शहीद हेमू ने की थी दोबारा भारत में जन्म लेने की इच्छा

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश सिंधी अकादमी द्वारा आजादी के परवाने वीर सपूत अमर शहीद हेमू कालाणी के 101वें जन्म दिवस की पूर्व संध्या पर शुक्रवार 22 मार्च को इन्दिरा भवन स्थित अकादमी कार्यालय परिसर में किया गया। इसका विषय “हेमू कालाणी के आदर्शो की आधुनिक भारत में प्रासंगिकता’’ था।

इसमें वक्ताओं ने संदेश दिया कि शहीद हेमू ने दोबारा भारत में जन्म लेने की इच्छा जाहिर की थी। संगोष्ठी की शुरुआत में अकादमी निदेशक अभिषेक कुमार अखिल ने भगवान झूलेलाल और अमर शहीद हेमू कालाणी के चित्र पर पुष्प अर्पित किए। उन्होंने अकादमी की गतिविधियों की भी जानकारी दी।

हेमू कालाणी की जयंती पर उत्तर प्रदेश सिंधी अकादमी द्वारा करवाई गई संगोष्ठी

संगोष्ठी में आमंत्रित विद्वान प्रो.जी.के.लालचन्दानी, हरीश वाधवानी, प्रकाश गोधवानी, डॉ.कोमल असरानी दुनीचन्द, कनिका गुरुनानी, रंजीता सचदेवा ने प्रतिभाग किया। जिसमें वक्ताओं ने बताया कि हेमू कालानी का जन्म अविभाजित भारत के सखर प्रान्त में 23 मार्च, 1923 को हुआ था।

जब हेमू किशोर वयस्क अवस्था के थे तब उन्होंने अपने साथियों के साथ विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया और लोगों से स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग करने का आग्रह किया। साल 1942 में जब महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आन्दोलन चलाया तब हेमू कालाणी उसमें सक्रीय हो गए।

साल 1942 में उन्हें यह गुप्त जानकारी मिली कि अंग्रेजी सेना हथियारों से भरी रेलगाड़ी रोहड़ी शहर से होकर गुजरेगी। हेमू अपने साथियों के साथ रेल पटरी को अस्त व्यस्त करने की योजना बनाई।

संगोष्ठी का विषय था “हेमू कालाणी के आदर्शो की आधुनिक भारत में प्रासंगिकता’’

हेमू यह सब कार्य अत्यंत गुप्त तरीके से कर रहे थे पर फिर भी वहां पर तैनात पुलिस कर्मियों की नजर उन पर पड़ी और उन्होंने हेमू कालाणी को गिरफ्तार कर लिया और उनके बाकी साथी फरार हो गए। हेमू कालाणी को कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई गई।

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उस कोर्ट ने हेमू से अपने साथियों के नाम और पता बताने का दबाव भी डाला पर हेमू ने वह प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया। ऐसे में 21 जनवरी 1943 को हेमू कालाणी को फांसी की सजा दी गई।

फांसी से पहले हेमू कालाणी की आखिरी इच्छा पूछी गई तो उन्होंने भारत में फिर से जन्म लेने की इच्छा जाहिर की। इन्कलाब जिंदाबाद और भारत माता की जय की घोषणा के साथ हेमू ने फांसी को स्वीकार किया।

वक्ताओं ने यह भी बताया कि 14 अक्टूबर, 1983 को अमर शहीद हेमू कालाणी की स्मृति में भारत सरकार ने डाक टिकट भी जारी किया था।

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