लखनऊ: अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष -2023 के अवसर पर बुधवार को भाकृअनुप – भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ में अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष का उदघाटन मिलेट केक काटकर किया गया। इस अवसर पर आयोजित कृषक – वैज्ञानिक परिचर्चा में मोटे अनाजों के महत्व पर किसानों को जागरूक किया गया।
मोटे अनाज के महत्व पर हुई किसान-वैज्ञानिक परिचर्चा
संस्थान के निदेशक, डॉ. आर. विश्वनाथन ने कहा कि मोटे अनाज की फसलों के उत्पादन को बढ़ावा देकर जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा संकट, गिरता भू-जल स्तर, स्वास्थ्य एवं खाद्यान संकट जैसी समस्याओं पर सुगमता से नियंत्रण पाया जा सकता है।
मोटे अनाज की फसलों को पानी, रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों की कम आवश्यकता पड़ती है जिससे मृदा की उर्वरा शक्ति एवं भू-जल स्तर पर विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता।
मोटे अनाजों को उगाने में उत्पादन लागत भी कम आती है, सूखा प्रतिरोधी होने के साथ-साथ इन फसलों को कम उपजाऊ एवं सीमांत भूमि पर भी आसानी से उगाया जा सकता है। मोटे अनाजों में कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स होने के कारण मोटे अनाज मधुमेह के रोगियों के लिए भोजन के आदर्श अवयव हैं।
आयोजन सचिव डॉ. अजय कुमार साह -प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रभारी (कृषि प्रसार एवं प्रशिक्षण) ने संस्थान में वर्ष भर आयोजित होने वाले विशेष कार्यक्रमों की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए मोटे अनाज के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि प्राचीन काल में मोटे अनाज ही मनुष्यों का मुख्य आहार थे।
समयान्तराल में हमारे द्वारा इन अनाजों को महत्व न देनें के कारण आज मोटा अनाज उपेक्षित है। इस अवसर पर सभी विभागाध्यक्ष डॉ.जे सिंह, डॉ.सुधीर कुमार शुक्ल, डॉ.शर्मिला रॉय, डॉ.पुष्पा सिंह एवं डॉ.राम धीरज सिंह, सभी अनुभागों के प्रभारियों डॉ.राजेश कुमार व डॉ.लाल सिंह गंगवार ने भी मोटे अनाज के महत्व पर विचार व्यक्त किए।
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इस अवसर पर संस्थान में आयोजित प्रत्येक बैठक में मिलेट्स के कम से कम एक व्यंजन सर्व करने का निर्णय भी लिया गया। इस अवसर पर गया (बिहार) से आए 20 किसानों ने सहभागिता की। कार्यक्रम का संचालन डॉ.अनीता सावनानी ने किया। कार्यक्रम के समापन पर डॉ ब्रह्म प्रकाश ने धन्यवाद ज्ञापित किया।