जल संसाधनों पर दुष्प्रभाव रोकने में भारत की पुरातन जल संचयन प्रणाली का अहम रोल

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लखनऊ। इण्डियन वॉटर वर्क्स एसोसिएशन, लखनऊ सेन्टर द्वारा शनिवार को ‘जल, स्वच्छता एवं जलवायु परिवर्तन’ विषय पर एक नेशनल सेमिनार का आयोजन किया गया। जिसमें देश के विभिन्न राज्यों से आये विषय विशेषज्ञों द्वारा व्याख्यान दिया गया।

वर्तमान में हमारा पर्यावरण नित नवीन चुनौतियों से जूझ रहा है और वैश्विक स्तर पर इन चुनौतियों से निपटने के प्रबन्ध के हर सम्भव प्रयास भी किये जा रहे है, जिससे कि विकास के साथ-साथ पर्यावरण पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को मात दिया जा सके, परन्तु अभी विश्व इन प्रयासों से होने वाले अमूल चूल परिवर्तन की बांट जोह रहा है।

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कार्यक्रम में मुख्य अतिथि अनिल कुमार (आईएएस ). एमडी यूपी जल निगम (नगरीय) के साथ एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष इं.पीके सिन्हा, इं.आशीष यादव, इं.संजय कुमार सिंह, इं.कमल सिंह, इं.नौशाद अहमद, इं.पल्लवी राय आदि उपस्थित रहे।

आईआईटी रूड़की के प्रोफेसर डॉ.सीएसपी ओझा द्वारा जल स्वच्छता एवं जलवायु परिवर्तन पर पेपर प्रजेन्ट किया गया, जिसमें उन्होने सैनिटेशन पॉलिसी में जलवायु परिवर्तन एवं संवेदनशीलता को समेकित रूप से शामिल करने की बातें बताई।

व्याख्यान में ग्राउण्ड वॉटर डिपार्टमेन्ट, राजस्थान से आये के डॉ.डीडी ओझा ने बताया कि जलवायु परिवर्तन में जल संसाधनों पर होने वाले दुष्प्रभावों को रोकने में भारत की पुरातन जल संचयन पद्धतियाँ तथा परम्परांए अहम भूमिका अदा कर सकती है।

इसी क्रम में आईआईटी बीएचयू, वाराणसी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ.अनुराग ओहरी द्वारा अर्बन वॉटर प्लानिंग में डॉयनामिक एडॉपटिव मॉडलिंग एप्रोच के प्रयोग पर जोर दिया।

विराज इनवॉयरोजिंग इण्डिया प्रा.लि. के मैनेजिंग डॉयरेक्टर, डॉ.आरकेवी सर्राफ द्वारा जलवायु परिवर्तन के कारण जल एवं स्वच्छता सेवाओं पर भविष्य में होने वाले दुष्प्रभावों, चुनौतियों एवं प्रबन्धन पर विस्तार से व्याख्यान दिया।

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