अनवर जलालपुरी की यादें आज भी हमारे दिलों में ताजा

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लखनऊ. हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के पूर्व संरक्षक तथा मशहूर-ओ-मारूफ शायर “मोहब्बत के सफ़ीर” पदमश्री शायर अनवर जलालपुरी की पांचवी पुण्यतिथि के अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा “श्रद्धापूर्ण पुष्पांजलि” कार्यक्रम का आयोजन ट्रस्ट के कार्यालय में किया गया.

हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल, न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल, ट्रस्ट के स्वयंसेवकों व लाभार्थियों ने मरहूम शायर अनवर जलालपुरी जी के चित्र पर श्रद्धापूर्ण पुष्पांजलि अर्पित की तथा उन्हें याद करते हुए उन्हें सादर नमन किया.

उनके साथ बीते हुए दिनों को याद करते हुए हर्ष वर्धन अग्रवाल बताते हैं कि नवर जलालपुरी मोहब्बत के सफ़ीर थे और एक बहुत ही जिंदादिल इंसान थे. हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के साथ उनका बहुत गहरा नाता था.

उन्होंने भगवत गीता को उर्दू में अनुवादित करके पूरे विश्व को भाईचारे और सौहार्द्र का संदेश दिया और इसकी जीती जागती मिसाल अनवर जलालपुरी द्वारा लिखित पुस्तक “उर्दू शायरी में गीता” का महान संत परम श्रद्धेय मुरारी बापू द्वारा विमोचन है.

अनवर जलालपुरी रिश्तो का बहुत सम्मान करते थे. उनकी नजर में हर एक  रिश्ते का एक खास महत्व था. यही कारण है कि हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा जनहित में निरंतर किए जा रहे कार्यों से प्रभावित होकर उन्होंने ट्रस्ट का संरक्षक बनना स्वीकार किया व जीवन के आखिरी क्षणों तक हमारे साथ अपना रिश्ता निभाया.

अनवर जलालपुरी अपनी जागती आंखों से एक ऐसे संसार का ख़्वाब देखते थे जिसमें ज़ुल्म, अत्याचार और दहशत की कोई जगह न हो | वे कहा करते थे :

हर दम आपस का यह झगड़ा, मैं भी सोचूं तू भी सोच, कल क्या होगा शहर का नक़्शा, मैं भी सोचूं तू भी सोच.
एक ख़ुदा के सब बंदे हैं, एक आदम की सब औलाद, तेरा मेरा ख़ून का रिश्ता, मैं भी सोचूं तू भी सोच.

आज अनवर जलालपुरी हमारे बीच नहीं है लेकिन गंगा जमुनी तहजीब को बरकरार रखने व सबके बीच में आपसी प्रेम और सद्भावना को बनाए रखने के लिए सबको अनवर जलालपुरी द्वारा लिखी हुई शायरी, कविताएं व अनुवादित पुस्तक “उर्दू शायरी में गीता” का अध्ययन जरूर करना चाहिए. अनवर जलालपुरी की रचनाओं के अनुकरण से देश में फैली नफरत समाप्त हो सकती है.

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