लखनऊ : सशस्त्र बल चिकित्सा सेवाओं के महानिदेशक (डीजीएडीएमएस) लेफ्टिनेंट जनरल दलजीत सिंह, अति विशिष्ट सेवा मेडल, विशिष्ट सेवा मेडल,
पीएचएस और एएमसी के वरिष्ठ कर्नल कमांडेंट द्वारा लखनऊ छावनी स्थित सेना चिकित्सा कोर, सेंटर और कॉलेज के प्लेटिनम जुबली परेड ग्राउंड में आयोजित एक भव्य समारोह में सेना चिकित्सा कोर के लिए प्रतिष्ठित प्रेसिडेन्ट कलर (राष्ट्रपति ध्वज) के प्रतिस्थापन को भेंट किया।
इस अवसर पर उनके साथ लेफ्टिनेंट जनरल अरिंदम चटर्जी, अति विशिष्ट सेवा मेडल, विशिष्ट सेवा मेडल, डीजीएमएस (आर्मी) और कर्नल कमांडेंट तथा सेना चिकित्सा कोर, सेंटर और कॉलेज, लखनऊ सेनानायक एवं एएमसी के अभिलेख प्रमुख तथा एएमसी के कर्नल कमांडेंट लेफ्टिनेंट जनरल वी साबिद सईद भी मौजूद थे।
इस ऐतिहासिक समारोह और परेड की अगुवाई कर्नल जी गिरी द्वारा की गयी। कर्नल जी गिरी की अगुवाई में भव्य सैंन्य परेड के उच्चतम अभ्यास को दर्शाया गया। इस ऐतिहासिक समारोह और सैन्य मार्च-पास्ट को बड़ी संख्या में सेवारत और सेवानिवृत कर्मियो के साथ-साथ कई सैन्य गणमान्य व्यक्तियों ने भी देखा ।
परेड की समीक्षा करने के बाद लेफ्टिनेंट जनरल दलजीत सिंह ने सेना चिकित्सा के समस्त सेवारत एवं सेवानिवृत सैन्य अधिकरियों सहित सभी रैंकों के सैन्य कर्मियों को उच्च दर्जे की सेवाऐं अर्जित करने के लिए प्रशंसा की एवं उनके परिवारों के लिए शुभकामनायें दी।
उन्होंने सभी रैंकों को गर्व सम्मान और शानदार व्यावसायिकता के साथ देश की सेवा करने के लिए अपनी सराहना और शुभकामनाएं दीं। प्रेसिडेन्ट कलर अर्थात् राष्ट्रपति ध्वज रेजिमेंट की भावना का प्रतीक होता है।
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रजिमेंटल कलर के भाव और मूल्यों को दर्शाता है। यह प्रेसिडेन्ट कलर सेना चिकित्सा कोर को देश और विदेश के उतकृष्ट कार्य को मान्यता देने के उपलक्ष्य में मिला था।
सर्वप्रथम तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. एस राधाकृष्णन ने यह प्रेसिडेंन्ट कलर 03 अप्रैल 1966 को भारत-पाकिस्तान 1965 युद्ध के बाद प्रदान किया था। 57 गौरवशाली वर्षाे के बाद प्रेसिडेन्ट कलर (राष्ट्रपति ध्वज) को बदला गया है ।
सेना चिकित्सा कोर का 03 अप्रैल 1943 को गठन हुआ था। यह सबसे पुरानी कोर में से एक है और भारतीय सेना की स्थापना के बाद से ही भारतीय सशस्त्र बलों का अभिन्न अंग रही है।
अपनी प्राथमिक भूमिका के अलावा आपदाओं और प्राकृतिक आपदाओं के दौरान सेवा प्रदान करने में सेना चिकित्सा कोर हमेशा देश और विदेश में भी नागरिकों को चिकित्सा प्रदान करने में हमेंशा अग्रसर रही हैं।