लखनऊ। भाकृअनुप-भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ के वैज्ञानिकों ने किसानों की आय बढ़ाने हेतु बीज उद्यमी विकसित करने के लिए गन्ना बीज उत्पादन तकनीक कार्यक्रम का आयोजन कोटवाधाम, जिला बाराबंकी में किया गया।
इस कार्यक्रम में लगभग 100 से अधिक गन्ना किसानों को गन्ना बीज उत्पादन के लिए उन्नत तकनीक के बारे में अवगत कराया गया। प्रशिक्षण के माध्यम से किसानों को अधिक उत्पादन देने वाली गन्ना क़िस्मों और कीट एवं रोग प्रबंधन के साथ-साथ किसानों की आय बढ़ाने हेतु संस्थान के वैज्ञानिकों ने अलग-अलग विषयों पर विस्तृत जानकारी दी।
कार्यक्रम में डॉ. आर. विश्वनाथन निदेशक, डॉ. महाराम सिंह-प्रधान वैज्ञानिक, डॉ. वेद प्रकाश सिंह-प्रधान वैज्ञानिक, डॉ. बरसाती लाल-प्रधान वैज्ञानिक, डॉ. आलोक शिव-वैज्ञानिक एवं टीम के सभी सदस्यों ने गन्ना बीज उद्यमी विकसित करने के लिए गन्ना बीज उत्पादन तकनीक की जानकारी दी। डॉ. बरसाती लाल, प्रधान वैज्ञानिक ने कार्यक्रम का संचालन किया।
बीज उद्यमी विकसित करने के लिए गन्ना बीज उत्पादन तकनीक” विषय पर दिया गया प्रशिक्षण
भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. आर. विश्वनाथन ने किसानों को नई गन्ना क़िस्मों को बढ़ावा देने के साथ-साथ सीओ-0238 की बुवाई बीजशोधन के बाद ही करने पर ज़ोर दिया। डॉ. दिनेश सिंह विभागाध्यक्ष, फसल सुरक्षा ने किसानों को गन्ना उत्पादन में लगने वाली विभिन्न बीमारियों एवं उनके रोकथाम के बारे में बताया।
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डॉ. वेद प्रकाश सिंह, विभागाध्यक्ष, फसल उत्पादन ने किसानों को फसलों की समय से बुवाई व निरंतर देखरेख इत्यादि पर ज़ोर दिया और डॉ. महाराम सिंह ने बताया कि फसलों में लगने वाले कीटों को कैसे कम से कम रासायनिक दवाओं का प्रयोग करके नियंत्रित किया जा सकता है।
डा.आलोक शिव ने गन्ना क़िस्मों की शुद्धता को कैसे बनाए रखे एवं गन्ना क़िस्मों की पहचान के साथ-साथ गन्ना बीज गुड्न करके अधिक से अधिक उत्पादन प्राप्त करने के बारे में किसानों को अवगत कराया।
संस्थान के वैज्ञानिकों के द्वारा गन्ना बीज उत्पादन के लिए गन्ना उत्पादन किसानों को प्रयोगात्मक प्रशिक्षण भी दिया गया जैसे:- एक आँख के टुकड़े से गन्ना बीज नर्सरी तैयार करना, गन्ना बीजशोधन करने के साथ-साथ गन्ना बीज उत्पादन में लगने वाले विभिन्न कीट एवं रोग तथा गन्ना बीज नर्सरी को खेत में रोपाई इत्यादि के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। इस अवसर पर डा.हरदयाल सिंह- यूनिट ळेड और त्रिलोकी नाथ तिवारी – रौजा चीनी मिल भी मौजूद थे।