अगले महीने विशेष अभियान में यूपी की जेलों के कैदियों की होगी जांच

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जेलों में निरूद्ध बंदियों को एचआईवी व टीबी से सुरक्षित बनाने हेतु  महानिदेशक कारागार एसएन साबत ने राज्य स्तरीय प्रशिक्षण कार्यशाला का शुभारम्भ  किया. यूपी स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी के नेतृत्व में यूपीएनपी प्लस संस्था के सहयोग से यह कार्यशाला आयोजित  की गयी.

इसमें जेलों के चिकित्सकों व पैरा मेडिकल स्टाफ को दो बैच में प्रशिक्षित किया जा रहा है. प्रदेश की जेलों में निरुद्ध कैदियों को एचआईवी, टीबी, हेपेटाइटिस बी-सी और सिफलिस से सुरक्षित बनाने पर सोमवार को यहाँ एक निजी होटल में प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की गयी.

बंदियों को एचआईवी व टीबी से बचाने के लिए डीजी जेल एसएन साबत की बड़ी पहल

यूपी स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी के नेतृत्व में यूपीएनपी प्लस संस्था के सहयोग से आयोजित इस कार्यशाला में प्रदेश के सभी जेलों के चिकित्सकों और पैरामेडिकल स्टाफ को तकनीकी और व्यावहारिक रूप से प्रशिक्षित किया गया.

कार्यशाला की अध्यक्षता महानिदेशक-कारागार प्रशासन एवं सुधार विभाग एसएन साबत ने कहा कि कैदियों को बीमारियों से सुरक्षित बनाना उनकी प्राथमिकता में शामिल है. इसी के तहत हर कैदी के स्वास्थ्य की समय-समय पर जाँच की जाती है और स्क्रीनिंग एवं जांच के लिए संसाधनों को भी बेहतर बनाया जा रहा है.

उन्होंने स्वास्थ्य विभाग और यूपी स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि उनकी मुहिम रंग लाएगी और कैदियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिल सकेगी. यूपी स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी के संयुक्त निदेशक रमेश श्रीवास्तव ने प्रशिक्षण कार्यशाला के उद्देश्य पर प्रकाश डाला.

उन्होंने कहा कि नेशनल एड्स कंट्रोल आर्गनाइजेशन (नाको) के दिशा निर्देश के मुताबिक़ प्रदेश के सभी कारागार के चिकित्सकों और पैरामेडिकल स्टाफ को कैदियों के गुणवत्तापूर्ण जाँच और बेहतर इलाज के बारे में प्रशिक्षित किया जा रहा है. दो बैच में करीब 168 कर्मचारियों को दो दिवसीय प्रशिक्षण दिया जाएगा.

नाको के लक्ष्य के मुताबिक़ प्रदेश की सभी जेलों के सभी कैदियों की छह माह के अन्तराल पर एचआईवी, टीबी, हेपेटाइटिस बी-सी और सिफलिस की स्क्रीनिंग और जांच के लक्ष्य पाने में यह प्रशिक्षण बहुत ही कारगर होगा. संयुक्त निदेशक – एसटीआई डॉ. शुभ्रा मित्तल ने सप्लाई चेन मैनेजमेंट और किट की उपलब्धता पर प्रकाश डाला.

इसके अलावा यूपीएनपी प्लस संस्था की राज्य समन्वयक अमृता सोनी ने जेल चिकित्सकों और पैरा मेडिकल स्टाफ की समस्याओं को सुना और उसके समाधान का भरोसा दिलाया. उपनिदेशक डॉ. चित्रा सुरेश और अपर निदेशक अजय शुक्ला ने प्रतिभागियों को प्रशिक्षित किया.

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प्रिजनर पीयर मोबलाइजर और कम्युनिटी रेडियो का भी सहारा  लिया गया. यूपी स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी के संयुक्त निदेशक रमेश श्रीवास्तव ने बताया कि कैदियों की जांच और इलाज को सुचारू बनाने के लिए 18 प्रिजनर पीयर मोबलाइजर की नियुक्ति की गयी है. इनके माध्यम से प्रदेश की 74 जेलों को कवर किया जा रहा है.

इनके माध्यम से कैदियों के बीच में से ही प्रिजन पीयर वालंटियर्स चुने गए हैं, जिनको प्रशिक्षित किया जा रहा है. यह बीमारी के लक्षण नजर आने पर कैदियों को जाँच और इलाज के बारे में प्रेरित करेंगे. इसके अलावा बीमारियों के बारे में व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए जेल कम्युनिटी रेडियो का भी सहारा लिया जाएगा.

जिंगल्स के माध्यम से कैदियों को बीमारी के बारे में बताया जाएगा . आकर्षक जिंगल्स भी तैयार कर लिए गए हैं. इस बारे में यूपी स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी की परियोजना निदेशक अमृता सोनी ने अनुरोध पत्र भी जारी किया है.

अगले महीने चलेगा विशेष अभियान :

रमेश श्रीवास्तव ने बताया कि मई के दूसरे हफ्ते से जून के दूसरे हफ्ते तक एक महीने का विशेष अभियान चलाकर कैदियों की स्क्रीनिंग और जाँच की जायेगी. इसके माध्यम से कैदियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा भी प्रदान की जायेगी.

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