पुनेरी पलटन के स्टार असलम इनामदार के लिए कबड्डी सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि जीवन रेखा रही है। अपनी मां की चाय की टपरी पर गिलास धोने से लेकर प्रो कबड्डी लीग (PKL) के सीज़न 10 में ट्रॉफी उठाने तक, असलम की कहानी जज़्बे, संघर्ष और आत्म-विश्वास की मिसाल है। “मेरा बचपन बहुत कठिन था।
हमारा एक ही लक्ष्य था कि परिवार में कोई भूखा न सोए,” असलम ने दीपक पारेख के पॉडकास्ट ‘द चिल ऑवर’ में कहा। “मैंने होटलों में, खेतों में काम किया — जहां भी मौका मिला। लेकिन कबड्डी के प्रति मेरा जुनून कभी नहीं छूटा।” उनके इस जुनून को दिशा दी उनके भाई वसीम और लोकल कोच राहुल बलकार ने।
कई सालों तक गुमनामी में रहने के बाद — “10 साल तक मैं सिर्फ एक कबड्डी खिलाड़ी था, जिसके पास न पैसा था, न नाम” — असलम का ब्रेकथ्रू 2019 में हुआ। 2021 तक वे पुनेरी पलटन के लिए प्रो कबड्डी लीग में डेब्यू कर चुके थे और जल्द ही एक बेखौफ रेडर के रूप में पहचान बना ली।
PKL की बदली हुई अर्थव्यवस्था ने, असलम के अनुसार, सिर्फ खिलाड़ियों की जिंदगी नहीं बदली, बल्कि खेल को देखने का नजरिया भी बदल दिया।
“अगर एक PKL खिलाड़ी को लगातार तीन-चार सीज़न तक 2 करोड़ रुपये मिलते हैं, तो वह कम से कम 8 करोड़ कमा लेता है… यह इंसान की ज़िंदगी और खेल की छवि दोनों को बदल देता है,” असलम कहते हैं।
लेकिन सफलता के साथ चुनौतियां भी आईं। सीज़न 10 में पुनेरी को पहली बार खिताब जिताने और मोस्ट वैल्यूएबल प्लेयर बनने के बाद सीज़न 11 में उन्हें गंभीर चोट लग गई। वापसी को लेकर सवाल उठने लगे। “लोग कहने लगे कि अब मैं उस स्तर पर नहीं खेल पाऊंगा। लेकिन मैं नकारात्मकता पर ध्यान नहीं देता।
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मुझे खुद पर सबसे ज़्यादा भरोसा है,” वे कहते हैं। असलम की सोच — शांत और दृढ़ — उन्हें परिभाषित करती है। “मैं ज़िंदगी को ज़्यादा गंभीरता से नहीं लेता। वर्तमान में जीता हूं। जो भी करो, खुलकर करो, हर पल को जियो,” वे मुस्कराते हुए कहते हैं। वे मानते हैं कि किसी खिलाड़ी की असली परीक्षा निरंतरता है।
“सफलता पाना आसान है। लेकिन उसे बनाए रखना सबसे कठिन है। कई खिलाड़ी एक साल चमकते हैं और फिर गायब हो जाते हैं। मेरे लिए यह मेहनत के साथ-साथ समझदारी से काम करने की बात है। यही आपको शीर्ष पर बनाए रखता है।”
वो अपनी सफलता का श्रेय पुनेरी पलटन के माहौल और अपने मार्गदर्शक अशोक शिंदे को देते हैं। “हर खिलाड़ी को सैकड़ों लोग सलाह देते हैं। लेकिन जिंदगी में एक ऐसा इंसान होना चाहिए, जिस पर आप पूरी तरह विश्वास करें।
मेरे लिए वो अशोक सर हैं। उन्होंने हमेशा कहा — मैं तुझे बड़ा खिलाड़ी बनाऊंगा। और मैंने उन पर भरोसा किया।” आज असलम इनामदार सिर्फ एक कबड्डी चैंपियन नहीं, बल्कि छोटे शहरों से बड़े सपने देखने वाले युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुके हैं।
उनकी यात्रा इस बात का सबूत है कि भूख, अनुशासन और आत्म-विश्वास आपको चाय की टपरी से विश्व खेल मंच तक पहुंचा सकते हैं।