कृशिव के पैर की अंगुली टूटी, मेजबान गुजरात को मिला ट्रायथलॉन मिश्रित रिले रजत

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गांधीनगर। 15 साल के कृशिव हितेश पटेल के पास हटने का कोई विकल्प नहीं था। खास तौर पर ऐसे समय तो वह बिल्कुल नहीं हट सकते थे जब उनकी टीम के पास नेशनल गेम्स ट्रायथलॉन मिक्स्ड टीम रिले का पदक जीतने का सुनहरा मौका था।

वह आठवें स्थान पर रहते हुए दूसरे के कंधों का सहारा लेकर चेंज जोन में पहुंचे थे और फिर वहीं से अपने साथी खिलाड़ियों को गुजरात के लिए रजत पदक जीतते हुए देखा था। यदि साइकिल से गिरना अधिक नहीं था तो फिर यूथ मेल कैटेगरी में भारत के नंबर दो हितेश के पैरों से कई साइकिलों के पहिए गुजर गए

और चीजें काफी ज्यादा खराब हो गई थीं। उन्होंने बताया, “हारने के लिए समय नहीं था और मुझे वापस साइकिल पर आना था। मुझे पता था कि मेरे साथियों के पास हमारे लिए पदक जीतने की क्षमता है। यदि मैं हट गया होता तो शायद उनके पास पदक जीतने का मौका नहीं रहता।”

उनके साथी खिलाड़ियों मोनिका और करन नागपुरे के अलावा व्यक्तिगत स्पर्धा में महिलाओं की स्वर्ण पदक विजेता प्रागन्या मोहन अपने राज्य के लिए पदक जीतने का जज्बा लेकर बैठे थे। उन्होने आठवें स्थान से अपनी टीम को शानदार तरीके से दूसरे स्थान पर पहुंचाया और रजत पदक हासिल किया।

गुजरात के लिए इस बड़े अंतर को खत्म करने के का काम महिला एथलीट्स ने किया। आठवें स्थान पर शुरुआत करने का मौका पाने का बावजूद 22 साल की मोनिका ने चिंता नहीं की और अपने आगे चल रहे लोगों का पीछा करना शुरू किया। उन्होंने केवल चार लोगों को पीछे ही नहीं छोड़ा

बल्कि दूसरे स्थान पर चल रही मणिपुर की थौदम सरोजनी से दूरी को दो मिनट से कम भी किया था। बिजेन कुमार लैखुरम ने करन नागपुरे से लगभग एक मिनट की तेजी दिखाई थी और अब गुजरात को तीसरे स्थान से आगे ले जाने के लिए प्रागन्या मोहन को कुछ अद्भुत करने की जरूरत थी।

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उन्होंने एंकर लेग को 28 मिनट और 54 सेकंड में पूरा किया। इस आज किसी महिला द्वारा सबसे तेजी से पूरा किया लेग और कुल मिलाकर आज के 56 ट्राई एथलीट्स के बीच सातवां सबसे तेज समय भी है। प्रगन्या ने कहा, “कृशिव ने टूटी हुई उंगली के साथ जो साहस दिखाया है उसका सम्मान करने के लिए मुझे आज अपना बेस्ट एफर्ट देने की जरूरत थी।

यदि चोट के कारण वह बीच से हट गए होते तो हम में से कोई भी इसकी शिकायत नहीं करता। नागपुरे भाई-बहनों को श्रेय जाता है जिन्होंने टीम को आठवें से तीसरे स्थान पर पहुंचाने का शानदार काम किया था।”प्रगन्या मोहन ने कड़ी मेहनत की थी और काफी पीछे होने के बावजूद दूसरा स्थान हासिल किया था।

उन्होंने कहा, “30 मिनट के अंदर तैराकी, साइकिल और दौड़ करने में दो मिनट के अंतर को भी कम कर पाना आसान चीज नहीं है। मैंने सोनम को पीछे कर दिया, लेकिन आरती बहुत दूर थीं और मेरे लिए उन्हें पकड़ पाना मुश्किल था। जिस तरीके की परिस्थितियों में रजत पदक आया है उससे यह मेरे लिए व्यक्तिगत स्वर्ण से भी अधिक संतोनजनक है।”

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