गोमती तट पर योग व पर्यावरण चेतना का संगम : रिवर योगा अभियान पूरा

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लखनऊ : पर्यावरण जागरूकता और समग्र स्वास्थ्य को एक सूत्र में पिरोते हुए, रिवर योगा अभियान जो 137 कॉम्पोजिट इकोलॉजिकल टास्क फोर्स बटालियन (प्रादेशिक सेना) 39 गोरखा राइफल्स की गोमती टास्क फोर्स द्वारा संचालित किया गया का आज अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर कुडिया घाट, लखनऊ में एक भव्य सार्वजनिक कार्यक्रम के साथ समापन हुआ।

60 दिवसीय पहल का समापन अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर सामूहिक योग प्रदर्शन के साथ

21 अप्रैल 2025 को प्रारंभ हुए इस 60-दिवसीय अभियान को स्टेट मिशन फॉर क्लीन गंगा (SMCG-UP), बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय (BBAU) और लखनऊ नगर निगम (LMC) के सहयोग से चलाया गया। यह पहल योगाभ्यास और पर्यावरण संरक्षण को समन्वित करते हुए नागरिकों को गोमती नदी से भावनात्मक और सक्रिय रूप से जोड़ने का प्रयास रही।

हर सुबह 6:00 से 8:00 बजे तक, कुडिया घाट, मनकामेश्वर घाट, झूलेलाल घाट, गौ घाट और छठ घाट (लक्ष्मण मेला मैदान) पर योग सत्रों और घाट स्वच्छता अभियानों के माध्यम से सामुदायिक भागीदारी की लहर देखने को मिली।

प्रमाणित योग प्रशिक्षकों और प्रशिक्षित स्वयंसेवकों ने योग सत्रों का नेतृत्व किया, जिसके बाद छात्र, NCC/NSS कैडेट्स, नागरिक संगठनों और स्थानीय निवासियों ने घाटों की सफाई की।

अभियान के अंतर्गत “प्लास्टिक-फ्री घाट”, “स्वस्थ नदी, स्वस्थ जीवन” और “नदी के किनारे ध्यान” जैसे साप्ताहिक थीम रखे गए, जिनका उद्देश्य जन-जागरूकता को बढ़ाना और व्यक्तिगत स्वास्थ्य व पर्यावरणीय संतुलन के बीच गहरे संबंध को उजागर करना था।

आज के समापन कार्यक्रम में सामूहिक योग प्रदर्शन, 60 दिनों की गतिविधियों की प्रदर्शनी, तथा सहयोगियों और योगदानकर्ताओं का सम्मान किया गया।

इस अवसर पर गोमती टास्क फोर्स, SMCG और नगर निगम लखनऊ के वरिष्ठ अधिकारी एवं प्रतिनिधि, प्रो. (डॉ.) वेंकटेश दत्ता, प्रमुख, पर्यावरण विज्ञान विभाग, BBAU, विश्वविद्यालय के शिक्षकगण, छात्र, स्थानीय नागरिक, एवं विभिन्न NGO से जुड़े 300 से अधिक स्वयंसेवक उत्साहपूर्वक उपस्थित रहे।

इस अवसर पर राज्यसभा सांसद और उत्तर प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा, तथा उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व राज्य मंत्री और पूर्व विधान परिषद सदस्य मोहसिन रज़ा विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहे।

प्रो. राज कुमार मित्तल, कुलपति, BBAU, ने भी अभियान के दौरान अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और इस तरह की सैन्य-शैक्षिक-सिविल भागीदारी को पर्यावरणीय पुनर्जीवन हेतु अत्यंत उपयोगी बताया।

अभियान की 60 दिवसीय अवधि में पर्यावरणविद्, योग विशेषज्ञ, सामाजिक कार्यकर्ता और गोंमती संरक्षण से जुड़े संगठन सक्रिय रूप से जुड़े रहे। रिवर योगा अभियान इस बात का सशक्त उदाहरण है कि कैसे सैन्य बलों, शैक्षिक संस्थानों, नगर निकायों और आम जनता के समन्वय से स्थायी और जन-आधारित पर्यावरणीय बदलाव लाया जा सकता है।

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