कृष्ण चरित्र और रश्मिरथी वाचन से बच्चों ने लिया जीवन मूल्यों का पाठ

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श्री कृष्ण दत्त एकैडमी वृंदावन, सरोजनी नगर में जन्माष्टमी उत्सव बहुत धूमधाम से मनाया गया। जन्माष्टमी के अवसर पर कृष्ण दत्त अकैडमी के

विभिन्न ब्रांचो के अभिभावक शिक्षक और बच्चे हिंदी अंग्रेजी गणित और विज्ञान की पढ़ाई के साथ भारतीय सनातन धर्म के मूल्यों के महत्व को समझने और आपसी सौहार्द के साथ कृष्ण जन्म उत्सव के पर्व को मनाने के लिए एकत्रित हुए।

अभिभावकों बच्चों और शिक्षकों ने कृष्ण जन्म उत्सव के इस अवसर पर भगवान कृष्ण की जीवन के विभिन्न लीलाओं की झांकी देखी, तो वही भजन संध्या और कृष्ण राधा से जुड़े हुए लोक गीतों की भक्तिमय प्रस्तुति का सभी ने आनंद लिया।

वही रश्मिरथी के वाचन से शिक्षिका दीपाली ने सभी को संवादों की तारतम्य युक्त प्रस्तुति के माध्यम से कृष्ण चरित्र का वर्णन किया।

स्कूल के डायरेक्टर मनीष सिंह ने सभी को बताया कि आज के समय में यदि हम किसी को विश्व गुरु की संज्ञा दे सकते हैं तो वह है भगवान कृष्ण , आज जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में संघर्षों से निकलकर मेहनत दूरदृष्टि से हम जीवन को कैसे जी सकते हैं यह शिक्षा में भगवान कृष्ण के जीवन चरित्र से मिलता है।

आज के समय में यदि बच्चे युवा खुद की दिनचर्या को मोबाइल के साथ शुरू करते हैं और हमारे युवा विभिन्न प्रकार की बीमारियों और अवसाद से ग्रसित हो रहे हैं यदि हम उन्हें अच्छी सीख देना चाहते हैं तो योग ध्यान व्यायाम और अभ्यास की सीख को जीवन में अनुसरण कर ले सकते हैं।

आज कलयुग की ऐसी कोई समस्या नहीं जिसका उत्तर गीता के श्लोक में ना मिलता हो हमें बचपन से ही बच्चों को इसका अभ्यास कराना चाहिए।

उन्होंने बताया कलयुग में भी हमें गीता के पदों से भगवान कृष्ण के एक अच्छे मैनेजर होने के संदेश भी मिलते हैं किस प्रकार उन्होंने महाभारत जैसे युद्ध में भी अर्जुन को गीता जैसा व्यवस्थित ज्ञान दिया जिसकी प्रासंगिकता आज भी बनी हुई है। भगवान कृष्ण के जीवन आदर्श और गीता के संदेश आज हमारे जीवन के प्रेरणास्रोत है।

सर्वजन हिताय संरक्षण समिति महिला प्रकोष्ठ के अध्यक्ष रीना त्रिपाठी ने कहा कि विद्यालय प्रांगण में इस प्रकार का आयोजन वाकई बच्चों अभिभावकों और शिक्षकों के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा के संवहन हेतु अत्यंत आवश्यक है अन्य स्कूलों के प्रबंधन को भी कृष्ण दत्त अकादमी की इस पहल से सीख लेनी चाहिए।

इस प्रकार के आयोजन से जहां सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है वहीं दूसरी तरफ बच्चों को भारतीय सभ्यता और संस्कृति की सीख मिलती है।

उपस्थित सभी लोगों ने स्कूल के प्रांगण में इस प्रकार की आयोजन की सराहना की तथा आज के समय में बच्चों और युवाओं में संस्कार, भारतीय सभ्यता और संस्कृति ,रामायण और महाभारत तथा गीता के ऊर्जामय संवादों का चरितार्थ करना भी आवश्यक है।

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