गन्ने में जीनोम एडिटिंग से नए उत्पाद विकसित करें लेकिन जैव सुरक्षा का रखें ध्यान

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लखनऊ। “चीनी और एकीकृत उद्योगों की स्थिरता: मुद्दे और पहल” विषय पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन -शुगरकॉन 2022 के रविवार को पहले दिन मुख्य अतिथि डॉ. तिलक राज शर्मा, उपमहानिदेशक (फसल विज्ञान, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली) ने गन्ने में जीनोम एडिटिंग से नए उत्पादों को विकसित करके जैव सुरक्षा मुद्दों को ध्यान में रखते हुए रिलीज करने की आशा जताई।

“चीनी और एकीकृत उद्योगों के अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन -शुगरकॉन 2022 की शुरुआत

भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ, सोसाइटी फॉर शुगर रिसर्च एंड प्रमोशन (एसएसआरपी) और एसोसिएशन ऑफ प्रोफेशनल्स इन शुगर एंड इंटीग्रेटेड इंडस्ट्रीज (आईएसपीएसआईटी) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित चार दिवसीय सम्मेलन के दौरान उन्होंने विश्व खाद्य दिवस की बधाई दी।

गन्ने को भारतीय अर्थव्यवस्था में अहम योगदान वाली फसल बताते हुए वैज्ञानिकों से गन्ने की जलवायु सहनशील, पोषक तत्व एवं जल प्रयोग प्रभावी क़िस्मों के विकास, गन्ने के रस से गुणवततापूर्ण चीनी, गुड, शीरा, इथेनोल से द्वितीयक कृषि द्वारा मूल्य संवर्धित उत्पादों तथा नवीन मोलिक्युल्स के विकास की बात की।

डॉ. शर्मा ने चीनी उद्योग से गन्ना अनुसंधान संस्थानों को वितीय सहायता प्रदान करके पीपीपी मोड में शोध में सहभागिता करने की भी सलाह दी। वाणिज्यिक फसलें, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के सहायक महानिदेशक डॉ. आरके सिंह  ने बताया कि विश्व भर में गन्ने की केवल 10 क़िस्मों द्वारा 50% से अधिक क्षेत्रफल में खेती होती है।

डॉ. नरेंद्र मोहन, निदेशक, राष्ट्रीय शर्करा संस्थान, कानपुर ने भारतीय चीनी उद्योग में हो रहे अभूतपूर्व परिवर्तनों पर प्रकाश डालते हुए वर्ष 2047 तक गन्ना एवं चीनी उद्योग को विभिन्न नवीनतम उत्पादों  एवं विभिन्न व्यापार मॉडेल्स विकसित करके देश से विभिन्न उत्पादों को निर्यात करके किसानों एवं चीनी उद्योग की आय बढ़ाने पर ज़ोर दिया।

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डॉ. राजेश सिंह, कुलपति, दीन दयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय, गोरखपुर के कुलपति ने शुगरकॉन में शोध संस्थानों को शिक्षा जगत से अधिक करीब से जुड़ने को कहा जिससे विद्यार्थियों की नवीन पीढ़ी भी नवीनतम शोध से परिचित हो सके।

कार्यक्रम  की शुरुआत में डॉ. अश्विनी दत्त पाठक, निदेशक, भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ ने सभी उपस्थित अतिथिगणों का स्वागत किया। सम्मेलन के संरक्षक एवं चन्द्रशेखर आज़ाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कानपुर  के पूर्व कुलपति डॉ. सुशील सोलोमन ने सम्मेलन की थीम पर प्रकाश डाला।

चीन के प्रो. यंग पी. लुई ने सभी से वर्ष 2024 में वियतनाम में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लेने की अपील की। डॉ. जीएससी राव ने गन्ने की फसल को शर्करा फसल से ऊर्जा फसल बनने तथा चुकंदर, मक्का, धान व मीठी ज्वार आदि से भी इथेनोल बनाए जाने पर चीनी उद्योग में वर्ष पर्यंत रोजगार मिलने पर संतोष व्यक्त किया।

संजय अवस्थी, अध्यक्ष, एसटीएआई ने चीनी उद्योग द्वारा अन्य फसलों के इथेनोल बनाने की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए वर्ष 2025 में भारत में पेट्रोल में 20 % इथेनोल के सम्मिश्रण के सरकार के लक्ष्य को साकार करने में चीनी उद्योग की प्रतिबद्धता दोहराया।

सम्मेलन के आयोजक सचिव, डॉ. ए.के. साह ने उदघाटन सत्र के अंत में सभी अतिथियों तथा सहभागीयन के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करते हुए सम्मेलन की गतिविधियों पर विस्तार से प्रकाश डाला। कार्यक्रम का संचालन डॉ. अनीता सावनानी ने किया।

उदघाटन सत्र में शुगरकॉन की स्मारिका, शुगरटेक के नवीनतम अंक, भारत में चुकंदर के उत्पादन पर पुस्तक का विमोचन किया गया। इस सम्मेलन में भारत सहित विश्व के आठ अन्य देशों से 350 प्रतिनिधि भाग लें रहे हैं।

इस अवसर पर एक प्रदर्शनी में 40 से अधिक निर्माता, आपूर्तिकर्ता, सेवा प्रदान करने वाली संस्थाओं ने गन्ना कटाई यंत्र, नीम आधारित यूरिया, द्रवीय फास्फोरस, जैव उर्वरक, जैविक गुड, सिरका एवं अन्य विभिन्न उत्पादों का प्रदर्शन किया है।

इस अवसर पर एसएसआरपी द्वारा डॉ. अश्विनी दत्त पाठक, डॉ. जी. हेमप्रभा, डॉ. एस.सी. देशमुख, डॉ. आर. विश्वनाथन, डॉ. एस.एन. सिंह,  डॉ. कुलदीप सिंह, डॉ. रमेश जी. हापसे, डॉ. कुलदीप सिंह, डॉ. राकेश लक्ष्मण, डॉ. डी,पी. सिंह, डॉ. रमेश सुंदर, डॉ. ए.के. साह, डॉ. एम. स्वप्ना, डॉ. एस.पी. सिंह  तथा डॉ. प्रियंका सिंह सहित 12 वैज्ञानिकों को विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।

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