लखनऊ के यावर अली शाह का भारतीय मानक ब्यूरो ने किया सम्मान 

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लखनऊ। विश्व मानक दिवस पर भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) के नई दिल्ली मुख्यालय में घरेलू प्राकृतिक डाई उत्पादों के लिए प्रमाणन प्रोटोकॉल तैयार करने में उत्कृष्ट योगदान हेतु यावर अली शाह को सम्मानित किया। केंद्रीय राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने उन्हें सम्मानित किया।

घरेलू प्राकृतिक डाई उत्पादों के लिए तैयार किया प्रमाणन प्रोटोकॉल 

यावर अली शाह भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) को घरेलू प्राकृतिक डाई उत्पादों के लिए सर्टिफिकेशन प्रोटोकॉल तैयार करने के लिए एक विशेष पैनल के ‘प्रोजेक्ट लीडर कम कन्वीनर ‘ नामित किया गया हैं। पूरे विश्व मे यह ऐसा पहला प्रोजेक्ट है, जिसके तहत प्राकृतिक डाई उत्पादों के लिए सर्टिफिकेशन प्रोटोकॉल तैयार किया गया है।

श्री शाह लखनऊ स्थित एएमए हर्बल के को फाउंडर और सीईओ भी हैं। वे बीते कई वर्षों से सतत विकास के लिए प्राकृतिक संसधानों के प्रगोग व पर्यावरण संरक्षण के लिए मुहिम चला रहे हैं। यह उनका ही योगदान है कि भारत मे एक बार फिर टेक्सटाइल इंडस्ट्री ने केमिकल डाइज के स्थान पर प्राकृतिक डाई के प्रयोग पर विशेष ध्यान देना शुरू किया है।

यावर अली शाह बीते 7 वर्षों से कपड़ा विभाग की बीआईएस समिति टेक्सटाइल स्पेशलिटी केमिकल्स एंड डाईस्टफ्स सैक्शनल कमेटी’, टीएक्सडी 07 से जुड़े हुए हैं।

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उन्होंने प्राकृतिक रंगों पर 3 मानक तैयार करने में उत्कृष्ट योगदान दिया है, जिसमें प्राकृतिक नील, रुबिया मदार, कत्था, लाख, पुनिका ग्रेनाटम, रयूम इमोडी, कन्ना इंडिका, गुलमेहंदी, सागौन, अर्जुन बार्क पर मानक शामिल हैं।

बीआईएस की मानक प्रचार गतिविधि के हिस्से के रूप में श्री शाह ने आजादी का अमृत महोत्सव के 75 वर्ष की पूर्व संध्या पर वस्त्रों के लिए रंग पर एक वेबिनार आयोजित करने में योगदान भी दिया है। इस अवसर पर बोलते हुए यावर अली शाह ने कहा, “यह सम्मान मिलना मेरे लिए गर्व की बात है

और सतत विकास के लिए टेक्सटाइल इंडस्ट्री में नेचुरल डाइज के प्रयोग के लिए प्रोटोकॉल विकसित करने की बात हम रखते आ रहे हैं, यह उस तथ्य को भी प्रमाणित करता है। यह विशेष रूप से आईएसओ मानकों को बनाने में काम के लिए पूरी टीम की जिम्मेदारी और सम्मान है।”

उन्होंने बताया, “प्राकृतिक रंगाई विकल्प के लिए हमारे पास कई प्राकृतिक अवयव मौजूद है। उत्पादन प्रक्रिया में यदि कार्बन फुटप्रिंट में कमी लानी हो तो कई चीजों के साथ-साथ बहुत अधिक धन की आवश्यकता होगी।

लाइफ साइकल एनालिसिस (एलसीए) रिपोर्ट में भी यह बात सामने आई है कि प्राकृतिक डाइज के प्रयोग से सिंथेटिक डाइज की तुलना में कार्बन फुटप्रिंट कई गुना तक कम किया जा सकता है। यदि हमें सतत विकास के उद्देश्य को प्राप्त करना है तो इसके लिए आज से ही प्रयास करने होंगे।”

वर्किंग ग्रुप आईएसओ-टीसी 38:

डब्लूजी टेक्सटाइल्स के लिए प्राकृतिक सामग्री में प्रोजेक्ट लीडर के रूप में काम करते हुए, भारत ने प्राकृतिक रंगों पर आईएसओ स्तर पर 3 मानक तैयार किए हैं। इनमें मैडर, कैटैच्यु, लाख, पुनिका ग्रेनाटम पर मानक शामिल हैं।

टीएक्सडी 07 टेक्सटाइल स्पेशलिटी केमिकल्स एंड डाईस्टफ्स सेक्शनल कमेटी, टीएक्सडी 07 के सक्रिय सदस्य के रूप में श्री शाह ने डाइस्टफ्स और ऑक्जिलरीज पर मानकों के संशोधन में भी योगदान दिया है।

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