केआईवाईजी 2023: नीरज चोपड़ा से प्रेरित मृदुभाषी जेवलिन थ्रोअर दीपिका ने दिखाया ये कमाल

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चेन्नई : बनगांव हरियाणा के फतेहाबाद जिले में स्थित लगभग 5,000 निवासियों का एक शांत गांव है। इस इलाक़े से भाला फेंक पदकों में लगातार हो रही वृद्धि के कारण एथलेटिक्स कोच इसे ‘हरियाणा का मिनी फिनलैंड’ कहते हैं। हालांकि , बनगांव के निवासियों के लिए, भाला फेंक प्रतियोगिताओं में नए रिकॉर्ड बनाना एक आदत जैसी बात हो गई है।

गुरुवार को 17 वर्षीय दीपिका की अपने रिकॉर्ड में सुधार करने की बारी थी। अपने चौथे खेलो इंडिया यूथ गेम्स में दीपिका ने चेन्नई के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में 56.79 मीटर की दूरी तक थ्रो करके स्वर्ण पदक जीतकर अपना पिछला मीट रिकॉर्ड तोड़ दिया। वह 2022 से भारत सरकार की खेलो इंडिया स्कॉलरशिप योजना का भी हिस्सा रही हैं।

उनकी इस तरक़्क़ी के पीछे के कारण उनके कोच हनुमान सिंह हैं, जो अपने शिष्यों से लगातार बात करते हैं और उनको मैदान पर खुद को अभिव्यक्त करने की अनुमति और आजादी देते हैं।

बाक़ियों की बात अलग है लेकिन वाक्यों या शब्दों को बाहर निकालने की तुलना में दीपिका से नये रिकॉर्ड प्राप्त करना अधिक आसान है। मैदान पर होने पर, हरियाणा की लड़की भाला फेंक रिकॉर्ड तोड़ने से नहीं कतराती है, लेकिन एक बार इवेंट खत्म होने के बाद, दीपिका के हर सवाल का जवाब मुस्कुराहट और खिलखिलाहट के साथ होता है।

दीपिका से पूछने पर की वह इतनी बार रिकॉर्ड कैसे बनाती हैं? वह हंसती हैं और सवाल को अपने कोच हनुमान सिंह की ओर टाल देती हैं। हनुमान कहते हैं, “वह बहुत कड़ी मेहनत कर रही है। उससे जो भी कहा जाता है वह करती है। यह अनुशासन ही है जिसने उसे एक के बाद एक रिकॉर्ड तोड़ने में मदद की है।

जब हरियाणा महिलाओं के लिए मुक्केबाजी, कुश्ती, हॉकी जैसे कई तरह के खेलों में चैंपियन पैदा करता है तो भाला क्यों? इस पर हनुमान ने कहा, “बड़े होने के दौरान, दीपिका ने हर चीज़ की थोड़ी कोशिश की। फिर नीरज चोपड़ा पटल पर आये हुए और तब दीपिका ने भाला फेंक को करियर बनाने का फैसला किया। उसके सभी रिकॉर्डों को देखते हुए, उसने सही निर्णय लिया।

अपने हीरो नीरज चोपड़ा के विपरीत, दीपिका के बाल छोटे हैं। जब उससे पूछा गया कि ऐसा क्यों है, तो उन्होंने जवाब दिया, “मेरे कोच से पूछो, उन्होंने मुझसे कहा था। हनुमान तुरंत उत्तर देते हैं, “यह अकादमी में शामिल होने की शर्तों में से एक है, इससे प्रशिक्षण में मदद मिलती है।

खेलो इंडिया यूथ गेम्स में यह उनका चौथा पदक था। 2020 में गुवाहाटी खेलों में जीते गए रजत को छोड़कर, दीपिका ने तीन स्वर्ण पदक अर्जित किए। उन्होंने पंचकुला में 51.37 मीटर की दूरी के साथ पहला रिकॉर्ड तोड़ा। भोपाल खेलों में उन्होंने 55.19 मीटर दूरी के साथ रिकॉर्ड बेहतर किया।

कैसे हुई शुरुआत

निकटतम सिंथेटिक ट्रैक हनुमान के गांव से लगभग 65 किमी दूर है, इसे देखते हुए हनुमान ने एक रिश्तेदार के स्वामित्व वाले एक रिक्त मुर्गी फार्म में अपनी अकादमी स्थापित की थी। राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर पदक विजेता हनुमान ने 2010 में अपने गांव में कोचिंग शुरू की और तब से कई रिकॉर्ड तोड़ने वाले खिलाड़ी तैयार किए हैं।

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उन्होंने याद किया कि वर्ष 2017 उनके कोचिंग करियर में एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जब उनकी प्रशिक्षु ज्योति ने जूनियर नेशनल में मीट रिकॉर्ड के साथ अंडर -20 में स्वर्ण पदक जीता था, जबकि पूनम रानी ने सीनियर फेड कप, ओपन नेशनल और इंटर स्टेट में रजत पदक जीते थे।

हनुमान ने टिप्पणी की, “बदलाव वहीं से शुरू हुआ।ये सभी बच्चे अपने कारनामों से प्रेरित थे और खुद को बड़े मंच पर साबित करना चाहते थे।

जहां तक ​​एक किसान की बेटी दीपिका की बात है, जो उनकी अकादमी के बगल में रहती है, उसे प्रशिक्षण सत्र के दौरान पीने के पानी की एक बाल्टी लाने और उसे फिर से भरने का काम सौंपा गया था।

बेहद साधारण माहौल में जीवन की शुरुआत करने वाली दीपिका के नाम अब खेलो इंडिया यूथ गेम्स में दो अंडर-16 और पांच अंडर-18 रिकॉर्ड हैं। वह अब फरवरी में गुवाहाटी में होने वाले खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में भाग लेने जा रही हैं और उम्मीद है कि वह वहां भी अपनी चमक दिखायेंगी

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