आंगनबाड़ी केंद्रों में खेल आधारित शिक्षा को बढ़ावा देने पर बनी रणनीति

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चित्र परिचय बाएं से दाएं: आशा सिंह (उप निदेशक, नोडल एनजीओ, आईसीडीएस यूपी), अमित भसीन (मुख्य कानूनी अधिकारी और समूह जनरल काउंसलर, मैरिको लिमिटेड), लीना जौहरी (प्रमुख सचिव, महिला एवं बाल विकास, उत्तर प्रदेश), शशांक खरे (शिक्षा प्रबंधक, एचसीएल फाउंडेशन), कौशिक शिवसुब्रमण्यन (कार्यक्रम प्रमुख - ईसीसीई, रिलायंस फाउंडेशन) और सोनाली खान (मैनेजिंग ट्रस्टी, सेसमी वर्कशॉप इंडिया ट्रस्ट)

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में प्रारंभिक बाल शिक्षा को मजबूत बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया। लखनऊ में एक उच्च स्तरीय राउंडटेबल बैठक का आयोजन किया गया।

इस बैठक में उत्तर प्रदेश सरकार की एकीकृत बाल विकास सेवा, सेसमी वर्कशॉप इंडिया ट्रस्ट और मैरिको लिमिटेड शामिल हुए।

इस कार्यक्रम का नाम था – “अर्ली फाउंडेशन्स, ब्राइट फ्यूचर्स”। इसमें सरकार,सीएसआर, शिक्षा जगत और समाजिक संस्थाओं से जुड़े 80 से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया। सभी ने मिलकर राज्य में बच्चों के लिए आनंददायक, समावेशी और व्यापक प्रारंभिक शिक्षा मॉडल पर चर्चा की।

बदलाव के लिए सहयोग को लेकर आयोजित हुई राउंडटेबल बैठक

बैठक का उद्देश्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति और राष्ट्रीय पाठ्यचर्या फ्रेमवर्क 2022 के विचारों को आगे बढ़ाना था। इसमें खास ध्यान आंगनबाड़ी केंद्रों को खेल, सहयोग और उद्देश्य के माध्यम से बेहतर बनाना रहा।

लीना जौहरी, प्रमुख सचिव, महिला एवं बाल विकास, उत्तर प्रदेश ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में प्री-स्कूल शिक्षा एक नया विषय है।

ऐसे संवाद बहुत जरूरी हैं, ताकि व्यवहारिक व प्रभावी रणनीतियां बन सकें। उन्होंने कहा कि इन्फ्रास्ट्रक्चर यानि ढांचा जरूरी है, लेकिन असली बदलाव तो तभी आएगा जब हम बच्चों के लिए जिज्ञासा जगाने वाला, माता-पिता को भरोसेमंद लगने वाला और अनुकूल वातावरण तैयार करें।

मैरिको लिमिटेड की प्रमुख शिक्षा पहल “निहार शांति पाठशाला फनवाला” के माध्यम से 3 से 6 वर्ष के बच्चों के लिए “लर्न, प्ले, ग्रो’ कार्यक्रम चलाया जा रहा है। यह कार्यक्रम सेसमी वर्कशॉप इंडिया के साथ मिलकर चलाया जा रहा है। अब अपने दूसरे वर्ष में यह कार्यक्रम 60 से बढ़ाकर 100 आंगनवाड़ी केंद्रों में पहुँच चुका है।

सरकार, कॉर्पोरेट और सामाजिक संस्थाओं ने साझा जिम्मेदारी पर दिया ज़ोर

यह कार्यक्रम बहराइच जिले में 1500 बच्चों और उनके माता-पिता तक पहुँच चुका है। इसमें खेल के माध्यम से सीखने और स्कूल के लिए तैयारी पर जोर दिया जा रहा है।

मैरिको के निरंतर सहयोग और सेसमी वर्कशॉप इंडिया के बेहतरीन प्रयास से उच्च गुणवत्तापूर्ण कार्य संपन्न हुए हैं। साथ ही आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की क्षमता निर्माण और उत्साहजनक शैक्षणिक वातावरण बना है। इस प्रकार, आजीवन शिक्षा के लिए एक मज़बूत आधार तैयार हुआ है और भारत के प्रारंभिक शिक्षा लक्ष्यों में सार्थक योगदान दिया है।

मैरिको के मुख्य विधिक अधिकारी और सीएसआर कमेटी के सचिव अमित भसीन ने कहा कि हम मानते हैं कि किसी भी बिज़नेस की असली सफलता समाज के लिए किए गए योगदान से मापी जाती है। शिक्षा हमारी प्राथमिकता है। निहार शांति पाठशाला फनवाला के ज़रिए हम हर बच्चे को आगे बढ़ने का अवसर देना चाहते हैं।

उन्होंने सेसमी वर्कशॉप इंडिया को उनके साथ साझेदारी के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि यह यात्रा केवल आँकड़ों की नहीं, बल्कि बदलाव की है।

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सेसमी वर्कशॉप इंडिया ट्रस्ट की मैनेजिंग ट्रस्टी, सोनाली खान ने भी कहा कि हर बच्चे को सीखने और आगे बढ़ने का हक है। जब सरकार, संस्थाएं और कंपनियां मिलकर काम करती हैं, तभी असली बदलाव होता है।

इस बैठक में कई प्रमुख संगठनों ने भाग लिया। इसमें एचसीएल फाउंडेशन, जपाईगो, रूम टू रीड, प्रथम, आगा खान फाउंडेशन, रिलायंस फाउंडेशन, सेन्ट्रल स्क्वायर फाउंडेशन, अर्न्स्ट एंड यंग और टाटा ट्रस्ट हैं। बैठक में शामिल सभी ने अपने अनुभव साझा किए और बच्चों की शिक्षा के लिए साझा जिम्मेदारी पर जोर दिया।

मुख्य बिंदु:
• खेल आधारित शिक्षा को लेकर सरकार और सीएसआर संगठनों के बीच मजबूत तालमेल बना।
• आंगनबाड़ी केंद्रों को समुदाय आधारित सुधार और समावेशी तरीकों से बदलने पर चर्चा हुई।
• सेसमी वर्कशॉप इंडिया के मॉडल को अन्य जिलों में दोहराने की रुचि दिखाई गई।
• CSR और सरकारी विभागों के बीच सहयोग को और गहरा करने की संभावनाएं उभरीं।

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