भारत ने विकसित किया विश्व का पहला लिक्विड फॉर्म वाला नेचुरल इंडिगो

0
123

लखनऊ : वैश्विक स्तर पर टेक्सटाइल इंडस्ट्री को उनके सस्टेनबल लक्ष्यों को पूरा के लिए भारत ने एक अहम योगदान दिया है। भारत की एएमए हर्बल लेबोरेटरीज ने एक क्रांतिकारी उत्पाद, बायो इंडिगो प्रीआर विकसित करने की घोषणा की है, जिसे “नेक्स्ट जेन इंडिगो” के रूप में पहचाना जा रहा है।

यह दुनिया का पहला जैव रासायनिक रूप से संशोधित प्री-रिड्यूस्ड प्राकृतिक इंडिगो है जो लिक्विड फॉर्म में उपलब्ध है। बायो इंडिगो प्रीआर स्थिरता और लागत प्रभावशीलता का एक अद्भुत मिश्रण है जो इंडिगो रंगाई उद्योग को बदलने की क्षमता रखता है।

भारत की एएमए हर्बल लेबोरेटरीज ने विकसित किया बायो इंडिगो प्रीआर

अभी तक टेक्सटाइल इंडस्ट्री के पास नेचुरल इंडिगो डाइंग के लिए सिर्फ पाउडर फॉर्म उपलब्ध था जिसके चलते नेचुरल इंडिगो डाइंग टेक्सटाइल इंडस्ट्री को केमिकल नेचुरल डाइंग की तुलना में काफी महंगा पड़ता था।

पाउडर फॉर्म में उपलद्ध नेचुरल इंडिगो की कीमत करीब 2700 रुपए प्रति किलोग्राम है जबकि एएमए हर्बल द्वारा लिक्विड फॉर्म में बनाए गए इस बायो इंडिगो प्रीआर बाजार में करीब 1250 प्रति किलोग्राम ही है। साथ ही टेक्सटाइल कंपनी को इसे प्रयोग करना काफी आसान होगा और इस नए उत्पाद से कपड़े को रंगने में समय की बचत भी होगी।

लाएगा इंडिगो डाइंग के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन

केमिकल इंडिगो रंगाई प्रक्रियाएं पर्यावरण के लिए हानिकारक रसायनों और ऐसी प्रक्रियाओं का उपयोग करती हैं, जिनमें काफी मात्रा में ऊर्जा की आवश्यकता होती है। इस प्रक्रिया में कार्बन का अधिक मात्रा में उत्सर्जन होता है, जो पर्यावरण के लिए बेहद हानिकारक है।

बायो इंडिगो प्रीआर इन समस्याओं का एक क्रांतिकारी समाधान प्रस्तुत करता है। यह तकनीक ऊर्जा-कुशल प्रक्रियाओं, सरलीकृत परिवहन विधियों, अपशिष्ट में कमी और मौजूदा प्रणालियों के साथ सहज एकीकरण पर आधारित है।

यह न केवल पर्यावरणीय प्रभाव को कम करता है, बल्कि रंगाई प्रक्रिया को अधिक कुशल और लागत प्रभावी भी बनाता है। एएमए हर्बल लेबोरेटरीजके बायो इंडिगो प्रीआर को ग्लोबल ऑर्गेनिक टेक्सटाइल स्टैंडर्ड (जिओटीएस) VII और जेडीएचसी (जीरो डिस्चार्ज ऑफ हजार्डस केमिकल्स) 3 जैसे वैश्विक प्रमाणपत्रों से मान्यता प्राप्त है, जो इसकी स्थिरता और उद्योग-अग्रणी मानकों के प्रति प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हैं।

ये भी पढ़ें : एएमए हर्बल ने इजाद की कपड़ा रंगाई की क्रांतिकारी विधि

एएमए हर्बल लेबोर्टरीज के को-फाउंडर और सीईओ यावर अली शाह ने कहा, “बायो इंडिगो प्रीआर कपड़ा उद्योग में पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार प्रथाओं के प्रति वैश्विक आंदोलन के साथ तालमेल बिठाने में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह प्राकृतिक नील की विरासत को संरक्षित करते हुए अधिक टिकाऊ भविष्य का मार्ग प्रशस्त करेगा।”

हाल ही में यावर अली शाह ने जापान में इस क्रांतिकारी तकनीक पर एक प्रस्तुति दी, जिसे दुनिया भर की कपड़ा कंपनियों से भारी प्रशंसा मिली। एएमए हर्बल ने इस तकनीक के लिए डबल्यूआईपीओ में पेटेंट के लिए आवेदन किया है, जिसे संस्था ने स्वीकार करते हुए फ्रीज कर दिया है।

ये भी पढ़ें : एएमए हर्बल की फेयरग्लॉस फेस सीरम से स्किन बनेगी स्वस्थ और चमकदार

बताते चलें कि एक किलोग्राम केमिकल इंडिगो के निर्माण में दस किलो आठ सौ ग्राम कार्बन फुट प्रिंट उत्सर्जित होता है जबकि इसके विपरीत नेचुरल इंडिगो के निर्माण में कार्बन फुट प्रिंट उत्सर्जित नहीं होता है। बल्कि एक किलो नेचुरल इंडिगो बनने की प्रक्रिया में पर्यावरण से 680 ग्राम कार्बन फुट प्रिंट कम होता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here