मांसपेशियाँ महत्वपूर्ण, बढ़ती उम्र एवं बीमारी के साथ नष्ट भी होती हैं : डॉ. ज्योत्सना धवन

0
277

लखनऊ : सीएसआईआर-सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट लखनऊ ने भारत में अग्रणी दवा अनुसंधान और विकास की अपनी समृद्ध विरासत की याद में शनिवार को अपना 73वां वार्षिक दिवस मनाया।

वार्षिक कार्यक्रम में 49वें सर एडवर्ड मेलानबी मेमोरियल ओरेशन का भी आयोजन किया गया, जिसमें संस्थान के संस्थापक निदेशक के इस क्षेत्र में उनके अमूल्य योगदान को सम्मानित करते हुए याद किया।

सीडीआरआई की महत्वपूर्ण उपलब्धियों और योगदानों पर चर्चा से मनाया गया 73वां वार्षिक दिवस

सीडीआरआई निदेशक डॉ. राधा रंगराजन ने मुख्य अतिथि भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी के अध्यक्ष तथा भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के पूर्व सचिव डॉ. आशुतोष शर्मा के साथ, सीएसआईआर-सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी, हैदराबाद की प्रतिष्ठित वैज्ञानिक डॉ. ज्योत्सना धवन सहित अन्य अतिथियों का स्वागत किया।

संस्थान ने सीएसआईआर-सीडीआरआई के पूर्व निदेशक पद्मश्री डॉ. नित्या आनंद तथा डॉ. वीपी कंबोज को श्रद्धांजलि अर्पित की जिनका हाल ही में निधन हुआ है। डॉ. रंगराजन ने वैज्ञानिक विकास में उनके महत्वपूर्ण योगदान पर प्रकाश डाला, जिसमें संस्थान द्वारा दुनिया भर में आपूर्ति की जाने वाली विभिन्न दवाओं और प्रौद्योगिकियों की उन्नति भी शामिल है।

मांसपेशियाँ स्वस्थ जीवन के लिए जरूरी हैं

डॉ. ज्योत्सना धवन ने 49वें सर एडवर्ड मेलानबी मेमोरियल ओरेशन पर व्यख्यान दिया, उन्होंने विशेष रूप से मांसपेशी पुनर्जनन के क्षेत्र में चिकित्सा को सुविधाजनक बनाने में स्टेम सेल की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। डॉ. धवन का व्याख्यान, कोशिका जीवविज्ञान की पेचीदगियों पर प्रकाश डालता है,

जिसमें मांसपेशियों के पुनर्जनन की प्रक्रिया एवं स्टेम सेल निष्क्रियता के महत्व पर ध्यान केंद्रित किया गया है। उन्होंने कहा, मांसपेशियां न केवल स्वस्थ जीवन के लिए मायने रखती हैं, बल्कि इसलिए भी कि यह उम्र बढ़ने तथा मस्कुलर डिस्ट्रॉफी सहित बीमारियों के कारण नष्ट हो जाती हैं

जो अपने आप में एक डिजीज मार्कर (रोग के लक्षण) का भी काम करती हैं। डॉ. धवन ने प्रभावी उपचारों की तत्काल आवश्यकता पर बल देते हुए मांसपेशीय विकारों की व्यापकता और प्रभाव पर जोर दिया। डॉ. धवन ने बताया कि कैसे वयस्क की मांसपेशियों में चोट के बाद पुनर्जीवित होने की उल्लेखनीय क्षमता होती है,

मुख्य रूप से यह सैटेलाइट सेल के रूप में ज्ञात विशेष वयस्क स्टेम सेल की उपस्थिति के कारण होता हैं। उन्होंने पुनर्जनन प्रक्रिया को व्यवस्थित करने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालते हुए, स्टेम सेल निष्क्रियता और मांसपेशियों के कार्य के बीच जटिल परस्पर क्रिया पर प्रकाश डाला।

निदेशक सीएसआईआर-सीडीआरआई ने प्रस्तुत की वार्षिक रिपोर्ट 

सर एडवर्ड मेलानबी मेमोरियल ओरेशन के बाद, संस्थान की निदेशक, डॉ. राधा रंगराजन ने संस्थान की वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि वर्तमान में पांच दवाएं नैदानिक परीक्षणों में हैं, जिनमें कोविड-19 के लिए उमिफेनोविर, एनएएफएलडी (नॉन एल्कोहोलिक फेटी लीवर) के लिए पिक्रोलिव,

दवा-प्रतिरोधी टीबी (ड्रग-रेजिस्टेंट टीबी) के लिए सेंटिनहेल, तेजी से फ्रैक्चर ठीक करने के लिए एस007-1500 तथ गर्भनिरोधन के लिए एल-ऑर्मेलॉक्सिफ़ेन शामिल हैं। उन्होंने मलेरिया, कीमोथेरेपी-प्रेरित न्यूरोपैथिक दर्द, कोलन कैंसर और हाइपरलिपिडिमिया के लिए प्रीक्लिनिकल पाइपलाइन में उम्मीदवार दवाओं की भी जानकारी की।

उन्होंने यह भी बताया कि संस्थान 8 प्रमुख सीएसआईआर मिशन परियोजनाओं में भाग ले रहा है, जिनमें पैन सीएसआईआर कैंसर मिशन, एंटीवायरल मिशन, एपीआई मिशन, आईएनडी मिशन आदि शामिल हैं।

संस्थान के वैज्ञानिकों को भारत की विज्ञान अकादमियों की फ़ेलोशिप, प्रमुख एजेंसियों और वैज्ञानिक सोसाइटीज द्वारा पुरस्कार सहित कई प्रमुख सम्मान और पुरस्कार प्राप्त हुए।

डॉ. राधा रंगराजन ने वैज्ञानिकों के प्रति आभार व्यक्त किया और वैज्ञानिक विकास में उनके महत्वपूर्ण योगदान को स्वीकार करते हुए उन्हें “थिंकिंग बिग, ऐमिंग हाई” (बड़ा सोचो, ऊंचा लक्ष्य रखो) के आदर्श वाक्य के साथ मूल/प्रेरक प्रगति को संरक्षित करने के लिए अभिप्रेरित किया।

उन बिंदुओं को जोड़ना जो पहले नहीं जुड़े, ही रचनात्मकता की कुंजी है: डॉ. आशुतोष शर्मा

वार्षिक दिवस समारोह के मुख्य अतिथि डॉ. आशुतोष शर्मा ने दर्शकों को संबोधित किया, आज के परिवेश में भारतीय विज्ञान की ताकत और कमजोरियों पर चर्चा की, और विज्ञान और प्रौद्योगिकी में प्रमुख चुनौतियों एवं अवसरों पर भी प्रकाश डाला।

उन्होंने रचनात्मकता के लिए उन बिंदुओं को जोड़ने की आवश्यकता पर जोर दिया जो पहले नहीं जुड़े थे। अर्थात नए दृष्टिकोण को अपना कर ही अनुसंधान में रचनात्मकता लाई जा सकती है। उन्होने विज्ञान को बढ़ाने के लिए एक उपकरण के रूप में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की ज्ञान भूमिका पर जोर दिया साथ ही इसके संभावित दुरुपयोग के प्रति आगाह करते हुए ।

सीडीआरआई और सिप्ला ने किया एमओयू

सीएसआईआर-सीडीआरआई ने फंगल केराटाइटिस के लिए संयुक्त रूप से एक नया नेत्र संबंधी फॉर्मूलेशन विकसित करने के लिए वैश्विक दवा कंपनी ‘सिप्ला’ के साथ भी सहयोग किया है।

सीडीआरआई ने आंखों में इसकी डिलीवरी को अनुकूलित करने के लिए एक एंटीफंगल दवा के लिए एक प्रोटोटाइप फॉर्मूलेशन विकसित किया है। प्रीक्लिनिकल अध्ययनों में पाया गया है कि, यह फॉर्मूलेशन फंगल संक्रमण को तेजी से रोक कर रोग निदान में सक्षम है।

सिप्ला उत्पाद का को आगे विकसित केरने हेतु आवश्यक मानव नैदानिक परीक्षण करेगी, और जरूरतमंद लोगों के लिए पहुंच सुनिश्चित करते हुए व्यावसायीकरण के लिए विनियामक अनुमोदन भी लेगी।

ये भी पढ़ें : सीडीआरआई का वार्षिक दिवस कल, होगा सर एडवर्ड मेलानबी मेमोरियल ओरेशन

डॉ. रबी एस. भट्टा के नेतृत्व में सीडीआरआई वैज्ञानिकों की टीम, जिसमें डॉ. संजीव कुमार शुक्ला, डॉ. सिद्धार्थ चोपड़ा और डॉ. माधव एन. मुगले भी शामिल हैं, ने साथ मिलकर एक अनूठा फॉर्मूलेशन विकसित किया है जो इस एंटीफंगल दवा को लंबे समय तक आंखों में बने रह कर रोग निदान को अधिक कारगर बनाता है।

सीएसआईआर-सीडीआरआई ने फॉस्फोरामिडाइट-आधारित क्वेंचर्स तकनीक के लिए ईएसएससीईई (एससी) बायोटेक इंडिया के साथ एक लाइसेंसिंग समझौते पर हस्ताक्षर किया

सीएसआईआर-सीडीआरआई ने ईएसएससीईई बायोटेक इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के साथ जीव विज्ञान अनुसंधान और बायोमेडिकल अनुप्रयोगों के लिए फॉस्फोरामिडाइट-आधारित क्वेंचर्स की तकनीक के लिए लाइसेंसिंग समझौते पर हस्ताक्षर किए।

डॉ. अतुल गोयल के नेतृत्व वाली टीम ने फॉस्फोरामिडाइट-आधारित क्वेंचर्स के लिए एक किफायती तकनीक विकसित कि है जिसका उपयोग न्यूक्लिक एसिड अनुसंधान के लिए अभिकर्मकों के रूप में किया जाता है।

यह सस्ती एवं स्वदेशी तकनीक न केवल लागत कम करेगी बल्कि इसका उपयोग अनुसंधान और निदान के लिए नए न्यूक्लिक एसिड अभिकर्मकों को विकसित करने के लिए भी किया जाएगा।

इसके अलावा, सीएसआईआर-सीडीआरआई ने बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस पिलानी, गोवा और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च कोलकाता के साथ दो शैक्षणिक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर भी हस्ताक्षर किए।

कार्यक्रम का समापन उन स्टाफ सदस्यों को सम्मानित करने के साथ हुआ, जिन्होंने 25 वर्ष की सेवा पूरी कर ली है और जो पिछले एक वर्ष में सेवानिवृत्त हुए हैं। वार्षिक दिवस समारोह के आयोजन सचिव डॉ. संजय बत्रा ने धन्यवाद प्रस्ताव दिया।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here