लखनऊ: प्रदेश के नगर विकास एवं ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने भगवान श्री राम के दिव्या व भव्य अयोध्याधाम में बन रहे उनके भव्य मंदिर में आज भगवान के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर उनके चरणों में कोटि-कोटि नमन करते हुए कहा कि “नाम्ने धाम्ने नमो नमः, श्री रामचंद्रचरणों मनसा स्मरामि, श्री रामचंद्रचरणों वचसा गृणामि, श्री रामचंद्रचरणों शिरसा नमामि, श्री रामचंद्रचरणों शरणं प्रपद्ये”, उन्होंने कहा कि अयोध्याधाम में प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर पधारे सभी महानुभावो, आगंतुकों, श्रद्धालुओं, ऋषियों तथा प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री का हृदय से स्वागत एवं नमन करता हूं।
अयोध्याधाम का श्री राम मंदिर देश को एकता के सूत्र में जोड़ने का कार्य करेगा
साथ ही अयोध्याधाम को दिव्य और भव्य बनाने में लगे नगर विकास और ऊर्जा विभाग के सभी कार्मिकों को जिन्होंने अयोध्याधाम को सजाने संवारने में अथक परिश्रम किया है, उनको कोटि-कोटि धन्यवाद देता हूं।
कहा कि मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि इन दोनों विभागों के कार्मिकों के लगन, मेहनत और परिश्रम से अयोध्याधाम को आने वाले पर्यटक, श्रद्धालु ही नहीं बल्कि भगवान श्री राम भी प्रसन्न होंगे और उनके परिवार को भगवान श्री राम कुशलक्षेम और कल्याण का आशीर्वाद भी देंगे।
एके शर्मा ने आज अपने 14 कालिदास आवास में प्रातः ही अपने परिवारीजनों के साथ मिलकर प्रभु श्री राम की पूजा अर्चना की। इसके पश्चात् परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर श्री रामचरितमानस का पाठ भी किया। तत्पश्चात अयोध्याधाम में होने वाले प्रभु श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का परिवार सहित संजीव अवलोकन भी किया।
एके शर्मा ने कहा कि विगत 500 वर्षों से अधिक समय से हमारा देश अपने पुरातन विश्वास, संस्कृति व आस्था को पुनर्स्थापित करने के लिए लगातार संघर्ष करता रहा, हर प्रकार की लड़ाइयां को लड़ने के बाद विजय का शंखनाद हुआ और हमारी प्राचीन आस्था, विश्वास व सांस्कृतिक जड़ों को मजबूत करने के लिए हमारे आराध्य की अयोध्याधाम में आज 22 जनवरी, 2024 को दिव्य व भव्य रूप से बने हुए मंदिर में प्रभु श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा हो सकी।
अयोध्या धाम अब भारत की ही नहीं बल्कि विश्वभर के राम भक्तों के लिए सांस्कृतिक राजधानी के रूप में जानी जाएगी और देश को एकता के सूत्र में जोड़ने का कार्य करेगी। पूरे देश व दुनियाभर से लोग अब अपने आराध्य भगवान श्री राम के दर्शन के लिए अयोध्याधाम आएंगे और यहां से लौटकर भारत की प्राचीन सांस्कृतिक गौरव को पूरी दुनिया में फैलाएंगे।