डाॅ.सुनील कुमार शर्मा को मिला ‘‘खतीब-ए-अकबर साहित्य सम्मान-2024’

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लखनऊ। शिया महाविद्यालय में ‘‘मौ.मिर्ज़ा मोहम्मद अतहर’’ की पुण्यस्मृति के अवसर पर हिन्दी विभाग, शिया पी जी काॅलेज, लखनऊ द्वारा ‘खतीब-ए-अकबर साहित्य सम्मान-2024’ जो शिक्षा, साहित्य, इल्म और अदब के लिये किये गये उत्कृष्ट कार्य के लिये दिया जाता है, इस वर्ष यह पुरस्कार डाॅ.सुनील कुमार शर्मा, आईईएस को दिया गया है।

डाॅ.मौलाना यासूब अब्बास, सेक्रेटरी मजलिस-ए-उलेमा ने डाॅ.सुनील कुमार शर्मा को स्मृति चिन्ह देकर व शाॅल पहनाकर सम्मानित किया।

हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो.सै.शफी हैदर ‘आमिल’ ने कार्यक्रम की शरुआत करते हुये कार्यक्रम में आये हुये अतिथियों का संक्षिप्त परिचय कराते हुये बताया कि आज कार्यक्रम में हमारे बीच साहित्यकार, इंजीनियर, शिक्षक एवं पत्रकार मंच पर मौजूद है और इन सबका एक साथ महाविद्यालय प्रांगण में मौजूद होना हम सभी के लिये अवस्मरणीय क्षण है।

इस सम्मान समारोह को सम्बोधित करते हुये डाॅ.सुनील कुमार शर्मा ने खुशी जाहिर करते हुये कहा कि मैं यह सम्मान पाकर अपने आपको बहुत गौवान्वित महसूस कर रहा हूँ।

साहित्य केवल जीविकोपार्जन का साधन न होकर समाज के अन्दर व्याप्त बुराईयों को दूर करने के लिये लिखा जाना चाहिये जिससे समाज में नई चेतना जागृत हो और समाज सही दिशा की ओर अग्रसर हो, यह साहित्य ही है जो समाज को जीवित रखने का काम करता है।

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आज तकनीकी के दौर में भी हमें साहित्य को उतना ही महत्व देना चाहिये जितना हम दूसरी चीजों को देते हैं। मौलाना यासूब अब्बास,

सेक्रेटरी मजलिस-ए-उलेमा ने समारोह को सम्बोधित करते हुये कहा कि लेखक व साहित्यकार की भाषा ऐसी होनी चाहिये जो जन-मानस के बीच साहित्य को स्थापित कर सके और समाज उस साहित्य के मर्म को अपने अन्दर समाहित कर समाज को प्रगतिशील और संवेदनशील बनाये।

महाविद्यालय के प्रबन्धक सै.अब्बास मुर्तजा शम्सी ने सम्मान समारोह में आये हुये अतिथियों व शिक्षकों को सम्बोधित करते हुये कहा कि एक साहित्यकार ही है जो अपने देहावसान के बाद अपने विचारों, अपने ज्ञान व अपने इल्म के माध्यम से समाज में हमेशा जीवित रहता है और समाज को सदैव ही एक नई ऊर्जा प्रदान करता रहता है।

महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो.शबीहे रज़्ाा बाकरी ने अपने सम्मान समारोह में उपस्थित सभी लोगों को धन्यवाद ज्ञापित करते हुये कह कि डाॅ.शर्मा प्रसाशनिक एवं विज्ञान के क्षेत्र से जुड़े होने के बावजूद भी एक बेहतरीन कवि, लेखक व साहित्यकार हैं।

बच्चों को डाॅ.शर्मा से प्रेरणा लेनी चाहिये की भले ही आपके शिक्षा और रोजगार के क्षेत्रों में भिन्नता या समानता हो सकती है लेकिन रचनात्मकता शिक्षा और रोजगार विशेष के बन्धन से मुक्त है।

संचालन हिन्दी विभाग के डाॅ.आलोक यादव ने करते हुए मिर्जा गालिब, मजाज़ लखनवी, दुष्यंत कुमार आदि साहित्यकारों को याद करते हुये उनके अशरारों से अतिथियों का मान बढ़ाया।

इस मौके पर सुभाष राय, संपादक जनसंदेश टाइम्स, लखनऊ; डॉ पंकज सिंह, प्राचार्य सीजीएनपीजी कालेज, गोला खीरी; हर्षित ताम्रकार, सहायक कुलसचिव, एमसीबीयू छतरपुर, मध्य प्रदेश; डॉ विजय कुमार, प्रवक्ता, हिंदी, शासकीय महाविद्यालय कटनी, मध्य प्रदेश;

डॉ वंशीधर उपाध्याय, सहायक प्राध्यापक हिंदी, बिहार सरकार; डॉ श्याम नारायण, प्रोग्राम एग्जीक्यूटिव दूरदर्शन लखनऊ; विश्वदीपक त्रिपाठी, बेसिक शिक्षा अधिकारी लखनऊ,

महाविद्यालय के शिक्षक प्रो.टीएस नकवी, प्रो.जमाल हैदर जैदी, प्रो.बीबी श्रीवास्तव, डाॅ.एजाज अब्बास, प्रो.फहीम हसन, डाॅ0 नफीस हासिम रिजवी, डाॅ.रवि प्रताप सिंह, डाॅ.वसी रज़ा, डाॅ.अमित राय, डाॅ.मुनेन्द्र सिंह, डाॅ.नगीना बानो, डाॅ. मधूलिका चौधरी, डाॅ.राबिन वर्मा उपस्थित रहेंगे।

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