राष्ट्रीय खेल विरासत से गोवा में बदलेगा खेलों का माहौल

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पणजी: गोवा में 37वें राष्ट्रीय खेल अपने समापन की ओर बढ़ रहे हैं, राज्य के खेल मंत्री गोविंद गौडे ने पहले ही योजना बना ली है कि राज्य में चल रहे इन 15 दिवसीय राष्ट्रीय खेलों में उपयोग किए जा रहे महँगे उपकरणों एवं इंफ्रास्ट्रक्चर का प्रयोग राज्य की अन्य खेल प्रतियोगिताओं में किया जाएगा।

खेल मंत्री ने गुरुवार को यहां श्यामा प्रसाद मुखर्जी मल्टीपल इंडोर स्टेडियम में कहा, “राष्ट्रीय खेलों की विरासत (लेगेसी) प्रतियोगिता के सुचारू और सफल आयोजन का एक महत्वपूर्ण पहलू है।

 

खेल मंत्री ने कहा कि वह राज्य के सभी युवाओं से आगे आने और खेलों के आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर का उपयोग करने का आग्रह करेंगे। खेल मंत्री ने कहा, “मैं कहूंगा कि अगर सभी प्रतियोगिता स्थलों का अगली पीढ़ी द्वारा उपयोग किया जाए तो मेरे हिसाब से राष्ट्रीय खेल और भी अधिक सफल होंगे। यहां तक कि अन्य राज्यों के खिलाड़ियों का भी मैं स्वागत करता हूँ कि वह इन इन्फ़्रास्ट्रक्चरों का उपयोग कर सकते हैं।

खेल मंत्री के मुताबिक गोवा में राष्ट्रीय खेलों का आयोजन एक बड़ी चुनौती थी और उन्होंने इसे स्वीकार किया. “मुझे खेलों का शौक है। मैं वह व्यक्ति हूं जिसे जीवन में चुनौतियों का सामना करना और जोखिम उठाना पसंद है,” उन्होंने बताया।

राज्य के खेल मंत्री ने कहा कि सभी स्टेकहोल्डरों (हितधारकों) का सामूहिक प्रयास सही दिशा में आगे बढ़ने की एक प्रमुख विशेषता है। उन्होंने कहा, “प्रतियोगिता स्थल पूरे राज्य में इसलिये फैले हुए हैं ताकि खेल बिरादरी को विशिष्ट एथलीटों को करीब से देखने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।

खेल मंत्री के अनुसार, गोवा हाल ही में अंडर-17 फीफा मैचों सहित कई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताएँ के लिए एक महत्वपूर्ण गंतव्य रहा है और हम अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के लिए गोवा को अपने कैलेंडर में शामिल करने के लिए राष्ट्रीय खेल महासंघों (एनएसएफ) का समर्थन करना जारी रखेंगे।

गोवा के राज्य खेल मंत्री ने कहा कि सरकार विशिष्ट खिलाड़ियों के लिए विभिन्न विभागों में खेल कोटा नौकरियों (पांच प्रतिशत) को लागू करने की योजना बना रही है, जिससे क्षेत्र में खेलों को और अधिक बढ़ावा मिलेगा।

गोवा के राज्य खेल मंत्री ने कहा कि वह कड़ी मेहनत में विश्वास रखते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा, “दृढ़ संकल्प ही अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने का एकमात्र तरीका है।” “यह सिर्फ खेल ही नहीं बल्कि जीवन के सभी क्षेत्रों में लागू होता है।

खेल मंत्री ने कहा कि एक युवा खिलाड़ी के रूप में वह भारत की 1983 क्रिकेट विश्व कप जीत से प्रेरित थे। “कड़ी मेहनत के बिना कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता। कपिल देव और उनकी टीम ने बहुत पहले ही यह साबित कर दिया था,” उन्होंने उन क्षणों को याद करते हुए बताया।

खेल मंत्री जो कि खेलों को लेकर काफ़ी उत्साहित रहते हैं जो मैदान पर भी अक्सर दिख जाएँगे, ने कहा कि हमारे राज्य गोवा के दल (खिलाड़ियों) की तैयारी राष्ट्रीय खेलों से 90 दिन पहले शुरू हो गई थी।

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उन्होंने समझाया, “मैं क्षेत्र में खेल से जुड़े सभी लोगों से राष्ट्रीय खेलों से परे सोचने का आग्रह करूंगा। सफलता रातोरात नहीं मिलती. इसमें वर्षों की कड़ी मेहनत और धैर्य लगता है। सभी एथलीटों को अभ्यास जारी रखना चाहिए। धीरे और स्थिर तरीके से दौड़ जीत सकते हैं।

खेल मंत्री का दृढ़ विश्वास है कि जमीनी स्तर (ग्रासरूट लेवल ) पर विकास कार्यक्रम ( डेवलपमेंट प्रोग्राम) इकोसिस्टम की प्रमुख विशेषता होनी चाहिए। “हमारे पास चार खेलो इंडिया उत्कृष्टता केंद्र (हॉकी, फुटबॉल, तैराकी और टेबल टेनिस) हैं। छह और विधाओं को जोड़ने की योजना है, जिसमें जल खेल और पारंपरिक खेल जैसे कबड्डी, खो-खो शामिल हैं।

खेल मंत्री ने कहा कि युवाओं को अपने प्रारंभिक वर्षों में कई खेलों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “हमें उभरते एथलीटों को तैयार करने के लिए समग्र दृष्टिकोण (होलिस्टिक एप्रोच) अपनाना चाहिए।

तैराक और फिटनेस प्रेमी होने के नाते, खेल मंत्री ने एक घंटे की बातचीत के दौरान खिलाड़ियों की मानसिक स्थिति के बारे में भी बात की।

युवा एथलीटों को तैयार करते समय हम आम तौर पर प्रशिक्षण के मनोवैज्ञानिक पहलू को नजरअंदाज कर देते हैं। इस अंतर को कम करने और अच्छे सहयोगी स्टाफ रखने के लिए मैं निकट भविष्य में इस इकोसिस्टम में एक खेल विश्वविद्यालय स्थापित करना चाहता हूं,” उन्होंने बताया।

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