कार्यालयों, होटलों, स्कूलों, अस्पतालों, डेटा केंद्रों, कोल्ड स्टोरेज और गोदामों को कम ऊर्जा लागत में ठंडा रखने और गर्म रखने के प्रयासों में अहम साबित होगी,क्योंकि इसे नए निर्माणों और पहले से मौजूद संरचनाओं में कम लागत पर लागू किया जा सकेगा।

 

साथ ही इससे ऊर्जा लागत में 50 फीसदी तक कमी, कार्बन उत्सर्जन 85 प्रतिशत तक कमी और घर के अंदर धूल वाली हवा को समाप्त करने जैसे लक्ष्य हासिल किया जा सकेंगे। इससे दुनिया के सर्वोत्तम मानकों के अनुसार घर में उच्च गुणवत्ता की वायु प्रवाह का मार्ग प्रशस्त होगा।

ऊर्जा लागत 50 फीसदी कम करने के लिए बूट्स इंडिया व स्वीडिश कंपनी यूआरबीएस की कूलिंग एस-ए-सर्विस

बूट्स इंडिया और स्वीडिश कंपनी यूआरबीएस ऐसी तकनीक को आगे लाए हैं जो मुख्य रूप से ऊर्जा दक्षता के उन्नत नॉर्डिक सिद्धांतों पर आधारित है।

इसमें बेहतर ऊर्जा क्षमता के लिए जानी जाने वाली जल-आधारित तकनीक हाइड्रोनिक सिस्टम का उपयोग किया जाता है, जो पारंपरिक वायु-आधारित सिस्टम से 400 फीसदी बेहतर प्रदर्शन करती है और प्राकृतिक व लगातार ठंडा /गर्म प्रभाव प्रदान करती है।

इस सिस्टम को पहले से मौजूद इमारतों में दोबारा लगाया जा सकता है, जिसका मतलब है कि ये सिस्टम आम तौर पर इमारत के बुनियादी ढांचे में या तो फर्श या छत पैनलों के भीतर फिट हो जाते हैं और संपूर्ण आंतरिक वायु गुणवत्ता को बढ़ाते हैं और पारंपरिक एयर कंडीशनिंग / हीटिंग इकाइयों की आवश्यकता को कम करते हैं।

ऐसा लचीलापन ऊर्जा कुशल जियोथर्मल टेंपरेचर कंट्रोल सिस्टम स्थापित करने की जटिलता और लागत को काफी कम कर देता है।

आवासीय और वाणिज्यिक उपयोगकर्ता प्राथमिकता से हाइड्रोनिक कूलिंग एचवीएसी सिस्टम को अपना रहे हैं क्योंकि ये पारंपरिक कूलिंग और हीटिंग सिस्टम की तुलना में उपयोगकर्ताओं को कई आर्थिक, पर्यावरणीय और परिचालन लाभ प्रदान करते हैं।

हाइड्रोनिक कूलिंग सिस्टम हवा की मात्रा को कम करके हवा की गुणवत्ता में सुधार करने के साथ गीली सतह के कॉइल को खत्म करते हैं, जिससे बैक्टीरिया की वृद्धि कम हो जाती है।

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इसके अलावा इस सिस्टम में पंखे और कंप्रेसर नहीं होने के कारण शोर-मुक्त संचालन, न्यूनतम वायु परिसंचरण के कारण धूल और एलर्जी पर बेहतर नियंत्रण, हवा की गुणवत्ता में सुधार, एक समान तापमान वितरण, ड्राफ्ट-मुक्त ठंड और गर्मी का अनुभव सुनिश्चित करने जैसे फायदे शामिल हैं, जिसके परिणामस्वरूप उपयोगकर्ता के समग्र अनुभव में वृद्धि होती है।

कूलिंग-एस-ए-सर्विस की अत्यधिक आवश्यक मांग पर जोर देते हुए, बूट्स के प्रबंध निदेशक और स्थायित्व विशेषज्ञ दीपक राय ने कहा, “एचवीएसीकूलिंग-एस-ए-सर्विस की अवधारणा विशेष रूप से मौजूदा लोगों के लिए एक क्रांतिकारी समाधान है, जो इमारतों एवं उच्च गुणवत्ता वाले आंतरिक सिस्टम में त्वरित और लागत प्रभावी परिवर्तन की पेशकश करता है।

इन प्रणालियों को दोबारा लगाना न केवल अधिक प्रबंधनीय है बल्कि नए निर्माणों की तुलना में काफी सस्ता भी है। हमारी सेवा उच्च दक्षता वाली प्रणालियों को किफायती बनाकर पारंपरिक बाजार पर लगाम लगाएगी और हम इसे नवीन डिजाइन, सुव्यवस्थित स्थापना, 25 साल के रखरखाव समर्थन और वित्तपोषण में आसानी के माध्यम से स्थापित करेंगे,

जिससे रीयलटर्स और डेवलपर्स को परियोजना कार्यान्वयन लागत का 25 फीसदी और चल रही परिचालन लागत का 80 फीसदी बचाने में मदद मिलेगी।

यूआरबीएस के संस्थापक विल सिबिया के अनुसार, “दुनिया भर में तापमान में वृद्धि और पारंपरिक एयर कंडीशनिंग सिस्टम के पर्यावरणीय परिणामों के बारे में बढ़ती चिंताओं ने अधिक पर्यावरण-अनुकूल और ऊर्जा-कुशल ठंडा होने की और गर्म होने की विधियों की आवश्यकता पर अधिक ध्यान केंद्रित किया है।

उन्नत नॉर्डिक प्रौद्योगिकियों के साथ प्राचीन भारत के स्थाई निर्माण के ऐतिहासिक रूप से सिद्ध सिद्धांतों को एकीकृत करके, यूआरबीएस के सहयोग से बूट्स द्वारा लॉन्च किया गया ‘कूलिंग-एस-ए-सर्विस’ समाधान आंतरिक जलवायु विनियमन के प्रति एक बहुमुखी और नवीन दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करता है।

हमारा मानना है कि अगले कुछ दशकों में इस सेवा की मांग तेजी से बढ़ेगी क्योंकि इसके संभावित प्रयोग से आवासीय, औद्योगिक, आतिथ्य, स्वास्थ्य सेवा, शैक्षिक, कोल्ड स्टोरेज, गोदामों और डेटा भंडारण सुविधाओं सहित विभिन्न क्षेत्र लाभान्वित होंगे।

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