निकहत–लवलीना की वापसी से मजबूत दिख रही भारतीय टीम, पुरुष वर्ग में नए चेहरों पर दांव

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लखनऊ। भारतीय मुक्केबाज गुरुवार से शुरू हो रही विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में सिर्फ पदकों की दौड़ में नहीं, बल्कि अपने खोए आत्मविश्वास और प्रतिष्ठा को दोबारा हासिल करने के इरादे से रिंग में उतरेंगे।

एशियाई खेलों और पेरिस ओलंपिक जैसी बड़ी प्रतियोगिताओं में अपेक्षाओं पर खरे न उतर पाने के बाद यह टूर्नामेंट टीम इंडिया के लिए खुद को साबित करने का बड़ा मौका है।

इस बार चैंपियनशिप का आयोजन पहली बार वर्ल्ड बॉक्सिंग — मुक्केबाजी की नई वैश्विक संस्था — के तहत हो रहा है, जिसमें पुरुष और महिला दोनों वर्गों के मुकाबले साथ-साथ खेले जाएंगे।

विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में भारत की नई उम्मीदें और चुनौतियां

प्रतियोगिता में 65 से अधिक देशों के 550 से ज्यादा खिलाड़ी, जिनमें पेरिस ओलंपिक के 17 पदक विजेता शामिल हैं, चुनौती पेश करेंगे। ऐसे में भारतीय मुक्केबाजों की राह आसान नहीं होगी।

भारत ने 2023 में दिल्ली में महिला चैंपियनशिप में चार स्वर्ण और ताशकंद में पुरुष वर्ग से तीन कांस्य पदक जीते थे। हालांकि उसके बाद से निरंतरता बनाए रखना टीम के लिए मुश्किल साबित हुआ। अब यह चैंपियनशिप भारतीय टीम के लिए नई शुरुआत की तरह मानी जा रही है।

महिला वर्ग में निगाहें दो बार की विश्व विजेता निकहत ज़रीन और ओलंपिक कांस्य पदक विजेता लवलीना बोरगोहेन पर होंगी। निकहत पहली बार 51 किग्रा भारवर्ग में चुनौती पेश करेंगी, जबकि लवलीना 75 किग्रा में अपने पदक की रक्षा करेंगी।

सीमित तैयारी और गैरवरीय होने की वजह से दोनों को शुरुआती दौर से ही कड़े मुक़ाबले मिलने की संभावना है। इनके अलावा पूजा रानी, जैस्मीन लाम्बोरिया (57 किग्रा), साक्षी (54 किग्रा) और नुपुर श्योराण (80+ किग्रा) से भी अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है।

पुरुष टीम इस बार नई शक्ल में नजर आएगी, क्योंकि पिछले पदक विजेता निशांत देव, दीपक भोरिया और मोहम्मद हुसामुद्दीन शामिल नहीं हैं। टीम की कमान चोट से उबरकर लौटे सुमित कुंडू संभाल रहे हैं।

उनके साथ 2021 के युवा विश्व चैंपियन सचिन सिवाच और अनुभवी हर्ष चौधरी (86 किग्रा) अहम भूमिका निभा सकते हैं। वहीं, जदुमणि सिंह मंडेंगबाम (50 किग्रा), हितेश गुलिया (70 किग्रा) और अभिनाश जामवाल (65 किग्रा) जैसे नए चेहरे भविष्य की ताकत साबित हो सकते हैं।

भारत की असली चुनौती सिर्फ मेडल टेबल पर जगह बनाने की नहीं, बल्कि यह दिखाने की भी होगी कि उसके मुक्केबाज बड़े मंच पर दबाव झेलते हुए टिक सकते हैं। यह चैंपियनशिप टीम इंडिया के लिए प्रदर्शन के साथ-साथ विश्वास की बहाली का भी अवसर है।

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