योग और गंगा का संगम: कुडिया घाट पर ‘एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य’ का संदेश

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अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2025 के अवसर पर लखनऊ के ऐतिहासिक गोमती तट पर स्थित कुडिया घाट पर ‘घाट पर योग’ का एक भव्य और भावनात्मक आयोजन संपन्न हुआ। इस आयोजन का उद्देश्य न केवल योग को बढ़ावा देना था, बल्कि स्वच्छता, जनसहभागिता और नदी संरक्षण जैसे विषयों को भी केंद्र में लाना था।

राज्य स्वच्छ गंगा मिशन-उत्तर प्रदेश द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में जिला गंगा समिति, अवध वन प्रभाग और गोमती टास्क फोर्स का समर्पित सहयोग रहा। इस वर्ष की थीम “Yoga for One Earth, One Health” को समर्पित यह आयोजन योग और प्रकृति के बीच सामंजस्य का जीवंत प्रतीक बनकर उभरा, जिसने लोगों को तन और मन दोनों स्तरों पर छू लिया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सांसद डॉ. दिनेश शर्मा ने योग को भारतीय संस्कृति की आत्मा बताते हुए इसे नदियों से जोड़ने के प्रयासों की सराहना की।

उन्होंने कहा कि जब योग नदी के किनारे होता है, तो वह केवल व्यायाम नहीं, बल्कि एक आंतरिक और बाह्य शुद्धिकरण बन जाता है। विशिष्ट अतिथि के रूप में पधारे पूर्व राज्य मंत्री मोहसिन रज़ा ने युवाओं से आह्वान किया कि वे योग, स्वच्छता और नदी संरक्षण जैसे अभियानों में सक्रिय भूमिका निभाएं और इस जनआंदोलन को गति प्रदान करें।

कार्यक्रम का शुभारंभ सुबह 5:30 बजे प्रतिभागियों के उमंगपूर्ण आगमन के साथ हुआ। घाट पर चारों ओर योगमय वातावरण बना हुआ था। सुबह 6:00 बजे अतिथियों का आत्मीय स्वागत किया गया और इसके पश्चात 6:10 बजे से सामूहिक योगाभ्यास प्रारंभ हुआ।

इस योग सत्र का संचालन अनुभवी योग प्रशिक्षकों कुलदीप सिंह यादव, ओ.पी. सिंह, सचिदानंद पांडेय और शिवांगी श्रीवास्तव ने किया।

उन्होंने सामान्य योग प्रोटोकॉल के अंतर्गत प्रतिभागियों को विभिन्न आसनों, प्राणायाम और ध्यान के माध्यम से योग की अनुभूति कराई। घाट पर बहती ठंडी हवा, सूर्य की पहली किरणें और सैकड़ों लोगों के साथ मिलकर किया गया योगाभ्यास एक अलौकिक अनुभव बन गया।

इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का “One Earth, One Health” पर आधारित राष्ट्र के नाम संदेश सजीव प्रसारण के माध्यम से दिखाया गया।

उन्होंने योग को मानव और प्रकृति के बीच सेतु बताते हुए इसे वैश्विक स्वास्थ्य और मानसिक संतुलन का आधार बताया। प्रधानमंत्री का संदेश घाट पर उपस्थित सभी प्रतिभागियों के हृदय को छू गया और उन्होंने इसे अपनी दिनचर्या में अपनाने का संकल्प लिया।

योग सत्र के बाद घाट पर एक और जीवंत दृश्य सामने आया जब ज़ुम्बा सेशन का आरंभ हुआ। प्रसिद्ध ज़ुम्बा प्रशिक्षक लक्ष्मी बिष्ट और रोहित कनोजिया ने पूरे जोश और ऊर्जा के साथ सत्र का संचालन किया। युवाओं, महिलाओं और बच्चों की बड़ी संख्या ने इस गतिशील व्यायाम में भाग लिया।

संगीत की धुनों, तालियों की गूंज और मुस्कराते चेहरों ने घाट को एक जीवंत उत्सव स्थल में बदल दिया। यह सत्र न केवल एक फिटनेस एक्टिविटी था, बल्कि यह यह दिखाने वाला प्रतीक था कि स्वस्थ जीवनशैली को कैसे हर्षोल्लास के साथ अपनाया जा सकता है।

इस अवसर पर “रिवर योग कैंपेन” के 60 दिवसीय सफर का भी भव्य समापन हुआ, जिसे राज्य स्वच्छ गंगा मिशन, गोमती टास्क फोर्स, बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय और नगर निगम लखनऊ के समन्वित प्रयासों से संचालित किया गया था।

इस अभियान में गोमती नदी के विभिन्न घाटों जैसे कुडिया घाट, गौ घाट, झूलेलाल घाट आदि को केंद्र में रखते हुए योग सत्र, जनसहभागिता आधारित सफाई अभियान और नदी संरक्षण की गतिविधियाँ चलाई गईं।

इस पूरे अभियान की अध्यक्षता मेजर कंवर नागी द्वारा की गई और गोमती टास्क फोर्स की पूरी टीम – जिसमें उत्साही युवा, स्वयंसेवी संगठन और नागरिक समाज शामिल रहे – ने इसमें अभूतपूर्व भूमिका निभाई।

इन साठ दिनों के माध्यम से नदी के किनारे न केवल स्वच्छता का संदेश फैला, बल्कि एक भावनात्मक जुड़ाव भी विकसित हुआ जिसने नागरिकों को नदियों के प्रति संवेदनशील बनाया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता राज्य स्वच्छ गंगा मिशन की यूनिट हेड (कम्युनिकेशन एवं आउटरीच) श्रीमती सोनालिका सिंह ने की, जिनकी सकारात्मक ऊर्जा और मार्गदर्शन ने आयोजन को दिशा दी। मिशन से अनिल कुमार गुप्ता, मिथिलेश मिश्रा, शैव्या सिंह और प्रमिला ने भी सक्रिय भागीदारी निभाई।

जिला गंगा समिति, लखनऊ की ओर से जिला परियोजना अधिकारी शिवांग वर्मा ने पूरे आयोजन के समन्वयन में अहम् भूमिका निभाई और सुनिश्चित किया कि प्रत्येक गतिविधि निर्धारित समय और गरिमा के साथ सम्पन्न हो।

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अवध वन प्रभाग की ओर से डिप्टी रेंजर अंकित शुक्ला की उपस्थिति भी उल्लेखनीय रही, जिन्होंने वन विभाग की भागीदारी को इस आयोजन से जोड़ा। इसके अतिरिक्त आयोजन में प्रो. वेंकटेश दत्ता, ज्ञानेंद्र सिंह और राजेन्द्र चौधरी जैसे विद्वानों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की उपस्थिति ने वातावरण को और भी प्रेरणादायक बना दिया।

इस आयोजन के दौरान प्रतिभागियों को योग टी-शर्ट और योग मैट्स वितरित किए गए, जिससे उनमें सहभागिता की भावना और प्रबल हुई। यह केवल आयोजन नहीं था, यह एक चेतना थी – शरीर, मन और समाज को जोड़ने वाली।

यह आयोजन गोमती तट को केवल एक भौगोलिक स्थल नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक ऊर्जा केंद्र में रूपांतरित करने वाला क्षण था।

“Yoga for One Earth, One Health” की भावना को मूर्त रूप देने वाला यह कार्यक्रम लखनऊ वासियों के स्मृति-पटल पर लंबे समय तक अंकित रहेगा और भावी आयोजनों के लिए प्रेरणास्त्रोत बनेगा।

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