“संगीत लोक कला उत्सव” में कथक नृत्य और लोक गायन का हुआ संगम

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लखनऊ। स्वर इंडिया एसोसिएशन लखनऊ की प्रस्तुति “संगीत लोक कला उत्सव” का आयोजन बुधवार 5 मार्च को गोमती नगर स्थित अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान के ऑडिटोरियम में किया गया। इसमें वरिष्ठ संगीतज्ञ हेम सिंह की परिकल्पना में अंतरराष्ट्रीय स्तर के कलाकारों की नृत्य और गायन की प्रस्तुतियां हुईं।

वरिष्ठ कथक गुरु सुरभि सिंह और लोकप्रिय गायिका डॉ. कुसुम वर्मा ने होली और नवरात्र के साथ-साथ, उत्तर प्रदेश की प्रतिष्ठित कथक परंपरा और राजस्थानी-हरियाणवी लोक गायन की मनोरम झांकी भी पेश की।

मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान के सदस्य, तरुणेश मिश्रा ने दीप प्रज्वलित करके इस उत्सव का विधिवत उद्घाटन किया। इस अवसर पर एसोसिएशन के अध्यक्ष कर्नल हर्षवर्धन गुप्ता, सचिव हेम चन्द्र सिंह, कोषाध्यक्ष स्वरूपा सिंह ने भी दीप प्रज्वलन में सहयोग दिया।

संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से आयोजित इस “संगीत लोक कला उत्सव”के पहले चरण में कथक नृत्यांगना और गुरु सुरभि सिंह के दल ने, परंपरा के अनुसार सर्वप्रथम भारतीय संस्कृति से ओत-प्रोत मंत्रों और कवित्व पर आधारित, प्रथम देव गणपति जी की वंदना, प्रभावी रूप से कथक नृत्य के माध्यम से पेश की। इसके उपरांत पारंपरिक कथक नृत्य के अंतर्गत दर्शकों ने उपज, उठान, थाट, कवित्व, तीन पल्ली का आनंद लिया।

चूंकि फागुन माह चल रहा है इसलिए उसके अनुकूल होली की मनभावन प्रस्तुति ने कार्यक्रम को परवान चढ़ाया। इसमें कलाकारों ने “रंगी सारी गुलाबी चुनरिया” पर सुंदर नृत्य संयोजन पेश किये। कथक नृत्य दल की अंतिम प्रस्तुति सूफी नृत्य रही। कथक नृत्य की प्रस्तुतियों का साथ, विभिन्न साजों पर वरिष्ठ कलाकारों ने दिया।

इसमें तबले पर पंडित रविनाथ मिश्रा और बांसुरी पर दीपेन्द्र कुंवर ने संगत दी वहीं सितार वादन नीरज मिश्रा ने किया। गायन का बृजेन्द्र श्रीवास्तव और पढ़त का दायित्व स्वयं गुरु सुरभि सिंह ने संभाला। इस प्रस्तुति में ईशा रत्न, मीशा रत्न, अंकिता मिश्रा, आकांक्षा पाण्डेय, संगीता कश्यप, अंशिका त्यागी, आरती कुशवाहा ने अपनी नृत्य कला का प्रदर्शन कर तालियां अर्जित की।

इस साल चैत्र नवरात्रि 30 मार्च से शुरू हो रहे हैं ऐसे में लोकप्रिय लोक गायिका डॉ. कुसुम वर्मा ने अपनी प्रस्तुति की शुरुआत देवी गीत “छुम छुम छाना नाना बाजे मैया पांव पैजनिया” से की। इस क्रम में उन्होंने अपने लोकगायन में पूरे हिन्दुस्तान की लोक गायन परंपरा को ही गागर में सागर के रूप में समेट लिया।

एक ओर जहां उन्होंने राजस्थानी लोकगीत “मरोडिया ल्या जो जी बाजूदार बंगड़ी” सुनाया वहीं दूसरी ओर हरियाणवी लोकगीत “म्हारी री गली में आया रे सपेरा” गाया। अवध के लोकरंगों को संजोते हुए उन्होंने होली गीत “आज बिरज में होरी रे रसिया” और “होली खेले रघुवीरा अवध में” सुनाकर कार्यक्रम में होली की उमंग को जीवंत कर दिया।

इसके साथ ही अवधी लोकगीत “जेहि दिन राम जनकपुर आए देखन आयी सब सखियां हाँ सीताराम से भजो”, मैथिली लोकगीत “आजु मिथिला नगरिया निहाल सखिया” भी सुनाया।

पूर्विका पाण्डेय और कार्तिका ने गायन में साथ दिया वहीं नृत्य के माध्यम से लोक गीतों के भावों का मनोरम प्रदर्शन अनमोल और शगुन ने किया। संगतकारों के दल में अरविंद वर्मा, शुभम शर्मा और प्रमोद सिंह ने प्रभावी संगत दी।

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