पं.राजेन्द्र गंगानी के कथक नृत्य ने जीता सबका दिल

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लखनऊ। सरस्वती संगीत अकादमी का 21वां दीक्षांत समारोह एवं सरस्वती सम्मान 2024 का आयोजन बुद्धवार को गोमती नगर स्थित संत गाडगे ऑडिटोरियम में किया गया।

श्वेता तिवारी के मंच संचालन में हुए समारोह में मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार पद्मश्री डॉ. विद्या बिन्दु सिंह और विशिष्ट अतिथि कस्टम एवं सीजीएसटी के एडिशनल कमिश्नर उग्रसेन धर द्विवेदी और दूरदर्शन उत्तर प्रदेश के कार्यक्रम प्रमुख आत्म प्रकाश मिश्र ने दीप प्रज्वलित कर समारोह की औपचारिक शुरुआत की।

विशेष प्रस्तुतियों के अंतर्गत नई दिल्ली से आमंत्रित पंडित राजेन्द्र गंगानी का प्रभावी कथक नृत्य और मुम्बई के यशवंत वैष्णव के एकल तबला वादन ने शाम को परवान चढ़ाया। यह समारोह बिरजू महाराज कथक संस्थान की अध्यक्ष प्रोफेसर कुमकुम धर की अध्यक्षता में हुआ।

मुख्य अतिथि पंडित राजेन्द्र गंगानी ने सबसे पहले नटराज की आराधना “भस्म भूषण अंगन शिव” की जोशीली प्रस्तुति दी। कृष्ण लीलाओं पर आधारित कवित्व और ताल पक्ष की बंदिशों पर उनका नृत्य देखते ही बना।

उन्होंने खासतौर से लखनऊ वासियों के लिए राजस्थानी ठुमरी “ऐसो हठीलो छैल मग रोकत है गिरधारी बनवारी” पर भाव पक्ष का शानदार प्रदर्शन कर आयोजन को यादगार बना दिया। अंत में उन्होंने, फतेह सिंह गंगानी के तबला वादन के साथ सुंदर जुगलबंदी पेश कर तालियां बटोरीं।

मुम्बई के यशवंत वैष्णव ने पद्म विभूषण ज़ाकिर हुसैन को तबले के माध्यम से श्रद्धांजलि

इस क्रम में यशवंत वैष्णव ने पद्म विभूषण ज़ाकिर हुसैन को तबले के माध्यम से श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने तीन ताल में विभिन्न घरानों के अंदाज को समेटते हुए गागर में सागर को समाहित किया।

उन्होंने खासतौर से उस्ताद अल्ला रक्खा और उस्ताद ज़ाकिर हुसैन के कायदे के अंदाज को पेश कर प्रशंसा हासिल की। इसके साथ ही उन्होंने पंजाबी घराने की पारंपरिक बंदिशों का चलन भी तबले पर स्वरित किया।

अकादमी के प्रबन्ध निदेशक, डॉ. श्रीकान्त शुक्ल की अगुआई में हुए सम्मान समारोह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह गौ सेवा प्रमुख – नवल किशोर, जयपुर के सुप्रसिद्ध सुरबहार वादक – डॉ. अश्विन एम. दलवी, बाराबंकी के किसान – पद्मश्री राम सरन वर्मा,

हिमांचल प्रदेश राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, शिमला की कुलपति प्रो. प्रीती सक्सेना, नई दिल्ली निवासी जयपुर घराना के सुप्रसिद्ध कथक गुरु पंडित राजेन्द्र गंगानी, वाराणसी के प्रसिद्ध शिक्षाविद् डॉ. प्रभु नारायण दूबे, लखनऊ घराना के सुप्रसिद्ध तबला वादक खलीफा उस्ताद इल्मास हुसैन खाँ,

लखनऊ की सुप्रसिद्ध लोकगीत गायिका – शशि लेखा सिंह, लखनऊ के प्रसिद्ध साहित्यकार प्रदीप तिवारी ‘धवल’ का सम्मान किया गया। इस अवसर पर सरस्वती संगीत अकादमी के निदेशक मंडल में शामिल आरती शुक्ला और प्रशांत शुक्ला भी उपस्थित रहे।

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इस क्रम में अकादमी के स्टूडेंटस ने विविध सांस्कृतिक कार्यक्रम भी पेश किये। समूह नृत्य शिव स्तुति और सती कथा में अक्षरा तिवारी, अक्षिता सिंह, सरमिष्ठा तिवारी, तनिशा मिश्रा, अनिका पाण्डे, अविका गोस्वामी, श्रीशा रघुवंशी, दीपांशी तिवारी, अराध्या श्रीवास्तव, इशिता ठाकुर ने प्रभावी भाव पक्ष का प्रदर्शन किया। इसके उपरांत सामूहिक ढोलक वादन सुनना श्रोताओं को रोमांचित कर गया।

इसमें विवाहित महिलाओं के साथ-साथ युवतियों ने ही नहीं पुरुषों और बालकों तक ने ढोलक वादन किया। इसमें प्रमिला मिश्रा, दीप्ति सिंह, जया त्रिवेदी, डॉ. प्रेमा पाण्डे, सरिता यादव, अवनी दुबे, भावना श्रीवास्तव, बृजेश शुक्ला, चन्द्रभाष सिंह, रागिनी अग्रवाल, प्रदीप पाण्डेय, ऋतुजा पाठक, डॉ. सुनील मिश्रा, शुभ भटनागर, नन्द कुमार पाण्डे, जितेन्द्र कुमार वर्मा, मिष्ठी यादव, अभिषेक रावत, रुद्राक्ष शुक्ला, इशिता ठाकुर, दिविशा शुक्ला, दीपांशी तिवारी, निरुपमा त्रिवेदी, कंचनलता मिश्रा, आचार्य प्रदीप पाण्डेय, गौरी शुक्ला और डॉ. प्रेमलता राय ने तबला और डॉ. अरविंद वर्मा ने की-बोर्ड वादन किया।

“ठुमक चलत राम चन्द्र” पर अराध्या श्रीवास्तव, दीपांशी तिवारी, इशिता तिवारी, अरुणिमा रावत, अश्विका सिंह, शनाया पाण्डेय और सानवी ने सुंदर कथक नृत्य कर प्रशंसा हासिल की।

कृष्ण वंदना “भजे व्रजैक मण्डनम्” पर शशि प्रभा सिंह और डॉ. भावना आनन्द ने प्रभावी युगल नृत्य किया। गणेश वन्दना एकल नृत्य मीशा सिंह ने पेश किया। देवर्षि ने राग बिहाग पर मधुर शास्त्रीय गायन किया। इसमें प्रियांशु ने तबले पर संगत दी। इस क्रम में पंडित शिवपूजन शुक्ल के निर्देशन में समूह लोक गायन किया गया।

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