सीएसआईआर-सीमैप में किसान मेले (2025) की हुई शुरुआत, पढ़े रिपोर्ट

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सीएसआईआर-केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सी.एस.आई.आर.-सीमैप), लखनऊ स्थित कैम्पस में 30 व 31 जनवरी को किसान मेले का आयोजन किया जा रहा है। गुरुवार को को किसान मेले के उद्घाटन सत्र मे देश के विभिन्न राज्यों से आये किसानों का जमावड़ा रहा।

सीएसआईआर-सीमैप के निदेशक डॉ. प्रबोध कुमार त्रिवेदी ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि सीमैप की विकसित प्रजातियों को आम जनमानस तक पहुचाने के लिए इस वर्ष दो दिवसीय किसान मेले का आयोजन किया जा रहा है। इस बार यह किसान मेला सतत कृषि की थीम पर आधारित है।

उन्होनें बताया कि इस किसान मेले की शुरुआत पिछले 20 वर्ष पहले की गई थी जिससे किसान लगातार जुडते जा रहे हैं। सीमैप ने पिछले 60 वर्षो से औषधीय एवं सगंध पौधों पर कार्य करते हुए लगभग 160 उन्नत प्रजातियों का विकास किया है जो कि खेती कि दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है तथा देश के किसानों ने इसे बढ़-चढ़ कर अपनाया भी है।

उन्होंने कहा कि किसानों एवं व्यापारियों के बीच एक कड़ी स्थापित करने का कार्य किसान मेला मे होता है, तथा किसानों के द्वारा उत्पादित की गई उच्च गुणवत्तायुक्त फसलों को उद्योगों तक पहुंचाया जा सके ताकि आम-जनमानस को इसका लाभ मिल सके।

सीएसआईआर-एरोमा मिशन के अंतर्गत किसान मेला में पधारे किसानों को नवीनतम जानकारी व प्रौद्योगिकी द्वारा सक्षम बनाकर उनकी आय में वृद्धि करना ही हमारा मुख्य उद्देशय है। डॉ. त्रिवेदी ने बताया कि सीमैप के द्वारा विकसित की गई मेन्था की प्रजातियों को अपनाकर किसानों ने भारत को मेन्था के उत्पादन और निर्यात में शीर्ष स्तर पर पहुँचा दिया है।

आज विश्व का 80 प्रतिशत मेन्था का उत्पादन भारत में किया जाता है तथा भारत का 80 प्रतिशत मेन्था का उत्पादन केवल उत्तर प्रदेश में किया जाता है। उन्होनें आगे कहा कि सीमैप के वैज्ञानिकों एवं किसानों के प्रयास से भारत ने 600 टन से भी अधिक नींबूघास तेल का निर्यात किया है।

इस वर्ष लखनऊ मुख्यालय से लगभग 500 क्विंटल मेन्था की विभिन्न प्रजातियों की पौध सामग्री (शकर्स) अधिक उपज देने वाली किसानों को उपलब्ध कराई जा रही है। अन्त में डॉ. त्रिवेदी ने कहा कि देश को आत्म निर्भर बनाने के लिए सीमैप देश के किसानों के साथ मिलकर निरन्तर प्रयास करता रहेगा।

उन्होने कहा कि सीएसआईआर-सीमैप एवं सहयोगी प्रयोगशालाओं द्वारा एरोमा मिशन चलाया जा रहा है, इसके अंतर्गत 3500 से भी ज्यादा किसान क्लस्टर बनाए जा चुके हैं जिसमे 20 आदिवासी क्लस्टर शामिल हैं।

सीएसआईआर-सीमैप द्वारा लॉंच किए गए मोबाइल एप्प से किसानों को औस फसलों की खेती, बीमारियों से समाधान, आसवन, भंडारण तथा विपणन की जानकारी प्राप्त होती है।

इस अवसर पर विशिष्ठ अतिथि के रूप मे पधारे डॉ. विजय बहादुर द्विवेदी, निदेशक, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग, उत्तर प्रदेश शासन ने किसानों को संबोधित करते हुये कहा कि औषधीय एवं सुगंध पौधों के साथ-साथ उद्यानिकी मे समाहित फसलों को भी किसान भाई लगाएँ जिसमे राज्य सरकार द्वारा वित्तीय सहता प्रदान की जाती है।

साथ ही उन्होंने किसानों को FPO बना कर कार्य करने का आहवाहन किया। इसके साथ ही उन्होंने खेती से उत्पादित फसलों से वैल्यू एडेड उत्पाद बनाने को उत्साहित किया।

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इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में पधारे डा. जी.एन. सिंह सलाहकार मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश एवं पूर्व औषधि महानियंत्रक, भारत सरकार ने अपने सम्बोधन में किसानों की आय को दोगुना करने एवं उनके जीवन स्तर में सुधार के लिए औषधीय एवं सगंध पौधों के उत्पादन के क्षेत्र में सीएसआईआर-सीमैप के योगदान की प्रशंसा की।

उन्होनें आगे कहा कि किसान खुशहाल होगा तो देश खुशहाल होगा तथा किसान की उन्नति से ही देश की उन्नति हो सकती है। सरकार के साथ-साथ सीमैप भी एरोमा मिशन के द्वारा किसानों के बेहतर भविष्य के लिए कार्य कर रहा है।

इससे पहले किसान मेला के संयोजक, डॉ. संजय कुमार ने किसान मेला के दौरान होने वाली गतिविधियों के बारे मे बताया एवं कार्यक्रम का संचालन किया।

इस अवसर पर मेले में किसानों के लिए एक परिचर्चा सत्र का भी आयोजन किया गया जिसमे वैज्ञानिक व उद्योगों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। किसानों द्वारा पूछे गए प्रश्नों का उत्तर विषय विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों द्वारा दिया गया। इस अवसर पर सम्मानित अतिथियों द्वारा “ सीमैप कलेंडर” का विमोचन किया गया।

इसके साथ ही सीएसआईआर-सीमैप और मेसर्स आर्टत्रिस्टा क्रिएशन ब्यूटी सैलून एंड एकेडेमी, लखनऊ, उत्तर प्रदेश के मध्य सीएसआईआर-सीमैप द्वारा विकसित हर्बल उत्पाद फ़ेसवाश (क्लेंजी), शैंपू (हर्बी साफ्ट), लिपबाम, हैयर ऑइल (सिम-केश) के मार्केटिंग के लिए एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए।

इस वर्ष किसान मेला में कार्यक्रमों के अतिरिक्त एक विशेष प्रदर्शनी का भी आयोजन किया जा रहा है, जिसमें सीएसआईआर की प्रयोगशालाओं द्वारा किसानों के लिए उपयोगी प्रौद्योगिकियों तथा योजनाओं का प्रदर्शन किया गया। मेला स्थल पर उद्योगों और स्वयं-सेवी संस्थाओं तथा महिला सशक्तिकरण योजना आदि के स्टॉल भी लगाए गए।

पूजा के फूलों पर आधारित अगरबत्ती व कोन बनाने के प्रशिक्षण व प्रदर्शन में महिलाओं ने काफी उत्साह दिखाया। किसान मेले में सोलर ऊर्जा से आसवन संयन्त्र चलाने का विशेष प्रदर्शन,ड्रोन तकनीकी, जिरेनियम की पौध सामग्री के निर्माण के लिए एक विकसित किफ़ायती तकनीक, सीमैप के हर्बल उत्पाद, अगेती मिन्ट टेक्नोलोजी, इत्यादि के बारे में भी चर्चा की गई व प्रदर्शनी लगाई गई।

किसानों ने मेले में भाग लेकर औषधीय व सगंध पौधों की लाभकारी खेती के बारे में जानकारी ली और अपने अनुभव भी साझा किये। सीमैप वैज्ञानिकों की टीम ने किसानों को उन्नत खेती, क़िस्मों तथा प्रसंस्करण व विपणन की विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराई। इस अवसर पर सीएसआईआर-सीमैप के वैज्ञानिक, कर्मचारी, शोधार्थी एवं दूसरे विभागों के वैज्ञानिक, उद्योग के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

किसान मेले के दूसरे दिन 31 जनवरी, 2025 को लगभग 4000 किसानों के भाग लेने की संभावना है जिसके मुख्य समारोह मे प्रोफे. डा. अनिल प्रकाश जोशी,

पद्म भूषण एवं पद्म श्री, पर्यावरणविद् एवं संस्थापक, हिमालयन पर्यावरण अध्ययन और संरक्षण संगठन (HESCO) देहरादून, उत्तराखण्ड मुख्य अतिथि होंगे तथा डा. अजीत कुमार शासनी, निदेशक, वै.औ.अ.प.-राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (वै.औ.अ.प.-एन.बी.आर.आई.) एवं बी. एल. मीणा, अपर मुख्य सचिव, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग, उत्तर प्रदेश विशिष्ठ अतिथि होंगे।

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