कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती : मोहम्मद अली शाह

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लखनऊ। शिया महाविद्यालय परिसर में इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंस रिसर्च (आईसीएसएसआर) एवं शिया महाविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में अमृतकाल विमर्श व्याख्यान श्रृंखला के अंतर्गत ‘‘सशक्त भारतः डिफेंस पाॅलिसीज’’ के ऊपर व्याख्यान का आयोजन (के-हाल) में हुआ।

मुख्य वक्ता पूर्व मेजर, अभिनेता एवं मोटीवेशनल स्पीकर, मोहम्मद अली शाह उपस्थित रहे, जिनका स्वागत शिया काॅलेज मजलिस-ए-उलेमा के सेक्रेटरी मौलाना डाॅ. यासूब अब्बास एवं प्राचार्य प्रो.एसएसआर बाक़री ने पुष्पगुच्छ भेंट कर किया।

शिया कॉलेज में मोटीवेशनल स्पीकर ने छात्र-छात्राओं से साझा किए अपने अनुभव

डायरेक्टर सेल्फ-फाइनेंस डाॅ.एमएम अबु तैय्यब ने स्मृति चिन्ह व शाॅल पहनाकर मुख्य वक्ता को सम्मानित किया एवं उनका आभार व्यक्त किया।

कार्यक्रम का संचालन प्रो.बीबी श्रीवास्तव ने किया। मुख्य वक्ता ने अपने सम्बोधन की शुरूआत प्रसिद्ध कविता ‘‘कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती, लहरों से डरकर नौका कभी पार नहीं होती’’ से की। उन्होंने कहा कि एक फौजी सैकड़ांे की भीड़ में भी अलग दिखाई देता है।

अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने बताया कि जब वो आर्मी में जाने की तैयारी कर रहे थे, तो वह बार-बार असफल हुए, हर एक चरण के अंत तक असफलता हाथ लगती गई, लेकिन मैंने कभी हार नहीं मानी और एक दिन थल सेना में चयनित हो गया।

देश सेवा के साथ ही महामहिम राष्ट्रपति के साथ ‘मार्च पास्ट’ करने व फिल्म अभिनेता तक के अनुभवों को साझा किया। सेना में रहने के दौरान विपरीत हालातों का सामना करते हुए, देश सेवा की।

भारत के राज्य मणिपुर, भारत के आखिरी पोस्ट व अन्य राज्यों की पोस्टों के बारे में छात्र-छात्राओं को बड़ी उत्सुकता से बताया कि भारत-पाकिस्तान सीमा की आखिरी पोस्ट, जहाॅ से दुश्मन मात्र 30 मीटर की दूरी पर होता था, जहाँ इतनी ठण्ड और गर्मी होने के साथ-साथ जंगली जानवरों व अन्य प्रकार की चुनौतियों का सामना करते हुए सीमा की सुरक्षा की।

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उन्होंने बताया कि जिन राज्यों में उनकी तैनाती होती थी, वो वहाॅ के लोगों की भाषा सीखने का प्रयास करते थे और उनसे उन्हीं की भाषा में बात करते थे, जिससे वहाॅ के लोगों में प्रसन्नता होती थी। उन्हें कई राज्यों की अच्छी भाषा बोलनी आती है, कई राज्यों की भाषा की जानकारी होने के फलस्वरूप लोगों से संवाद स्थापित किया जिससे देश की सीमाओं को और मजबूती मिली।

भारत देश की राष्ट्रीय व अन्तराष्ट्रीय सुरक्षा नीति अन्य देशों की अपेक्षा बहुत अच्छी है। उन्होंने आगे बताया कि मेरे द्वारा सिने जगत में भी अभिनय किया गया है। और मेरी सबसे प्रसिद्ध फिल्म बजरंगी भाईजान, हैदर, एजेंट विनोद है, जिनको दर्शकों द्वारा बहुत पसंद किया गया।

इस अवसर पर महाविद्यालय के बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज के अध्यक्ष प्रो.अजी़ज हैदर, बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य, प्रो.एसएसएच तक़वी, विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो.जमाल हैदर जैदी, विधि संकायाध्यक्ष डाॅ.एस.सादिक हुसैन आब्दी, प्रो.एमके शुक्ला सहित महाविद्यालय के शिक्षक, कर्मचारी तथा भारी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहें।

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