टिकाऊ और लचीली खेती के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों को सामने लाने की आवश्यकता पर जोर

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लखनऊ। भाकृअनुप- भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ एवं इंडियन फाइटोपैथोलॉजिकल सोसाइटी, नई दिल्ली के सहयोग से भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ में खाद्य सुरक्षा के लिए पादप स्वास्थ्य: खतरे और वादे विषय पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन की गुरुवार को शुरुआत ह़ुई।

सम्मेलन के उद्घाटन के अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ. टी.आर. शर्मा, उप महानिदेशक (फसल विज्ञान) भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली, विशिष्ट अतिथि डॉ.एएन मुखोपाध्याय, पूर्व कुलपति, असम कृषि विश्वविद्यालय, जोरहाट, सम्मानित अतिथि डॉ.पीके सिंह, कृषि आयुक्त, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार,

सम्मानित अतिथि डॉ.एससी दुबे, कुलपति, बिरसा कृषि विश्वविद्यालय, रांची एवं अध्यक्ष, आईपीएस, डॉ. काजल कुमार विश्वास, सचिव, आईपीएस, डॉ.आर.विश्वनाथन, निदेशक भाकृअनुप- भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ और आयोजक अध्यक्ष, डॉ. दिनेश सिंह, परियोजना समन्वयक (गन्ना) एवं राष्ट्रीय सम्मेलन के आयोजक सचिव, तथा भारत के विभिन्न राज्यों से आये 600 से अधिक प्रतिभागी उपस्थित थे।

सम्मेलन का उद्घाटन दीप प्रज्ज्वलन और परिषद गीत के साथ किया गया। प्रारंभ में, डॉ. आर. विश्वनाथन ने गणमान्य व्यक्तियों और प्रतिनिधियों को स्वागत किया और सम्मेलन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने प्रतिनिधियों को भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ की गतिविधियों के बारे में भी अवगत कराया।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ.टीआर शर्मा ने विभिन्न फसलों में नई बीमारियों के उद्भव पर प्रकाश डाला, जिससे बदलते जलवायु परिदृश्य में, पौधों की सुरक्षा के लिए पहले से मौजूद खतरों में जटिलताएं जुड़ जाती है जो कृषि के लिए लगातार खतरा पैदा कर रही हैं।

उन्होंने टिकाऊ और लचीली कृषि की हमारी खोज में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों को सामने लाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने सभी प्रतिनिधियों को अधिक लचीली और सफल कृषि के लिए संगोष्ठी के विभिन्न विषयों में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया।

डॉ.टीआर शर्मा ने तीन नव विकसित प्रयोगशालाओं का उद्घाटन भी किया। जिसमें आण्विक जीवविज्ञान प्रयोगशाला, जैव प्रोद्योगिकी प्रयोगशाला और आण्विक पादप रोगविज्ञान प्रयोगशाला शामिल हैं। डॉ. काजल कुमार विश्वास ने आईपीएस की वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की।

विशिष्ट अतिथि डॉ.पीके सिंह ने G20 के परिपेक्ष्य में भारत सरकार के “एक स्वास्थ्य” दृष्टिकोण के बारे में जानकारी दी। उन्होंने उन प्रौद्योगिकियों के विकास पर जोर दिया जिनसे किसानों को लाभ होगा और खाद्य सुरक्षा भी बनी रहेगी।

आईपीएस के अध्यक्ष डॉ.एससी दुबे ने किसानों के लाभ के लिए प्रौद्योगिकियों के विस्तार और प्रसार को मजबूत करने के लिए एक समग्र तरीका विकसित करने पर जोर दिया।

डॉ.एएन मुखोपाध्याय ने प्रतिनिधियों को सूचित किया कि यद्यपि हम 1947 में 50 मिलियन टन की तुलना में अब 350 मिलियन टन खाद्यान का उत्पादन कर रहे हैं, फिर भी भारत विश्व भूख सूचकांक में 111वें स्थान पर है। उन्होंने छात्रों से कम लागत वाली तकनीक विकसित करने के बारे में सोचने का आह्वान किया, जिसे किसान आसानी से अपना सकें।

इसके बाद बाद सम्मेलन स्मारिका और “पादप रोगविज्ञान और रोग प्रबंधन की अवधारणा” पर एक पुस्तक का विमोचन किया गया। वैज्ञानिकों को उनके विशिष्ट कार्य के लिए लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार और आईपीएस मान्यता पुरस्कार सहित कई पुरस्कार प्रदान किए गए।

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भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ के कुछ सेवानिवृत्त पादप रोगवैज्ञानिकों को भी उनकी विशिष्ट सेवाओं के लिए सम्मानित किया गया। सम्मेलन में लगभग 50 मौखिक तथा 100 पोस्टर शोध पत्र प्रस्तुत किए गए। सत्र का समापन आयोजन सचिव डॉ. दिनेश सिंह के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। कार्यक्रम का संचालन डॉ. अनिता सावनानी ने किया।

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