लखनऊ। महिलाओं द्वारा संचालित विश्व की सबसे बड़ी आध्यात्मिक संस्था प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की प्रथम मुख्य प्रशासिका मातेश्वरी सरस्वती की 58 वीं पुण्यतिथि आज विश्व के 140 से अधिक देशों में श्रद्धा के साथ मनाई गई। इस अवसर पर संस्था की स्थानीय शाखा विश्व कल्याणी भवन, खुर्शीद बाग फाटक, गणेश गंज लखनऊ में श्रद्धालुओं ने मातेश्वरी सरस्वती को श्रद्धा सुमन अर्पित किया तथा उनकी शिक्षाओं को याद किया।
शाखा की प्रबंधिका ब्रह्माकुमारी इंदिरा दीदी जी ने मातेश्वरी सरस्वती के साथ बिताए गए पलों को याद किया और बताया कि किस प्रकार मातेश्वरी एक स्थितप्रज्ञ अचल अडोल, परमात्मा पर पूरा निश्चय रखने वाली, शक्ति स्वरूपा देवी थी। उनकी अवस्था सदैव एक रस रहती थी। उनका कहना था कि हमारे लिए परमात्मा का हुकम सर्वोपरि है। वह गलती की पुनरावृति नहीं करती थी। मां के समान सभी श्रद्धालुओं को प्यार भरी पालना देती थी।
उनके सामने जाते ही नकारात्मक विचार का व्यक्ति भी शांत और सकारात्मक हो जाता था। श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए संस्था के वरिष्ठ भ्राता बद्री विशाल ने बताया के ज्ञान के प्रभाव से ही मातेश्वरी जी के समान, अवस्था अचल और स्थिर रह सकती है। समाज में जो भी झगड़े हैं उनका मूल कारण देह अहंकार अथवा अज्ञान है।
मातेश्वरी जी ने जीवन में जो धारण किया वही आम जनता को बताया। हमें भी मानवता के कल्याण के लिए मातेश्वरी जी के समान अपना जीवन श्रेष्ठ बनाते हुए, जो हमने अनुभव किया, जीवन में धारण किया, वही शिक्षा दूसरों को देना चाहिए। सभी जिज्ञासुओं ने प्रत्येक सप्ताह मातेश्वरी जी की एक विशेषता को जीवन में उतारने हेतु अभ्यास करने का संकल्प लिया। कार्यक्रम के अंत में विशेष प्रसाद का वितरण हुआ और परमात्मा की याद के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ।