सीएसआईआर-केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-सीडीआरआई), लखनऊ ने अपनी 75वीं स्थापना वर्षगांठ के अवसर पर वर्षपर्यंत विभिन्न समरिहों का आयजन कर रहा है इसी उपलक्ष्य में ट्रांसलेशनल रिसर्च लेक्चर सीरीज़ के अंतर्गत एक महत्वपूर्ण व्याख्यान का आयोजन किया।
इस व्याख्यान का विषय था:“डायमिथाइल पेरॉक्सी वनेडेट: एक इंसुलिनो-मिमेटिक यौगिक जो इंसुलिन संवेदनशीलता को भी बेहतर बनाता है”, जिसे प्रसिद्ध एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ. सतीनाथ मुखोपाध्याय (एमडी, डीएम, एफआरसीपी – लंदन), आईपीजीएमईआर-एसएसकेएम हॉस्पिटल, कोलकाता से आमंत्रित किया गया था।
कार्यक्रम की अध्यक्षता सीएसआईआर-सीडीआरआई की निदेशक डॉ. राधा रंगराजन ने की। उन्होंने अपने वक्तव्य में ट्रांसलेशनल रिसर्च की महत्ता पर प्रकाश डाला, जो प्रयोगशाला में हुए अनुसंधानों को वास्तविक जीवन में इलाज या थेरेपी के रूप में बदलने का कार्य करता है।
उन्होने बताया कि आज का सत्र विशेषकर मेटाबोलिक बीमारियों जैसे डायबिटीज़ के क्षेत्र से संबन्धित है जो कि एक महत्वपूर्ण विषय है।
डॉ. मुखोपाध्याय ने अपने व्याख्यान में डायमिथाइल पेरॉक्सी वनेडेट नामक एक नवीन यौगिक के बारे में बताया, जो शरीर में इंसुलिन जैसा कार्य करता है और इंसुलिन के प्रति संवेदनशीलता को भी बढ़ाता है।
उन्होंने समझाया कि यह यौगिक इंसुलिन की अनुपस्थिति में भी इंसुलिन सिग्नलिंग को सक्रिय करता है, जिससे यह टाइप 2 डायबिटीज़ या इंसुलिन रेसिस्टेंस से ग्रसित लोगों के लिए एक आशाजनक विकल्प बन सकता है।
उन्होंने प्री-क्लिनिकल अध्ययनों का हवाला देते हुए बताया कि यह यौगिक शरीर की कोशिकाओं में ग्लूकोज़ (शुगर) को अधिक मात्रा में ग्रहण करने में सहायक होता है और इसके प्रयोग से बाहरी इंसुलिन पर निर्भरता कम हो सकती है। उन्होंने इसकी कार्यप्रणाली, सुरक्षा पहलू और आगे दवा विकास में संभावनाओं पर भी प्रकाश डाला।
इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि डॉ. विश्वजननी जे. सत्तिगेरी थीं जो सीएसआईआर–पारंपरिक ज्ञान डिजिटल पुस्तकालय इकाई (TKDL), नई दिल्ली की प्रमुख हैं।
डॉ. सत्तिगेरी एक प्रतिष्ठित वैज्ञानिक और विज्ञान नीति विशेषज्ञ हैं, जिन्होंने भारत की पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों के संरक्षण, सुरक्षा और डिजिटलीकरण में अग्रणी भूमिका निभाई है।
उनके नेतृत्व में टीकेडीएल एक वैश्विक आदर्श के रूप में उभरा है, जो पारंपरिक औषधीय ज्ञान को जैव-चोरी (बायोपायरेसी) से सुरक्षित रखने और आधुनिक विज्ञान के साथ एकीकृत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
हाइब्रिड पर यह सत्र वैज्ञानिकों, चिकित्सकों, शोधकर्ताओं और विद्यार्थियों की व्यापक उपस्थिति का साक्षी बना, जिसमें संस्थान के वैज्ञानिकों व शोध छात्रों के अलावा विभिन्न मेडिकल कॉलेज तथा यूनिवर्सिटीज के अनेक छात्रों ने ऑनलाइन ज्वाइन लिया तथा व्याख्यान के पश्चात एक इंटरैक्टिव प्रश्नोत्तर सत्र में उत्साहपूर्वक भाग लिया।
यह व्याख्यान सीएसआईआर-सीडीआरआई की उस सतत प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जिसके अंतर्गत संस्थान अनुसंधान और चिकित्सा उपयोग के बीच की खाई को पाटते हुए मेटाबोलिक और जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
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