सिंगापुर : भारत के सबसे पुराने देसी खेलों में से एक, खो-खो को वैश्विक मंच पर ले जाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए, इस खेलने आज सिंगापुर में अपना पदार्पण किया।
इस अवसर पर एक प्रदर्शनी मैच खेला गया जिसमें सिंगापुर की राष्ट्रीय टीम ने पहली बार हिस्सा लिया और उसका मुकाबला मलेशिया की टीम से हुआ, जो भारत में आयोजित खो-खो वर्ल्डकप 2025 के उद्घाटन संस्करण में भी भाग ले चुकी है।
यह ऐतिहासिक आयोजन एशियन खो-खो फेडरेशन (एकेकेएफ) द्वारा, खो-खो एसोसिएशन ऑफ सिंगापुर (केकेएएस) के सहयोग से, जुरोंगवेस्ट सेकेंडरीस्कूल में आयोजित किया गया। पूरे दिन चले इस कार्यक्रम का उद्देश्य सिंगापुर में खो-खो को लोकप्रिय बनाना था, जिसमें प्रशिक्षण सत्र, थ्योरी प्रेजेंटेशन और प्रदर्शनी मैचों का समावेश था।
इस अवसर पर इंटरनेशनल खो-खो फेडरेशन (आईकेकेएफ) और खो-खो फेडरेशन ऑफ इंडिया (केकेएफआई) के अध्यक्ष सुधांशु मित्तल ने कहा, “आज खो-खो के लिए एक ऐतिहासिक दिन है क्योंकि यह सिंगापुर में अपना औपचारिक पदार्पण कर रहा है।
एशियन खो-खो फेडरेशन की स्थापना इस क्षेत्र में खेल के प्रसार की शुरुआत है, जो अब केवल दक्षिण-पूर्व एशिया तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पूरे एशियाई उपमहाद्वीप तक पहुंचेगा।
स्कूल क्लिनिकसेलेकरमलेशिया बनाम सिंगापुर जैसे अंतरराष्ट्रीय मुकाबले तक, खेल की गति अब स्पष्ट है। खो-खो एक ऐसा खेल है जो फुर्ती, गति, सजगता और सहन शक्ति को अनूठे तरीके से जोड़ता है। हमें गर्व है कि यह विकास प्रतिबद्ध और सक्षम लोगों के नेतृत्व में हो रहा है।”
इस अवसर पर खो-खो एसोसिएशन ऑफ मलेशिया के अधिकारियों द्वारा प्रशिक्षण सत्र आयोजित किया गया, जिसमें सिंगापुर के विभिन्न हिस्सों से आए 180 बच्चों ने भाग लिया।
इसके बाद थ्योरी प्रेजेंटेशन और एक व्यावहारिक कार्यशाला आयोजित की गई जिसमें बच्चों को खो-खो के मूल कौशल, नियमों और रणनीतियों की शिक्षा दी गई। अंत में, सीखे गए कौशलों की परीक्षा के लिए बच्चों के बीच एकमैत्री पूर्ण मैच भी खेला गया।
इस अवसर पर एशियन खो-खो फेडरेशन के अध्यक्ष अस्लाम शेर खान ने कहा, “सिंगापुर और मलेशिया के बीच यह प्रदर्शनी मैच खो-खो की अंतरराष्ट्रीय यात्रा में एक महत्वपूर्ण पहल है।
यह हमारी साझा दृष्टि को दर्शाता है — इस पारंपरिक और गतिशील खेल को दक्षिण-पूर्व एशिया के नए दर्शकों तक पहुंचाने की। यह आयोजन केवल एक मैच भर नहीं है, बल्कि समुदायों को प्रेरित करने, युवा प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने और जमीनी स्तर पर एक मजबूत नींव तैयार करने का एक प्रयास है।”
ये भी पढ़ें : खो-खो फेडरेशन ऑफ इंडिया को मिली नई टीम, सुधांशु मित्तल फिर अध्यक्ष
इस मौके पर एशियन खो-खो फेडरेशन के सह-सचिव क्षितिज अग्रवाल ने भी अपनी बात साझा की, “आज का दिन सिंगापुर में खो-खो के लिए ऐतिहासिक रहा।
हमारी राष्ट्रीय टीम, जो केवल तीन महीने पहले बनी थी, ने अनुभवी मलेशियाई टीम के खिलाफ शानदार प्रदर्शन किया। ‘खो-खो डे’ कार्यक्रम में 100 से अधिक छात्रों की भागीदारी रही,
जिसमें चार स्कूल टीमों के बीच मैच खेले गए और मीडिया कवरेज भी हुआ। हमें उम्मीद है कि इस क्षेत्र में खेल का विकास तेजी से होगा और हम भविष्य में ऐसे और आयोजनों की मेज़बानी करेंगे।”
इसके बाद सिंगापुर और मलेशिया की राष्ट्रीय टीमों के बीच एक प्रदर्शनी मैच खेला गया, जिसमें मलेशियाकी अनुभवी टीम ने, जो भारत में हुए वर्ल्डकप का हिस्सा रही थी, सिंगापुर की नवगठित टीम से मुकाबला किया।
सिंगापुर की टीम ने सराहनीय संघर्ष किया और मैच को रोमांचक बना दिया, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि टीम में विकास और क्षमताकी भरपूर संभावनाएं हैं।
इस आयोजन में एशियन खो-खो फेडरेशन के महासचिव एम. सतशिवम, सह-सचिव क्षितिज अग्रवाल, और कार्यकारी निदेशक सान्या सिंह अग्रवाल भी उपस्थित थे।
यह ऐतिहासिक पहल खो-खो की अंतरराष्ट्रीय यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होती है और एशिया सहित दुनिया भर में खेल के विकास कार्यक्रमों के लिए मंच तैयार करती है, जिससे इस पारंपरिक भारतीय खेल की वैश्विक पहुंच और मजबूत होगी।