खो-खो के विकास की पहल, 30 स्कूलों के 10,000 स्कूली बच्चे जुड़े

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नई दिल्ली: भारतीय खो-खो महासंघ (केकेएफआई) ने स्पोर्ट्स फॉर ऑल (एसएफए) के साथ मिलकर स्कूली छात्रों के बीच खो-खो को बढ़ावा देने के लिए एक राष्ट्रव्यापी प्रोग्राम शुरू किया है, जो 13-19 जनवरी को राष्ट्रीय राजधानी में होने वाले आगामी विश्व कप से पहले भारत में एक स्वदेशी खेल विकसित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।

स्कूली बच्चों में खेल को बढ़ावा, भारतीय खो-खो महासंघ का स्पोर्ट्स फॉर ऑल से समझौता

पिछले एक महीने के दौरान इस पहल ने हैदराबाद, बैंगलोर, दिल्ली और जयपुर सहित सात शहरों में 7,000 से अधिक स्कूली छात्रों को सफलतापूर्वक इस प्रोग्राम में शामिल किया है।

यह प्रयास आने वाले हफ्तों में लखनऊ, पुणे और मुंबई में भी जाएगा। अबतक यःबपहल भारत भर के 30 स्कूलों तक पहुँच चुका है और 11 जनवरी तक इसके तहत 200 स्कूलों को जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है।

खो-खो फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष सुधांशु मित्तल ने कहा, “हमारा मिशन खो-खो को पारंपरिक खेल से बदलकर विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त खेल बनाना है।

इस खूबसूरत खेल को युवा दिमागों में पेश करके, हम न केवल खिलाड़ियों को विकसित कर रहे हैं, बल्कि ऐसे एम्बेसडर तैयार कर रहे हैं जो भारत के इस स्वदेशी खेल की अविश्वसनीय विरासत को दुनिया के हर हिस्से में लेकर जाएं।”

खो-खो एथलीटों के लिए राष्ट्रव्यापी डेटाबेस तैयार करना भी उद्देश्य

ऑन-ग्राउंड एक्टिविटीज के लिए खो-खो फेडरेशन ऑफ इंडिया ने सोसाइटी ऑफ़ डिजिटल एंटरप्रेन्योर्स (SODE) के सहयोग से एक डिजिटल पंजीकरण अभियान शुरू किया है।

खो-खो फेडरेशन ऑफ इंडिया के महासचिव एमएस त्यागी ने बताया, “डिजिटल पंजीकरण अभियान एक गेम-चेंजर रहा है। हम तेलंगाना से लेकर उत्तर प्रदेश तक पूरे भारत में 7,000 से अधिक शहरों और 1,200 से अधिक स्कूलों तक सफलतापूर्वक पहुँच चुके हैं।”

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इस पंजीकरण अभियान में देश के हर हिस्से में कक्षा 6 से 11 तक के छात्रों की सक्रिय भागीदारी देखी गई है। और खो खो विश्व कप के आयोजन के साथ, यह जमीनी स्तर के विकास की पहल राष्ट्रीय हित के निर्माण और भारत के स्वदेशी खेल के लिए प्रतिभा पाइपलाइन बनाने में महत्वपूर्ण साबित होगी।

यह भारत में खो खो के भविष्य के निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहा है ऐसे में जबकि देश 2036 ओलंपिक की मेजबानी के लिए बोली लगा रहा है, ये युवा बच्चे वैश्विक स्तर पर खो खो के भविष्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

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