रविवार को प्रधानमंत्री मोदी ने नए पंबन रेलवे पुल को देश को समर्पित किया। उन्होंने रामेश्वरम से तांब्रम (चेन्नई) के बीच एक नई ट्रेन सेवा को भी हरी झंडी दिखाई। साथ ही उन्होंने एक तटरक्षक जहाज को भी रवाना किया। जैसे ही पुल का वर्टिकल लिफ्ट हिस्सा ऊपर उठा, यह जहाज उसके नीचे से गुजरा। यह इस पुल के परिचालन तकनीक का प्रदर्शन था।
इस पंबन ब्रिज का सांस्कृतिक महत्व भी है। रामायण के मुताबिक़, भगवान राम की सेना ने राम सेतु का निर्माण रामेश्वरम के नजदीक धनुषकोडी से शुरू किया था। नया पंबन रेलवे ब्रिज रामेश्वरम द्वीप को भारत की मुख्य भूमि से जोड़ता है और यह वैश्विक मंच पर भारतीय इंजीनियरिंग की एक बड़ी उपलब्धि है।
माननीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी द्वारा तमिलनाडु में नया पांबन ब्रिज का उद्घाटन करने के साथ, रामेश्वरम – तांबरम (चेन्नै) के मध्य नई ट्रेन का हरी झंडी दिखाकर शुभारंभ किया गया। #NewPambanBridge#RailInfra4TamilNadu#PambanExpress pic.twitter.com/D4aehyd2vu
— Ministry of Railways (@RailMinIndia) April 6, 2025
नए पंबन ब्रिज की लागत 550 करोड़ रुपये से ज्यादा है। यह ब्रिज 2.08 किलोमीटर लंबा है। इसमें 99 स्पैन (खंभों के बीच की दूरी) हैं और इसका लिफ्टिंग हिस्सा 72.5 मीटर लंबा है, जो 17 मीटर ऊंचाई तक उठ सकता है। इससे बड़े जहाज आसानी से गुजर सकते हैं और ट्रेन सेवा भी बिना बाधा जारी रह सकती है।
ब्रिज को मजबूत बनाने के लिए इसमें स्टेनलेस स्टील, विशेष सुरक्षात्मक पेंट और वेल्डेड जोड़ का इस्तेमाल हुआ है। इससे इसकी ताकत और उम्र बढ़ गई है। भविष्य को ध्यान में रखते हुए इसमें दो रेलवे ट्रैक की व्यवस्था हुई है। समुद्री हवा से होने वाले जंग से बचाव के लिए इसमें खास पॉलीसिलोक्सेन कोटिंग की गई है।
Let’s cheer for our engineers and Team Bharat!👏👏
The iconic #NewPambanBridge inaugurated and #PambanExpress train flagged-off by PM @narendramodi Ji. pic.twitter.com/5ARDOV1fPB
— Ashwini Vaishnaw (@AshwiniVaishnaw) April 6, 2025
पहला पंबन ब्रिज 1914 में ब्रिटिश इंजीनियरों ने बनाया था। यह एक कैंटिलीवर (धातु या लकड़ी का एक लंबा टुकड़ा जो पुल के अंत को सहारा देने के लिए दीवार से बाहर निकलता है) डिजाइन का ब्रिज था। इसमें एक शेरजर रोलिंग लिफ्ट हिस्सा था। यह समुद्र में खुलकर जहाजों को रास्ता देता था।
एक सदी से अधिक वक्त तक यह ब्रिज तीर्थ यात्रियों, पर्यटकों और व्यापारियों के लिए जीवनरेखा की तरह काम करता रहा। लेकिन समुद्री माहौल से नुकसान और बढ़ते ट्रैफिक को देखते हुए सरकार ने फरवरी 2019 में नए तकनीकी और मजबूत पंबन ब्रिज के निर्माण की मंजूरी दी।
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नए पंबन ब्रिज का निर्माण रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) ने किया है। यह रेल मंत्रालय के अधीन एक नवरत्न कंपनी है। ब्रिज निर्माण के दौरान पर्यावरणीय प्रतिबंध, समुद्र की तेज लहरें, तेज हवाएं और खराब मौसम जैसी कई चुनौतियां आईं। यह इलाका चक्रवात और भूकंप के लिए संवेदनशील है, इसलिए इंजीनियरों ने बहुत सोच-समझकर मजबूत डिजाइन तैयार किया।
अब यह नया ब्रिज अमेरिका के गोल्डन गेट ब्रिज, लंदन का टावर ब्रिज और डेनमार्क-स्वीडन को जोड़ने वाला ओरेसुंड ब्रिज जैसे दुनिया के अन्य मशहूर ब्रिज की श्रेणी में गिना जा रहा है। ये सब ब्रिज अपने तकनीकी डिजाइन और इंजीनियरिंग के लिए जाने जाते हैं।
अब नया पंबन ब्रिज भी इन प्रतिष्ठित ब्रिज की कतार में शामिल हो गया है। इसमें आधुनिक तकनीक के साथ भारत के समुद्री और भूकंपीय हालात से कामयाबी के साथ निपटने की सामर्थ्य है। वर्टिकल लिफ्ट पुल ऐसा पुल होता है, जिसे जरूरत पड़ने पर पानी की सतह से ऊपर उठाया जा सके। वर्टिकल पुल को ऊपर उठाने पर उस जगह से पानी के बड़े जहाज आसानी से गुजर सकेंगे।
नए पंबन ब्रिज की खासियत
- यह 72.2 मीटर चौड़ा समुद्र मार्ग है। पुल के एक लेन में असानी से दो ट्रक एक साथ आ-जा सकेंगे। इस पुल को 17 मीटर ऊपर तक उठाया जा सकेगा।
- यह पुल पुराने पुल के मुकाबले 3 मीटर ऊंचा बना है।
- इस पुल को टिकाऊ बनाने के लिए इसमें स्टीलनेस स्टील का इस्तेमाल किया गया है। इसके साथ ही इसे सुरक्षित तरीके से पेंट भी किया गया है।
- इस पुल के शुरू होने से रेलवे को भी अपने यातायात सुचारु बनाने में मदद मिलेगी। पुल से भारी व तेज रेलगाड़ियां भी आसानी से पार कर सकेंगी।