सीडीआरआई ने अपने पूर्व निदेशक डॉ. वेद प्रकाश कंबोज को अर्पित किए श्रद्धासुमन

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सीडीआरआई के पूर्व निदेशक डॉ वीपी कंबोज का आकस्मिक निधन पर जालंधर में हो गया। इसके चलते सीडीआरआई परिसर में आयोजित एक श्रद्धांजलि सभा में पुष्पांजलि अर्पित की गई।

संस्थान की निदेशक डॉ राधा रंगरजन ने कहा कि डॉ. वेद प्रकाश कंबोज का व्यक्तित्व बहुत विशाल है उनके निधन से समस्त सीडीआरआई परिवार दुखी है लेकिन उनके द्वारा छोड़ी गई विरासत को याद कर हम उनके जीवन से प्रेरणा लें।

विज्ञान में उनका योगदान, सीडीआरआई में उनका नेतृत्व और जो भी लोग उनके संपर्क में आए उनके जीवन पर उनका गहरा प्रभाव हमेशा रहेगा एवं उनका नाम वैज्ञानिक इतिहास में अंकित रहेगा। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे और उनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों के वैज्ञानिकों को प्रेरित करती रहे।

बताते चले कि डॉ वी पी कंबोज, सीडीआरआई के पूर्व निदेशक एवं भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (एनएएससी; 2005-2006) के पूर्व अध्यक्ष थे। उनका जन्म पंजाब में हुआ था, उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ से अपनी उच्च शिक्षा प्राप्त की, जहां उन्होंने अपने कौशल को निखारा।

जर्मनी से रीप्रोडक्टिव बायलोजी ( प्रजनन जीव विज्ञान) एवं गर्भनिरोधक प्रौद्योगिकी में उन्नत प्रशिक्षण लिया। उनकी विशेषज्ञता प्रजनन जीव विज्ञान, प्रजनन नियमन और एंडोक्रिनोलॉजी में थी। 21 नवंबर 2023 को 86 वर्ष की आयु में उनका निधन जालंधर में हुआ।

डॉ. कंबोज वर्ष 1961 में एक शोध वैज्ञानिक के रूप में केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (सीडीआरआई), लखनऊ, के एंडोक्रिनोलॉजी विभाग में शामिल हुए थे, जहां वे एंडोक्रिनोलॉजी विभाग के प्रमुख बने, बाद में 1992 में, उन्होंने केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान, लखनऊ के निदेशक का पदभार संभाला एवं 1997 तक निदेशक बने रहे।

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डॉ. कंबोज ने 300 से अधिक शोध पत्र लेख लिखे थे। वह हर्बल मेडिसिन के रसायन विज्ञान तथा जीव विज्ञान सहित कई पुस्तकों के संपादक/लेखक रहे। उन्होंने नॉनस्टेरॉइडल गर्भनिरोधक गोली, ऑरमेलॉक्सिफ़ेन के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो प्रजनन स्वास्थ्य को आगे बढ़ाने के लिए उनकी प्रतिबद्धता का प्रमाण है।

उनके नेतृत्व में, सीडीआरआई अभूतपूर्व अनुसंधान और नवाचार के केंद्र के रूप में विकसित हुआ। अपने शोध से परे, डॉ. कंबोज एक समर्पित गुरु और मार्गदर्शक थे, जिन्होंने अनगिनत युवा वैज्ञानिकों के करियर को आकार दिया। प्रतिभा को प्रेरित करने और पोषित करने की उनकी क्षमता अद्वितीय थी, जिसने वैज्ञानिक समुदाय पर अमिट प्रभाव छोड़ा।

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