लखनऊ : सीएसआईआर-केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीमैप), लखनऊ औषधीय एवं सगंध पौधों में शोध एवं विकास कर रहा है। औषधीय एवं सगंध पौधों में हो रहे नित नए शोध एवं विकास कार्यों से किसानों को लाभ पहुंचाने का कार्य किया जा रहा हैं।
इसी क्रम मे सीएसआईआर-सीमैप व केंद्रीय सिल्क बोर्ड-केंद्रीय तसर अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान, रांची, झारखंड के बीच औषधीय एवं सगंध पौधों में शोध एवं विकास कार्यों को बढ़ावा देने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।
इस समझौता पत्र पर डॉ. प्रबोध कुमार त्रिवेदी (निदेशक, सीएसआईआर-सीमैप) व केंद्रीय सिल्क बोर्ड-केंद्रीय तसर अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान, रांची, झारखंड के निदेशक, डॉ. के. सत्यनारायन ने हस्ताक्षर किए। इस समझौता पत्र के अंतर्गत दोनों संस्थानों के उपलब्ध अतिआवश्यक उपकरणों का उपयोग कर सकेंगे।
सीएसआईआर-सीमैप, लखनऊ व केंद्रीय सिल्क बोर्ड-केंद्रीय तसर अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान, रांची, झारखंड के छात्रों को लघु अवधि के लिए प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।
राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वित्तीय संस्थाओं से परियोजनाओं को संस्तुत करा सकते हैं और इनमे होने वाले अनुसंधान से प्राप्त परिणामों को दोनों संस्थान साझा करेंगे। इस समझौता पत्र के अनुसार औषधीय एवं सगंध पौधों के साथ-साथ रेशम उत्पादन मे मदद करने वाले पौधों के साथ इंटर क्रोपिंग सिस्टम पर अनुसंधान किया जाएगा।
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इसके साथ ही सीएसआईआर-सीमैप, लखनऊ के वैज्ञानिक/तकनीकी अधिकारी/कर्मचारी भी केंद्रीय सिल्क बोर्ड-केंद्रीय तसर अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान, रांची, झारखंड मे पीएचडी एवं अन्य विधाओं मे नामांकन कर डिग्री प्राप्त कर सकते हैं।
इस अवसर पर संस्थान के वैज्ञानिक डॉ.आरके श्रीवास्तव, डॉ.राम सुरेश शर्मा तथा केंद्रीय सिल्क बोर्ड-केंद्रीय तसर अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान, रांची झारखंड के निदेशक डॉ.के सत्यनारायन एवं डॉ.जेपी पाण्डेय उपस्थित थे।