लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी ने अपने सैन्य साथी को बचाते हुए दिया सर्वोच्च बलिदान

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लखनऊ / अयोध्या : लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी ने अपने सैन्य साथी की जान बचाते हुए अपने जीवन का सर्वोच्च बलिदान दिया। लेफ्टिनेंट तिवारी 22 मई, 2025 को सिक्किम के बिच्छू से चू जंक्शन तक रूट ओपनिंग टीम का हिस्सा थे। कार्य करते समय लेफ्टिनेंट तिवारी के साथी फिसल गए और बगल की तेज बहती धारा में गिर गए।

अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा की परवाह किए बिना लेफ्टिनेंट तिवारी ने धारा में छलांग लगा दी और अपने साथी की जान बचाई। पर लेफ्टिनेंट तिवारी तेज बहती धारा से खुद को बाहर नहीं निकाल पाए और बह गए।

23 मई, 2025 को उनके पार्थिव शरीर को अयोध्या लाया गया। 24 मई को भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारी और कार्मिक, नागरिक प्रशासन के सदस्य और स्थानीय निवासी लेफ्टिनेंट तिवारी की वीरता और बलिदान को श्रद्धांजलि देने और शोकाकुल परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त करने के लिए एकत्र हुए।

भारतीय सेना और सूर्या कमान उस बहादुर अधिकारी द्वारा दिखाए गए साहस और सौहार्द का सम्मान करती है, जो चेटवुड के आदर्श वाक्य “अपने देश की सुरक्षा, सम्मान और कल्याण हमेशा और हर समय सबसे पहले आते हैं। आपके द्वारा कमान किए गए लोगों का सम्मान, कल्याण और आराम उसके बाद आते हैं।

आपकी अपनी सहजता, आराम और सुरक्षा हमेशा और हर बार सबसे आखिर में आती है।”23 वर्षीय लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी को 14 दिसंबर 2024 को सिक्किम स्काउट्स की पहली बटालियन में कमीशन दिया गया था।

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