लखनऊ : सीएसआईआर-केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान ने राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस 2025 को बड़े उत्साह और जोश के साथ मनाया। आज ट्रांसलेशनल रिसर्च पर श्रृंखला का एक व्याख्यान भी आयोजित किया गया।
डॉ. अनुराग अग्रवाल, डीन बायोसाइंसेज एंड हेल्थ रिसर्च, हेड कोइता सेंटर फॉर डिजिटल हेल्थ, अशोका यूनिवर्सिटी ने इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
इस अवसर पर सीडीआरआई के वैज्ञानिकों, शोधार्थियों, विभिन्न प्रौद्योगिकी के आविष्कारकों और सफलतापूर्वक अपने पेटेंट दाखिल करने वालों को भी सम्मानित किया गया।
सीडीआरआई में ट्रांसलेशनल रिसर्च लेक्चर सीरीज में व्याख्यान से मना राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस
कार्यक्रम की शुरुआत सीएसआईआर-सीडीआरआई की निदेशक डॉ. राधा रंगराजन के गर्मजोशी भरे स्वागत से हुई, जिन्होंने राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस की कार्यवाही की शुरुआत की।
डॉ. अनुराग ने “क्या कृत्रिम मेधा (एआई) जीव विज्ञान की नई भाषा है?” विषय पर एक सारगर्भित व्याख्यान दिया, जिसमें बायोमेडिकल-विज्ञान और प्रौद्योगिकी में एआई के महत्व पर जोर दिया गया।
उन्होंने जोर देकर कहा कि अगर कृत्रिम मेधा (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) का समझदारी से इस्तेमाल किया जाए तो ये बायोमेडिकल रिसर्च के लिए बहुत उपयोगी हो सकता है।
डॉ. अग्रवाल के व्यावहारिक सम्बोधन ने कृत्रिम मेधा (एआई) के उपयोग में प्रॉम्प्ट (कंप्यूटर को कार्य/ गणना हेतु निर्देश देना) की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला।
महत्वपूर्ण और बुद्धिमानी से इस्तेमाल किए गए प्रॉम्प्ट (त्वरित आदेश) स्वास्थ्य सेवा परिदृश्य को आकार देने में एवं अनुसंधान प्राथमिकताओं की पहचान करने में सहायक सिद्ध होंगे।
इस कार्यक्रम में वर्ष 2024-2025 के लिए संस्थान की वार्षिक रिपोर्ट भी जारी की गई, जिसमें औषधि अनुसंधान एवं विकास के क्षेत्र में की गई उल्लेखनीय प्रगति को दर्शाया गया।
बताते चले कि एआई (AI) में प्रॉम्प्ट का मतलब है कंप्यूटर को किसी खास विषय, कार्य या उद्देश्य पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करने के लिए संकेत देना।
प्रॉम्प्ट टेक्स्ट का एक अंश, एक शब्द या यहां तक कि एक छवि भी हो सकती है। लेखन प्रॉम्प्ट एक प्रकार का मूल्यांकन या गतिविधि है जो कंप्यूटर को किसी दिए गए विषय के बारे में एक निश्चित तरीके से लिखने के लिए निर्देशित करता है।
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