लखनऊ। दुनिया के प्रमुख दवा अनुसंधान संस्थानों में से एक सीएसआईआर-सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीडीआरआई) लखनऊ ने अमेरिका की एवेता बायोमिक्स से समझौता कर लिया।
इसके तहत सीडीआआई ने वानस्पतिक दवाओं की अगली पीढ़ी के विकास में अग्रणी भूमिका वाली अमेरिकी कंपनी एवेता बायोमिक्स को विशेष लाइसेंस देने की घोषणा की। इसके चलते कैवियुनिन-आधारित औषधि संयोजनों की सीडीआरआई की पेटेंटेड प्रौद्योगिकी का आगे नैदानिक विकास और व्यावसायीकरण होगा ताकि वह सभी को मिल सके।
अस्थि स्वास्थ्य दवा का विकास, व्यावसायीकरण के लिए एवेता बायोमिक्स को लाइसेंस
सीडीआरआई के एंडोक्रिनोलॉजी डिवीजन से डॉ. रितु त्रिवेदी की टीम ने दिखाया है कि कैवियुनिन स्केफ़ोल्ड एक लक्षित अभिक्रिया प्रणाली रखता है जो हड्डी के टूटने की प्रक्रिया को रोकती है और नई हड्डी के गठन को उत्तेजित करती है और साथ ही हड्डी के टर्नओवर मार्करों को भी कम करती है।एक दशक से चल रहे सीडीआरआई के इस शोध ने, प्रथम श्रेणी की दवा विकसित करने हेतु एक नया आयाम प्रदान किया है जो रोगग्रस्त व्यक्ति के माइक्रोबायोम को संशोधित करने की क्षमता रखता है। सीडीआरआई के निदेशक डॉ. प्रोफेसर तपस कुमार कुंडू ने कहा, “यह लाइसेंस हमारे नवोन्मेषी विज्ञान की क्षमता का एक प्रतिमान है।
कैवियुनिन स्कैफोल्ड युक्त दवा पहली मौखिक रूप से दी जाने वाली दवा
जो हमारे वैज्ञानिकों की सशक्त एवं विश्व-स्तरीय अनुसंधान उत्पादकता के मूल्य को प्रदर्शित करता है। हमने एवेता बायोमिक्स द्वारा यूएसएफडीए से कैंसर के उपचार हेतु उनकी वानस्पति दवाओं (बोटेनिकल ड्रग्स) के चार क्लीनिकल आईएनडी प्राप्त करने के उनके बेहतरीन ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए उनके साथ हाथ मिलाया है।
हम उम्मीद करते हैं कि सीडीआरआई के इस शोध के माध्यम से दुनिया भर में अस्थि संबंधित विकारों (रोगों) के साथ रहने वाले लोगों के लिए एक उत्तम औषधि तैयार की जा सकेगी।
ऑस्टियोपोरोसिस, फ्रैक्चर उपचार, ऑस्टियोआर्थराइटिस, एंडोक्रिनोलॉजिकल विकारों में अनुप्रयोग
एवेता बायोमिक्स, यूएसए के सीईओ डॉ पराग जी. मेहता ने बताया कि ऑस्टियोपोरोसिस एक पुरानी व्याधि है जिसके लिए जीवन भर उपचार की आवश्यकता होती है। घटती प्रभावकारिता और प्रतिकूल घटनाओं के बढ़ते जोखिम के कारण वर्तमान में उपलब्ध दवाओं की उपचार अवधि 1 से 5 वर्ष (दवा के आधार पर) के बीच है।
कैवियुनिन-आधारित चिकित्सा में ऑस्टियोपोरोसिस के लिए देखभाल के वर्तमान मानकों को बदलने की बहुत बड़ी क्षमता है। इसका संभावित लाभ जोखिम प्रोफ़ाइल, लंबे समय तक उपयोग के लिए वांछनीय प्रभावकारिता और सुरक्षा वर्तमान मैं उपलब्ध किस भी दवा से दोयम नहीं है बल्कि श्रेष्ठ ही होने की पूरी उम्मीद है। उन्होंने आगे कहा कि हम मरीजों के लिए इस नई दवा को लाने के लिए उत्साहित हैं और हमें खुशी है कि हम सीडीआरआई टीम की गूढ वैज्ञानिक जानकारी से लाभ उठा सकते हैं।
तीन में से एक महिला व 50 साल से अधिक के हर पांच पुरुषों को हाे सकता है ये फ्रैक्चर
तथ्यों को देखें तो दुनिया भर में, हर तीन में से एक महिला और 50 वर्ष से अधिक उम्र के हर पांच पुरुषों में से एक को ऑस्टियोपोरोटिक फ्रैक्चर की संभावना है। अकेले अमेरिका में, 50 वर्ष से अधिक आयु के अनुमानित 10 मिलियन लोगों को ऑस्टियोपोरोसिस है।
अमेरिका में हर दो में से एक महिला अपने जीवनकाल में एक बार नाजुक फ्रैक्चर अवश्य से पीड़ित होती है। अमेरिका में 43 मिलियन से अधिक लोगों में हड्डियों का द्रव्यमान कम है, जिससे उन्हें ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है।
50 मिलियन भारतीय महिलाएं ऑस्टियोपोरोसिस से पीड़ित
विश्व स्तर पर, 2019 में, 178 मिलियन नए फ्रैक्चर और फ्रैक्चर से जुड़े विकारों के 455 मिलियन मामले रिकॉर्ड किए गए थे। वहीं इंडियन सोसाइटी फॉर बोन एंड मिनरल रिसर्च (आईएसबीएमआर), भारत के अनुसार, 50 मिलियन भारतीय महिलाएं ऑस्टियोपोरोसिस से पीड़ित हैं।