गन्ने में लाल सड़न रोग की समस्या पर राष्ट्रीय विचार मंथन 23 मई को

0
291

लखनऊ। गन्ने के कैंसर नाम से जाना जाने वाला लाल सड़न रोग गन्ने की पसल में लगने वाला सबसे महत्वपूर्ण रोग है । लाल सड़न एक विनाशकारी रोग है जो प्रभावित पौधों को नष्टकर गन्ने के खेतों को नुकसान पहुंचाता है। लाल सड़न कोलेटोट्राईकम फाल्केटम नामक कवक के कारण होता है।

गन्ना खेती में लाल सड़न रोग की गंभीरता पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की अखिल भारतीय समन्वित शोध परियोजना (गन्ना) के तत्वावधन में “भारत में लाल सड़न रोग की वर्तमान स्थिति एवं इसका प्रबंधन” विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय विचार मंथन सत्र 23 मई को सुबह 10 बजे से भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ में होगा।

इस सत्र की अध्यक्षता डॉ. तिलक राज शर्मा, उपमहानिदेशक (फसल विज्ञान), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली करेंगे।

इस विचार मंथन में परिषद के उच्च अधिकारियों के साथ भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान लखनऊ, गन्ना प्रजनन संस्थान कोयंबटूर, राज्य कृषि विश्वविद्यालयों, मौरीशस गन्ना अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकगण, उत्तर प्रदेश, बिहार तथा हरियाणा के गन्ना एवं चीनी आयुक्त, राष्ट्रीय सहकारी चीनी मिल फेडरेशन के मुख्य गन्ना सलाहकार सहित भारतीय चीनी मिल संघ के पदाधिकारी लाल सड़न रोग से होने वाली क्षति तथा इसके प्रबंधन के बारे मैं गहनता से विचार-विमर्श करके उचित रणनीति बनाएँगे।

ये भी पढ़े : ग्लास हाउस स्टडी के सकारात्मक परिणाम, फसलों की उत्पादकता कई गुना बढ़ी 

बताते चले कि कोलेटोट्राईकम फाल्केटम नामक कवक जब  गन्ने को संक्रमित करता है, तो संक्रमित गन्ने सड़ जाते हैं और अंततः मर जाते हैं। इस प्रकार उपज और गुणवत्ता दोनों में भारी नुकसान होता है। कवक अनिवार्य रूप से बीज-जनित होता है और खेत में संक्रमित बीज गन्ने की बुआई के कारण रोग होता है।

एक अनुमान के अनुसार लाल सड़न बीमारी के कारण देश के विभिन्न भागों में 10 से 20 प्रतिशत तक फसल रोग ग्रस्त हो जाता है, जिसके कारण गन्ना किसानों को लगभग 180 अरब रुपए की आर्थिक क्षति प्रति वर्ष होती है। इसी प्रकार इस रोग से ग्रस्त गन्ने से चीनी मिलों को भी चीनी परता में कमी होने के कारण लगभग 100-140 अरब रुपए का प्रति वर्ष नुकसान होता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here