साइकिलिंग का जुनून, ओलंपिक में गोल्ड जीतना लक्ष्य : अफरोज आलम

0
562

लखनऊ। साल 1972 में आई एक मूवी थी शोर जिसमें एक गाना था जीवन चलने का नाम, चलते रहो सुबहो शाम जिसमें मनोज कुमार सुबह से शाम तक साइकिल चलाते है। बिहार के बेतिया के निवासी अफरोज आलम ने पढ़ाई के लिए रोज 30 किमी. का सफर तय करते हुए इस गाने को सुनने के बाद साइकिलिंग में कॅरियर बनाने की ठान ली।

हालांकि उनके इस सपने के सामने कई दिक्कत थी लेकिन फेसबुक व अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर साइकिलिंग को प्रमोट करने वाले लखनऊ निवासी आनन्द किशोर पाण्डेय के बारे में पता चला, बस इसके बाद अपने गांव से लखनऊ तक का सफर अफरोज ने साइकिल से 514 किमी. का सफर तय कर डाला।

बेतिया से लखनऊ तक 514 किमी. चलाई साइकिल

इसके बाद लखनऊ पहुंचे अफरोज से मुलाकात के बाद आनंद किशोर पाण्डेय ने इस उभरते हुए खिलाड़ी को प्रमोट करने के लिए प्रायोजित करने का फैसला लिया।

अफरोज ने अपने साइकिल के जुनून के चलते अपनी रेसिंग साइकिलिंग को मोडिफाई भी किया था। इसके साथ उन्होंने कई कंप्टीशन में हिस्सा लेने के साथ पुरस्कार भी जीते। हालांकि जब उन्होंने 2020 में इस बारे में सोचा कि उन्हें साइकिलिंग ही करनी है तो उनके सामने सबसे बड़ी दिक्कत ये आई कि बिहार में इसके लिए अभ्यास की सुविधा पटना और उसके पास के कुछ जिलों में सिमटी थी।

ये भी पढ़े : डिजिटल दौर में गुम सा हो गया मैनुअल स्कोर बोर्ड संचालन का चलन

यह देखकर पांच बहन और दो भाईयों के परिवार का पालनपोषण करने वाले उनके राजमिस्त्री पिता ने उन्हें सलाह दी कि वह अपने सिलाई के काम पर ध्यान दे ताकि परिवार का पालन-पोषण आराम से हो सके। हालांकि आर्थिक दिक्कतों का सामना करने वाले अफरोज ने खेल में कॅरियर बनाने की ठान ली और सोशल मीडिया पर साइकिलिंग की ट्रेनिंग के बारे में जानकारी जुटानी चालू की।

यहां उन्हें प्रोफेशनल साइक्लिस्ट लखनऊ के आनंद किशोर पाण्डेय (सचिव पेडल यात्री साइकिलिंग एसोसिएशन) का पता चला। बस उन्होंने इसके बाद लखनऊ का सफर साइकिल से ही तय करने की ठान ली। उन्होंने 11 मार्च को साइकिल चलानी शुरू की और 13 मार्च को लखनऊ पहुंचे। वहां उन्होंने डालीगंज ऑफिस में पहुंच कर मुलाकात की।

इस बारे में आनन्द किशोर पाण्डेय ने बताया कि अभी अफरोज की बिहार के औरंगाबाद में प्रोफेशनल साइकिलिंग की एक माह की ट्रेनिंग की व्यवस्था की है। इसके बाद अफरोज लखनऊ में रहकर ट्रेनिंग करेंगे इस दौरान अफरोज के ट्रेनिंग से लेकर रहने का पूरा खर्चा वह वहन करेंगे।

अफरोज बेतिया के पास बहुवारवां के रहने वाले है। मदरसे से मौलवी की पढ़ाई कर चुके अफरोज ने बेतिया के एमजेके कॉलेज से अंग्रेजी व अरबी में बीए भी किया है। खर्चे निकालने के लिए सिलाई का काम करने वाले अफरोज प्रतिदिन कॉलेज जाने के लिए रोज गांव से बेतिया और वापसी में बेतिया आने के लिए 60 किमी. साइकिल चलाते थे। इसके चलते उन्होंने 2019 में तय किया कि अब वह साइकिलिंग के अपने शौक को पूरा करके खेल की दुनिया में आगे बढ़ेंगे।

अफरोज की उपलब्धि
  • वाल्मीकि नगर (बेतिया) में साइक्लोथान-2020 में 107 किमी. साइकिलिंग में पहला स्थान
  • साइक्लोथान (बेतिया)-2021 में 20 किमी.साइकिलिंग में पहला स्थान
  • हरियाणा में नवंबर, 2021 में 30 किमी.साइकिल चैलेंज में पहला स्थान

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here