लखनऊ। सीएसआईआर-सीडीआरआई, लखनऊ ने जीवविज्ञान संबंधी शोध में बेहद उपयोगी न्यूक्लिक एसिड (डीएनए/आरएनए) स्टेनिंग डाई की प्रौद्योगिकी को “ग्रीनआर™” के ट्रेड नाम के साथ उत्तर प्रदेश में पंजीकृत एक स्टार्ट-अप कंपनी जीनटूप्रोटीन प्राइवेट लिमिटेड को लाइसेंस किया है।
यूपी में पंजीकृत स्टार्टअप है जीनटूप्रोटीन (जीटीपी) प्राइवेट लिमिटेड
जीनटूप्रोटीन (जीटीपी) प्राइवेट लिमिटेड, वर्ष 2020 में उत्तर प्रदेश में पंजीकृत एक स्टार्ट-अप कंपनी है जो लाइफ साइंसेज संबंधी रिसर्च, विशेष रूप से मोलिक्युलर बायलोजी (आणविक जीव विज्ञान) में उपयोग किए जाने वाले अनेक किट्स, एंजाइम्स, और जैव-रासायनों की एक शृंखला विकसित करने में कार्यरत है।
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न्यूक्लिक एसिड स्टेनिंग डाई ग्रीनआर™ को सीडीआरआई के वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक डॉ. अतुल गोयल और उनकी टीम ने संस्थान के एक इंडस्ट्री पार्टनर बायोटेक डेस्क प्राइवेट लिमिटेड, हैदराबाद के साथ मिलकर विकसित किया है।
नई तकनीक स्वदेशी और बहुत ही किफ़ायती एवं सुरक्षित
सीडीआरआई के निदेशक डॉ. श्रीनिवास रेड्डी ने कहा कि “न्यूक्लिक एसिड स्टेनिंग डाई सेगमेंट में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के महंगे आयातित उत्पादों का बोलबाला है और यह मेक-इन-इंडिया उत्पाद लागत प्रभावी (किफ़ायती) तथा सुरक्षित है।
यह विदेशी आपूर्ति (आयात) पर हमारी निर्भरता को कम करेगा।
उन्होंने आगे उल्लेख किया कि सीएसआईआर-सीडीआरआई, लखनऊ उत्तर प्रदेश में फार्मा क्लस्टर और स्टार्ट-अप संस्कृति के विकास के लिए प्रतिबद्ध है और यह इस दिशा में एक नया कदम है।” प्रौद्योगिकी के बारे में डॉ. अतुल गोयल ने बताया कि उत्पाद ग्रीनआर™ डाइ का उपयोग अनुसंधान और निदान के लिए डीएनए और आरएनए को डाइ करके चिन्हित करने के लिए किया जा सकता है।
यह नीली रोशनी या अल्ट्रा वायलेट लाइट में एक्सपोजर के माध्यम से जीनोमिक डीएनए, पीसीआर उत्पादों, प्लास्मिड और आरएनए जैसे न्यूक्लिक एसिड को डाइ (रंग) कर देता है।
जीवन विज्ञान अनुसंधान में उपयोगी है न्यूक्लिक एसिड स्टेनिंग डाई ग्रीनआर™
डॉ. श्रद्धा गोयनका, जीनटूप्रोटीन (जीटीपी) प्राइवेट लिमिटेड, की निदेशक ने बताया कि ग्रीनआर™ (GreenR™) की प्रभावकारिता और विषाक्तता का परीक्षण किया गया है और इस डाई के विभिन्न रिसर्च एप्लीकेशन्स (अनुप्रयोगों) का अब अध्ययन किया जा रहा है।
हम अभी एथिडियम ब्रोमाइड जैसे रंजकों (डाइ) पर निर्भर रहे हैं जो डीएनए स्ट्रैंड्स के बीच परस्पर जुड़ते हैं और बैक्टीरिया, जीव जंतुओं और मनुष्यों के लिए एक ज्ञात उत्परिवर्तन जनक (म्यूटेशन उत्पन्न करने वाले) के रूप में भी जाना जाता हैं।
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इसलिए इसका उपयोग, उपयोगकर्ता के लिए भी जोखिम भरा होता है और इसके निस्तारण (निपटान) के लिए भी विशेष उपचार की आवश्यकता होती है। विषाक्तता के इन मुद्दों को दूर करने के लिए, कुछ विदेशी कंपनियों जैसे थर्मोफिशर ने सुरक्षित डीएनए रंजकों (डाइज़) जैसे साइबरसेफ़ (Sybr Safe™) को विकसित किया है।
हालाँकि, इन रंजकों के निर्माण की उच्च लागत तथा आयात करने की वजह से ये और भी महंगे हो जाते है। ऐसे में एक नई सुरक्षित न्यूक्लिक एसिड (डीएनए/आरएनए) स्टेनिंग डाई का विकास, जिसे टीम ने “ग्रीनआर™” नाम दिया है, लाइफसाइंसेस और डीएनए-आधारित डायग्नोस्टिक्स के क्षेत्र में कार्य कर रहे शोधकर्ताओं को कम कीमत पर उपलब्ध हो सकेगी।
उन्होने आगे बताया कि इस उत्पाद के मोलिक्युलर डायग्नोस्टिक्स (आणविक निदान) में भी अनुप्रयोग हैं और यह रोगों के पीसीआर आधारित परीक्षणों में भी मदद करेगा। इस तकनीक से उनकी स्टार्ट-अप कंपनी के उत्पाद पोर्टफोलियो में वृद्धि तो होगी ही साथ ही आत्मानिर्भर भारत कि ओर हमें एक कदम आगे बढ़ाने में मदद भी मिलेगी।