मेदांता हॉस्पिटल व आईएपी ने चिकित्सकों के लिए की वैज्ञानिक परिचर्चा 

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लखनऊ: मेदांता हॉस्पिटल लखनऊ के सहयोग से इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स ने चिकित्सकों के लिए बाल रोगों के सम्बंध में हुए वैज्ञानिक शोधों और प्रगति के विषय मे चर्चा का आयोजन किया। इस चर्चा के दौरान बच्चों में होने वाली गंभीर बीमारियों के शोध पत्रों के विषय पर व्याख्यान दिया गया।

राजधानी लखनऊ के प्रतिष्ठित बाल रोग विशेषज्ञों ने कई गंभीर बीमारियों के विषय मे चर्चा की। चर्चा के प्रतिभागियों को आईएपी के चेयरपर्सन डॉ अजय कुमार और डॉ पियाली भट्टाचार्य ने आईएपी लखनऊ के क्रियाकलापों के विषय में संक्षिप्त जानकारी दी।

डॉ. अभिषेक बंसल, आईएपी अध्यक्ष, लखनऊ व डॉ.अमित रस्तोगी, आईएपी सचिव ने गर्मजोशी के साथ मेहमानों और प्रतिभागियों का स्वागत किया।  चर्चा की शुरुआत करते हुए डॉ अनिल गुप्ता – सीनियर कंसलटेंट, पीडियाट्रिक इंटेनसिविस्ट – मेदांता हॉस्पिटल ने बताया कि वर्तमान समय में बाल रोग गम्भीर चुनौतियों में से एक है।अभी दुनिया भर में बच्चों की गम्भीर बीमारियों के इलाज के लिए लगातार शोध चलते रहते हैं। बच्चों में होने वाली बीमारियों का नकारात्मक असर न केवल बच्चे व परिवार पर पड़ता है बल्कि समय से इलाज न होने पर यह देश के लिए एक बहुमूल्य ह्यूमन रिसोर्स के नुकसान का कारण भी बनता है।

इसलिए बच्चों में होने वाले रोगों का समय से इलाज नितांत अवाश्यक है।” डॉ गुप्ता ने कहा, ” बच्चों में कोई भी बीमारी, दुर्बलता, या असामान्य स्थिति जो मुख्य रूप से नवजात शिशुओं और बच्चों को भ्रूण में शूरू हुई उनकी आयु से लेकर किशोरावस्था तक प्रभावित करती है।

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हालाँकि, बच्चों की अधिकतर बीमारियाँ वयस्कों के समान होती हैं, फिर भी इनमें कई महत्वपूर्ण अंतर होते हैं। उदाहरण के लिए, कुछ विशिष्ट विकार, जैसे कि असामयिक यौवन, यह बच्चों में असामान्य अवस्था हैं। इसके अलावा जैसे कि तीव्र नेफ्रैटिस या गुर्दे में सूजन बच्चों में आम हैं और वयस्कों में दुर्लभ हैं।

साथ ही, कुछ बीमारियां जो वयस्कों में आम हैं, बच्चों में कम होती हैं, जैसे कि हाइपरटेंशन या हाई ब्लड प्रेशर। बच्चों की बीमारियों के निदान और उनके इलाज के लिए भी डॉक्टर को उतना ही कुशल होना चाहिए जितना कि एक वयस्क के इलाज के लिए।”

उन्होंने बताया, “मेदांता अस्पताल लखनऊ में पूरी तरह से बच्चों के इलाज के लिये समर्पित अत्याधुनिक पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट* (बच्चों के लिए गहन देख रेख सेवा) की शुरुआत हो चुकी है । अब राजधानी लखनऊ में एक ही छत के नीचे विभिन्न प्रकार के बाल रोगों का इलाज़ सरलता से उपलब्ध है।

यह सुविधा मेदांता के अनुभवी व कुशल डॉक्टर्स की देखरेख में उपलब्ध है। इस सुविधा के शुरू हो जाने से अब उत्तर प्रदेश और इसके सीमावर्ती पड़ोसी राज्यों के बाल रोगियों के इलाज के लिए मेट्रो शहरों की ओर रुख नही करना होगा।

मेदान्ता अस्पताल के बालरोग गैस्ट्रो विशेषज्ञ डॉ दुर्गा प्रसाद ने बच्चों में पीलिया रोग के सम्बंध में जानकारी देते हुए बताया, “नवजात शिशुओं में पीलिया होना एक आम बात है और यह नुकसानदायक नहीं होता है। नवजात शिशुओं के शरीर मे बिलिरुबिन की मात्रा उनके शरीर मे मौजूद अधिक लाल रक्त कोशिकाओं के चलते बढ़ी हुई होती है।

उनका यकृत बिलिरुबिन को प्रोसेस करके शरीर से बाहर निकालने में सक्षम नहीं होता। नवजात शिशु स्वस्थ है तो दो हफ्ते के अंदर यह समस्या दूर हो जाती है।”* उन्होंने आगे बताया, “अगर शिशु को जन्म से ही पीलिया है तो मूत्र पीला और मल सफेद रंग का होगा, यह लीवर की बीमारी का संकेत है।

इसके अलावा यदि बच्चे की त्वचा और आंखों में पीलापन आ रहा है, तो ऐसे में बालरोग गैस्ट्रो विशेषज्ञ चिकित्सक से तुरंत सलाह लेनी चाहिए और उनके कुशल निर्देशन में पीलिया होने के कारण का पता लगाकर इलाज कराना चाहिए। बड़े बच्चों में पीलिया का मुख्य कारण वायरल संक्रमण होता है।

इसमें कभी-कभी लीवर फेलियर की संभावना अत्यधिक होती है। इस हालत में मरीज की जान बचाने के लिए लिवर ट्रांसप्लांट आवश्यक हो जाता है। लखनऊ और आसपास के इलाकों में रहने वालों के लिए यह राहत की बात है कि मेदांता हॉस्पिटल में अब लिवर ट्रांसप्लांट की अत्याधुनिक सुविधा उपलब्ध है।”

डॉ दुर्गा प्रसाद ने बताया कि गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रक्तस्राव के प्रबंधन के साथ उल्टी और पेट दर्द सिरोसिस, विल्सन रोग, ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस सहित सभी जिगर के रोगों का इलाज किया जाता है और हाल ही में मेदांता में उच्च स्तरीय प्रशिक्षण प्राप्त टीम की देखरेख में लीवर ट्रांसप्लांट भी शुरू किया गया है।

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