फिल्मों की पायरेसी को रोकने के लिए सिनेमैटोग्राफ संशोधन विधेयक पारित

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सूचना व प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर

लोकसभा से फिल्मों की पायरेसी पर रोक लगाने के लिए लाया गया सिनेमैटोग्राफ संशोधन विधेयक पारित हो गया।
सिनेमैटोग्राफ (चलचित्र) संशोधन विधेयक का उद्देश्य फिल्म पायरेसी को रोकने और केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) द्वारा दिए गए आयु-आधारित प्रमाणन में सुधार के साथ-साथ सभी प्लेटफार्मों पर फिल्मों और सामग्री के वर्गीकरण में एकरूपता लाना है।

ये बिल पहले ही राज्यसभा से पास हो गया है और राष्ट्रपति के अनुमोदन मिलने के बाद ये संशोधन प्रभाव में आएगा।
उन्होंने बोला कि, फिल्मों ने आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नाम किया है। इससे लाखों लोगों की रोजी-रोटी जुड़ी हुई है। उनके हितों को देखते हुए केंद्र सरकार पायरेसी को रोकने के लिए यह विधेयक लाई है। फिल्मों से गांव-गांव की बातें देश-दुनिया में पहुंचाने का मौका प्राप्त हुआ है।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की सॉफ्ट पावर ने एक नई पहचान बनाई है। लाखों लोगों को रोजगार देने की क्षमता है। ऐसे बहुत सारे लोगों के हितों का ध्यान में रखते हुए इस विधेयक को लाया गया है। लोकसभा में सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने सदन के पटल पर सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) विधेयक 2023 पर विचार करने और पारित करने के लिए पेश किया था।

सदन में इस विधेयक पर चर्चा के बाद बयान देते हुए केंद्रीय मंत्री ने बोला कि, इस विधेयक का पारित होना महत्वपूर्ण है। फिल्म जगत से जुड़े सभी लोगों के अधिकारों को संरक्षण देने वाला और उनके हितों की रक्षा करने वाला विधेयक है। उन्होंने बोला कि सिनेमेटोग्राफ (संशोधन) विधेयक 2023 के लिए बहुत लंबा समय लगा।

वर्ष 1952 के बाद 1981 में एक बड़ा संशोधन हुआ था और चार दशक का समय लगा, इस दौरान भारतीय सिनेमा में बहुत कुछ बदला है। इन वर्षों में फिल्मों को बनाने के तरीके से लेकर इसे पायरेसी से चुराने तक के तरीके में बदलाव हुआ है।

इंटरनेट से पाइरेटेड फिल्में कुछ सेकंड में लाखों जगह भेजी जा सकती है, जिससे फिल्म बनाने वाले की मेहनत पर पानी फिर जाता है। यह विधेयक पायरेसी की वजह से फिल्म को होने वाले नुकसान से बचायेगा। पायरेसी के कारण फिल्म उद्योग को काफी नुकसान होता है। यह विधेयक सिनेमैटोग्राफी अधिनियम 1952 को संशोधित करेगा।

इस विधेयक में कुछ नई कैटेगरीज जैसे UA 7+, UA 13+ और UA 16+ को जोड़ा गया है। विधेयक संसद में पास होने के बाद फिल्मों के सर्टिफिकेशन में ऐसी कैटेगरीज देखने को मिलेंगी।

इसके अलावा बिना इजाजत फिल्म की कॉपी बनाने वाले व्यक्ति को तीन महीने से तीन वर्ष तक की जेल हो सकती है। साथ ही उसके ऊपर 3 लाख का जुर्माना भी लग सकता है।

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