नीयत रिव्यु : फिल्म में नहीं फील होगा मर्डर मिस्ट्री जैसा सस्पेंस

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फोटो साभार : गूगल

विद्या बालन स्टारर नीयत आज सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। इस फिल्म की कहानी की शुरुआत आशीष कपूर (राम कपूर) से शुरू होती है, जो एक बड़ा बिजनेसमैन है, उस पर 20 हजार करोड़ रुपये लेकर फरार होने का आरोप है। फिल्म की सबसे कमजोर कड़ी इसकी कहानी है, जो स्लो है।

इस मर्डर मिस्ट्री में सस्पेंस जैसा फील ही नहीं होता है और कई मौकों पर तो ऐसा लगता है कि आखिर चल क्या रहा है। फिल्म में विद्या का रोल थोड़ा अजीब सा दिखाया है और उसको ऐसा करने की क्या जरूरत थी, ये भी समझ के बाहर समझ आता है। फिल्म की कहानी को कसा जाता तो ये एक बढ़िया फिल्म हो सकती थी, स्क्रिप्टिंग के साथ ही इसके डायलॉग्स भी रिपीट होते से लगते हैं।

फिल्म के लोकेशन्स अच्छे हैं और बड़े पर्दे पर देखने में अच्छे लगते है, कुछ हद तक एडिटिंग भी बढ़िया है। बैकग्राउंड स्कोर ठीक है, जो फिल्म को काफी हद तक रियल दिखाता है। अगर आपने डेनियल क्रैग की फिल्म ‘ग्लास अनियन’ सीरीज देखी है तो आपको ये फिल्म और भी अधिक कमजोर लगने लगेगी। फिल्म की खास बात है शेफाली शाह का कैमियो, भले ही वो स्क्रीन पर आखिरी कुछ पलों के लिए आती हैं, लेकिन महफिल लूट ले जाती हैं।

शेफाली की कुछ मिनट की परफॉर्मेंस बाकी पूरी फिल्म पर भारी पड़ती है। आशीष, दो वर्ष से अपने कर्मचारियों को सैलरी नहीं दे पाया है, जन्मदिन पर विदेश में शहर से काफी दूर एक महल में कुछ खास लोगों के साथ जन्मदिन सेलिब्रेट करता है और बताता है कि मीरा राव (विद्या बालन) एक सीबीआई ऑफिसर हैं, जो इंडिया से उन्हें गिरफ्तार करने आई हैं।

मीरा की टीम के आने के बाद वो खुद को पुलिस को सौंप देंगे। हालांकि उस ही रात उसका खून हो जाता है। अब किसने किया खून? क्यों किया मर्डर? आशीष कपूर जिंदा है या नहीं? मर गया तो किसने मारा? नहीं मरा तो झूठ क्यों और क्या है सभी के आपसी कनेक्शन और राज? इन सब सवालों के लिए आपको फिल्म देखनी होगी.

फिल्म में सभी ऐसे एक्टर्स हैं, जो अपनी कमाल की अदाकारी के लिए जाने जाते हैं, इस बार सभी फीके ही दिखते हैं। विद्या बालन लीड रोल में हैं, इसे उनका बेस्ट परफॉर्मेंस नहीं बोला जा सकता है। फिल्म में विद्या एक्टिंग करती दिखती हैं, लेकिन जो स्मूदनेस की उनसे उम्मीद थी, वो नहीं दिखती। राम कपूर, फिल्म के कुछ हिस्से में काफी स्ट्रॉन्ग नजर आते हैं,

कुछ हिस्सों में काफी हलके, जिसकी मुख्य वजह स्क्रिप्ट्स और डायलॉग्स हैं। फिल्म के बाकी कलाकार राहुल बोस, नीरज काबी, अमृता पुरी, प्राजक्ता कोली, अनु मेनन आदि भी इम्प्रेस करने में सफल नहीं दिखते हैं। बात एक्टिंग के बाद निर्देशन की करें तो फिल्म का डायरेक्शन भी काफी ढीला दिखता है। क्योंकि कमजोर स्क्रिप्ट के बाद भी कई फिल्में हैं, जो दर्शकों को बढ़िया डायरेक्शन की वजह से पसंद आई हैं।

मल्टी स्टारर होने के बाद नीयत ऐसी फिल्म है, जिसे अगर आप थिएटर की जगह ओटीटी में देखेंगे तो बेहतर होगा। नीयत दर्शक बांधे रखने में कामयाब नहीं दिखती है। फिल्म कई हिस्सों पर ढीली पड़ती है और उस हद का सस्पेंस भी क्रिएट नहीं करती है, जो इससे उम्मीद थी।

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