भारतीय महासागर क्षेत्र में औषधीय एवं सगंधित पौधों पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन

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लखनऊ में मंगलवार को आयोजित भारतीय महासागर क्षेत्र के संदर्भ में औषधीय एवं सगंधित पौधों के अनुसंधान में प्रगति पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में डॉ. (श्रीमती) एन. कलैसेल्वी, महानिदेशिका एवं डीएसआईआर सचिव, भारत सरकार ने कहा कि

औषधीय एवं सगंधित पौधों के सभी पहलुओं को साकार करने विशेष रूप से व्यापार, स्थिरता और भारतीय महासागर क्षेत्र में वैश्विक परिवर्तन के संदर्भ में, पौधों के संसाधनों के ज्ञान के संग्रह और साझाकरण में प्रभावी अंतर्राष्ट्रीय सहयोग महत्वपूर्ण होगा।

ताकि भारतीय महासागर क्षेत्र में औषधीय एवं सगंधित पौधों से संबंधित व्यापार, स्थिरता और वैश्विक परिवर्तन की महत्वपूर्ण भूमिका में भारत का योगदान सुनिश्चित किया जा सके।

डॉ. कलैसेल्वी ने सीएसआईआर – केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीमैप) के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने आगे कहा कि, भारतीय महासागर क्षेत्र में औषधीय एवं सगंधित पौधों के एक केंद्र बिंदु के रूप में सीमैप वैज्ञानिक सहयोग को बढ़ाने और औषधीय एवं सगंधित पौधों के विभिन्न क्षेत्रों में सदस्य देशों को मार्गदर्शन करने के लिए तत्पर रहता है।

उन्होंने सीएसआईआर प्रयोगशालाओं की उन पहलुओ की भी जानकारी दी, जो सदस्य देशों के बीच मौसम संबंधी जानकारी के आदान-प्रदान और एसीएसआईआर के माध्यम से शोधकर्ताओं का प्रोत्साहन करता है।

उद्घाटन समारोह के दौरान, आईओआरए – आरसीएसटीटी के निदेशक डॉ. मोहम्मद रजा संजाबी, सीएसआईआर-सीमैप के निदेशक डॉ. प्रबोध कुमार त्रिवेदी, एनबीआरआई के निदेशक डॉ. अजीत कुमार शासनी, सीडीआरआई की निदेशक डॉ. राधा रंगराजन और आईआईटीआर के निदेशक डॉ. भास्कर नारायण भी मौजूद थे।

सम्मेलन में बारह आईओआरए देशों के बाईस विदेशी प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। डॉ. प्रबोध कुमार त्रिवेदी ने सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में सभी विदेशी प्रतिनिधियों और देशभर से आए प्रतिभागियों का स्वागत किया। उन्होंने आईओआरए के सदस्य देशों द्वारा सम्मेलन को सफल बनाने के लिए किए गए प्रयासों की भी सराहना की।

डॉ. त्रिवेदी ने अपने संबोधन में सीमैप की वैज्ञानिक उपलब्धियों के बारे में जानकारी दी, जो औस क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने हेतु न केवल उच्च उत्पादन देने वाली किस्मों और कृषि तकनीकों के विकास में संलग्न हैं, बल्कि इन तकनीकों को देशभर के किसानों तक पहुंचाने के प्रयासों में भी योगदान दे रहे हैं।

डॉ. मोहम्मद रजा संजाबी ने अपने संबोधन में आईओआरए सदस्य देशों के लाभ के लिए नेटवर्किंग के माहौल को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया, ताकि विकसित देशों की विशेषज्ञता से आईओआरए सदस्य देश लाभान्वित हो सकें और कम से कम समय में सफलता प्राप्त कर सकें।

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सम्मेलन के दौरान गणमान्य व्यक्तियों द्वारा सम्मेलन की ई-स्मारिका का विमोचन किया गया। सम्मेलन के बारे में संक्षिप्त जानकारी डॉ. अनिरबन पाल ने दी तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अरविंद सिंह नेगी ने किया।

अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन से पूर्व, डॉ. एन. कलैसेल्वी ने एक चंदन के पौधे का पौधरोपण किया और साथ ही सीमैप में नियंत्रित पौध वृद्धि कक्ष – हरीति-II का उद्घाटन भी किया।

इस अवसर पर, आईआईटी रोपड़ – टेक्नोलॉजी और इनोवेशन फाउंडेशन (आईहब-अवध) और सुगंध और स्वाद विकास केंद्र (FFDC), कन्नौज के साथ दो समझौता ज्ञापनों (MoUs) का आदान-प्रदान भी किया गया। इसके अतिरिक्त, ‘वेस्ट टू वेल्थ’ पर एक फार्म बुलेटिन और ‘वेटिवर आधारित उद्यमिता’ पर एक फिल्म का विमोचन भी किया गया।

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