नई दिल्ली। टेक महिंद्रा और फिडे का ज्वाइंट वेंचर ग्लोबल चेस लीग एक अनूठी प्रतियोगिता है, और इसका उद्देश्य सर्वश्रेष्ठ पुरुष, महिला और अंडर-21 खिलाड़ियों को सबसे आगे लाना है। यह टूर्नामेंट 21 जून से 2 जुलाई तक गोल्ड सिटी ऑफ द वर्ल्ड दुबई में खेला जाना है।
ग्लोबल चेस लीग इस खेल प्रणाली में कुछ नए आयाम लेकर आई है, जिसमें फ्रेंचाइजी और नया मिक्स्ड टीम फॉर्मेट शामिल है। इन दोनों बदलावों ने खेल से जुड़े लोगों की रुचि के स्तर को बढ़ा दिया है।
2020 में 13 साल की उम्र में ग्रैंडमास्टर नॉर्म अर्जित कर चुके भारतीय खिलाड़ी रौनक साधवानी ग्लोबल चेस लीग में बालन अलास्कन नाइट्स का प्रतिनिधित्व करेंगे।
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उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि यह निश्चित रूप से एक अद्भुत पहल है जो खिलाड़ियों को अपनी खेल प्रतिभा दिखाने का अवसर देती है। और मैं व्यक्तिगत रूप से टीम स्पर्धाओं में खेलने का अधिक आनंद लेता हूं।
सबसे पहले, पूरी लीग के दौरान टीम के साथ बने रहना मजेदार है जहां हम प्री-गेम तैयारी, पोस्ट-गेम विश्लेषण समेत कई पहलुओं पर चर्चा कर सकते हैं। टीम स्पर्धाओं में, प्रत्येक व्यक्ति टीम की ओवरऑल सफलता में अपनी भूमिका निभाता है। आप कैसे बदलाव ला सकते हैं, यह देखना शानदार होगा।”
17 वर्षीय ग्रैंडमास्टर ने कहा, “हम नए दोस्त बनाते हैं और उनके बारे में कई दिलचस्प बातें पता चलती हैं। मुझे लगता है कि पुरुषों और महिलाओं दोनों का एक ही टीम में होना दिलचस्प होगा। यह टीम में अलग गतिशीलता भी जोड़ेंगे।”
साधवानी ग्रैंडमास्टर बनने वाले शतरंज इतिहास (आज तक) के 10वें सबसे कम उम्र के खिलाड़ी हैं और चौथे सबसे कम उम्र के भारतीय हैं। महाराष्ट्र के नागपुर से ताल्लुक रखने वाला यह युवा ग्रैंडमास्टर 2015 में अंडर-10 कॉमनवेल्थ चैम्पियन था।
जब उनसे पूछा गया कि उनको ग्लोबल चेस लीग की तरफ किस चीज ने आकर्षित किया, तो साधवानी ने जवाब दिया, “सच कहूं तो जब मुझे इस लीग के बारे में पता चला तो मैं बहुत उत्साहित था और इसका इंतजार कर रहा था।
इसके प्रारूप ने वास्तव में मुझे आकर्षित किया क्योंकि यह ऐसी लीग है, जिसमें 36 बहुत मजबूत खिलाड़ियों को एक साथ लाने का बहुत ही रोचक और एक अनूठा विचार है।
मैंने इस प्रतिष्ठित इवेंट का हिस्सा बनने का फैसला किया क्योंकि यह मुझे मजबूत विरोधियों के खिलाफ प्रतिस्पर्धा करने, अनुभव हासिल करने और साथ ही खेल का लुत्फ उठाने का अवसर देता है।”
साधवानी का मानना है कि ग्लोबल चेस लीग का इस खेल पर वैसा ही असर हो सकता है जैसा आईपीएल का क्रिकेट पर पड़ा है।
उन्होंने कहा, “जीसीएल अपनी तरह की पहली पहल है जो इस खेल को वैश्विक स्तर पर और अधिक लोकप्रिय बना देगी और उम्मीद है कि इतनी बड़ी पहल के बाद आने वाले वर्षों में दुनिया भर में इस तरह की और लीग आयोजित की जाएंगी।
मुझे लगता है कि इस लीग को फॉलो करने के बाद और भी अधिक युवा खिलाड़ियों की खेल में दिलचस्पी बढ़ेगी। मुझे उम्मीद है कि जीसीएल के बाद इसी तरह से और युवा खिलाड़ी शतरंज को एक खेल के रूप में चुनेंगे।”
उन्होंने आगे कहा, “क्रिकेट में हमारे पास आईपीएल है और 2008 में इसकी शुरुआत के बाद, हमने कई युवा खिलाड़ियों को इस खेल को अपनाते हुए देखा और खेल का चेहरा भी बदल गया।”
7 साल की उम्र में अपनी शतरंज की यात्रा शुरू करने वाले साधवानी खिलाड़ियों की उस प्रतिभा से काफी प्रभावित हैं जो भारत को आगे ले जा रही है। उन्होंने कहा, “कई युवा भारतीय प्रतिभाएं हैं जो वास्तव में अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना रही हैं।
ग्लोबल चेस लीग एक बेहतरीन शुरुआत है और मुझे उम्मीद है कि कई अन्य यूरोपीय देशों की तर्ज पर भारत के पास भी आने वाले वर्षों में अपनी शतरंज लीग होगी।”