लड़कियों की शादी में पुस्तकें तोहफे में देते हैं मजदूर सूबेदार गौड़

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लखनऊ। मेहनत-मजदूरी कर घर खर्च चलाने वाले अम्बेडकर नगर के सूबेदार गौड़ ने समाज में जीवन मूल्यों, संस्कारों व सामाजिक सराकारों की एक अनूठी मिसाल पेश की है। श्री सूबेदार पुस्तकें खरीदकर लड़कियों की शादी में उपहारस्वरूप भेंट करते हैं।

ताकि विवाह के उपरान्त लड़कियाँ जीवन मूल्यों व संस्कारों की नींव पर भावी जीवन की सुखद शुरुआत करें। एक अनौपचारिक वार्ता में श्री सूबेदार ने बताया कि उन्होंने पाँच वर्ष पूर्व प्रख्यात साहित्यकार पं.हरि ओम शर्मा की पुस्तकों को लड़कियों की शादी में उपहारस्वरूप भेंट करने का सिलसिला शुरू किया था।

जब लखनऊ पुस्तक मेले में उन्हें पहली बार पं.हरि ओम शर्मा की पुस्तक ‘जागो, उठो, चलो’ उन्हें पढ़ने को मिली। इसी पुस्तक से उन्हें यह प्रेरणा मिली कि अच्छे व रचनात्मक विचारों को समाज में अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाने की आवश्यकता है, जिससे भावी पीढ़ी अपने जीवन मूल्यों व सामाजिक सरोकारों के प्रति जागरूक हो सके।

श्री सूबेदार अभी तक 500 से अधिक पुस्तकें लड़कियों की शादी में भेंट कर चुके हैं, जिनमें पं. हरि ओम शर्मा द्वारा लिखित 19 पुस्तकों की 100 से अधिक प्रतियाँ शामिल हैं। श्री सूबेदार ने मछलियाँ बेचकर स्नातक शिक्षा प्राप्त की। वे वर्तमान में एक ट्रान्सपोर्ट कम्पनी में माल-ढुलाई (मजदूरी) का कार्य करके समाज सेवा में भी योगदान दे रहे हैं।

महीने के बमुश्किल ग्याहर हजार रूपये कमाने वाले भूमिहीन श्री सूबेदार पर परिवार के 8 सदस्यों के भरण पोषण व पढ़ाई-लिखाई की जिम्मेदारी है, बावजूद इसके वे लगभग 1000 रूपये की बचत कर किताबें खरीदते हैं और उन्हें लड़कियों की शादी में उपहारस्वरूप भेंट करते हैं।

साहित्यकार पं.हरि ओम शर्मा ‘हरि’ के निजी सचिव राजेन्द्र चौरसिया ने बताया कि आज श्री सूबेदार गौड़ पं. शर्मा की पुस्तक ‘जागो, उठो, चलो’ पर लिखे पते पर ढूँढते-ढूँढते कार्यालय आये और पुस्तक ‘जागो, उठो, चलो’ की प्रतियां खरीदने की मांग की।

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पं. शर्मा जी ने इस पुस्तक प्रेमी का स्वागत किया, साथ ही उनके निजी जीवन की जानकारी प्राप्त की। पं. शर्मा ने इस पुस्तक प्रेमी मजदूर की इस अनोखी पहल की प्रशंसा करते हुए अपनी सभी 19 पुस्तकें आधी कीमत पर देने की घोषणा की। श्री गौड़ बहुत खुश होते हुए 25 किताबें खरीदकर लड़कियों की शादी में उपहारस्वरूप भेंट करने के लिए ले गये।

वास्तव में, एक मजदूर की यह जिन्दादिल पहल है। श्री चौरसिया ने बताया कि पं. शर्मा जी अभी तक 19 पुस्तकें लिख चुके हैं और उनकी लेखनी सतत् गतिमान है। पं. शर्मा के लेखन को देश ही नहीं अपितु विदेशों में भी सराहा गया है एवं साहित्य व पत्रकारिता के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान हेतु विभिन्न उपाधियों व सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है।

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